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कैंपा कोला सोसायटी: उद्धव बोले- आतंकियों को जिंदा रखती हैं अदालतें, 140 परिवारों का दर्द नहीं सुना

मुंबई के कैंपा कोला सोसायटी मामले पर सियासत जारी है. मामले का राजनीतिक फायदा उठाने की रेस में शिव सेना भी पीछे नहीं है. शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं. उद्धव ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में लिखा है कि कैंपा कोला सोसायटी मामला न्याय व्यवस्था की कब्रगाह साबित हो रहा है.

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उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे

मुंबई के कैंपा कोला सोसायटी मामले पर सियासत जारी है. मामले का राजनीतिक फायदा उठाने की रेस में शिव सेना भी पीछे नहीं है. शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं. उद्धव ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में लिखा है कि कैंपा कोला सोसायटी मामला न्याय व्यवस्था की कब्रगाह साबित हो रहा है.

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कैंपा कोला सोसायटी के अवैध फ्लैट धारकों को आदेश दिया है कि उन्हें 31 मई 2014 तक कैंपा कोला परिसर खाली कर देना होगा. उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मसले पर गंभीरता से सोचने की बजाए आनन-फानन में हल करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि कैंपा कोला सोसायटी के 140 परिवारों को राहत मिलनी चाहिए.

उद्धव ने अपने संपादकीय में लिखा है कि, 'कैंपा कोला के 140 परिवारों को न्याय कौन देगा? अदालतें इतनी जिम्मेदार हैं कि आतंकवादियों को जिंदा रखती हैं लेकिन दूसरी तरफ 140 परिवारों को मौत के दरवाजे तक भेजने में कोई हिचक नहीं हुई.'

उन्होंने कहा, 'कानून सख्त होना चाहिए मगर संवेदनहीन नहीं. मुंबई में बहरामपाड़ा, मुंखर्द, गोवंडी जैसे इलाके अवैध निर्माण का गढ़ हैं और यहां छोटा पाकिस्तान बसता है. लेकिन ना तो बीएमसी, ना राज्य सरकार और ना ही कोर्ट ने यहां बुलडोजर चलाने की कोशिश की.'

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'मानवाधिकार संगठन भी क्यों हैं चुप?'
उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात पर हैरानी है कि आखिर इस मुद्दे पर मानवाधिकार संगठन कैसे चुप बैठे हैं? क्या इन लोगों को तब इंसाफ मिलेगा जब ये लोग सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह करेंगे?. कसाब और अफजल गुरु जैसे आतंकियों के प्रति सहानुभूति रखने वाली अदालत अपनी झूठी प्रतिष्ठा के लिए 140 परिवारों की जिंदगी कैसे छीन सकती है. आज जब सुप्रीम कोर्ट बलात्कारियों पर फैसला सुना रहा है तब इस शीर्ष कोर्ट के जज रेप के आरोपों का सामना कर रहे हैं. ये किस तरह की नैतिकता है? अगर इसी तरह के आरोप किसी अफसर या नेता पर लगे होते तो वह कोर्ट उसे सलाखों के पीछे डाल देता. कोर्ट ने अपनी तीखी टिप्पणियों से उसकी छवि की धज्जियां उड़ा दी होती. कैंपा कोला मामले पर कोर्ट का बार-बार रुख बदलना गरबा खेलना जैसा है.'

उन्होंने कहा, 'दागी नेता जेल से चुनाव लड़ सकते हैं या नहीं, अगर इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला बदल सकता है तो कैंपा कोला केस में क्यों नहीं? इससे पहले भी कई बार अवैध निर्माण को नियमित किया गया है. विवादित कांडीवली प्लॉट, जहां एमसीए जिमखाना बना था, को भी नियमित किया गया था. ये स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स किसी भी तरह से आम आदमी को फायदा नहीं पहुंचा रहा है. लेकिन कैंपा कोला सोसायटी को वैध करना इनके कानून के दायरे से बाहर है!.

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मुख्यमंत्री पर भी साधा निशाना
उद्धव ठाकरे ने कहा है कि सिंचाई घोटाले के दौरान सीएम को पद से नहीं हटाया गया. कोर्ट समेत सबने आंखें मूंदे रखीं. 140 परिवारों को बचाने के लिए भी इस तरह आंखें मूंदें रखनी चाहिए.

 

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