शिवसेना ने एक बार फिर 'सामना' के जरिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस को निशाना बनाया है. सामना के संपादकीय में बुधवार को उद्धव ठाकरे ने लिखा है कि कांग्रेसी 'ठंडा करके खाओ' की नीति अपनाते हैं. 'हुस्ने-मिस-फिरंग' शीर्षक से लिखे गए संपादकीय में कहा गया है, 'कांग्रेस की फिरंगी अध्यक्षा सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस भयंकर गश की शिकार है. किसी में दम नहीं कि फिरंगी अध्यक्षा के समक्ष सत्य बयानी कर सके.'
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की समीक्षा के लिए पार्टी ने एके एंटनी समिति का गठन किया था. समिति ने दो महीने बाद रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को क्लीन चिट दी गई है. 'सामना' की संपादकीय में इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर उद्धव ठाकरे ने लिखा है, 'अकबर इलाहाबादी कह रहे थे कि फिरंगी के चक्कर में पड़ने से जो गश खाएगा, उसके होश में आने में भी खासा समय जाएगा. कांग्रेस की फिरंगी अध्यक्षा सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस भयंकर गश की शिकार है.'
राहुल गांधी भी निशाने पर
संपादकीय में कांग्रेस, सोनिया गांधी के साथ ही राहुल गांधी पर भी निशान साधा गया है. उद्धव ने लिखा है, 'कांग्रेसी ठंडा करके खाओ की नीति अपनाते हैं. पराजय को ठंडा करके ही पचाना चाहते हैं. इस ठंडी नीति से फिरंगी अध्यक्षा के युवराज का लाभ है. पराजय के बाद कई राज्यों से राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल दागे गए. राहुल गांधी के खिलाफ उठती आवाज को दबाने के लिए कांग्रेस ने एके एंटनी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की.'
एंटनी ईमानदार और निष्ठावान नेता
शिवसेना ने एके एंटनी को ईमानदार और निष्ठावान नेता मानते हुए लिखा है, 'कांग्रेस के तमाम नेता एंटनी को ईमानदार एवं निष्ठावान व्यक्ति मानते हैं. 1999 की पराजय के बाद भी इन्हीं एंटनी की अध्यक्षता में चुनावी पराजय के कारण का पता लगाने के लिए समिति का गठन किया गया था. तब एंटनी ने सुझाव दिया था कि लोकसभा चुनाव के छह महीने पहले कांग्रेस को प्रत्याशियों के नाम घोषित करने चाहिए, लेकिन उस रिपोर्ट पर कभी अमल नहीं किया गया.'
हार के लिए नेतृत्व जिम्मेदार क्यों नहीं?
उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के चुनावी खर्च में सबसे अधिक राशि सोनिया और राहुल गांधी की यात्राओं और प्रचार पर खर्च को भी संपदाकीय में शामिल किया है. संपादकीय में लिखा गया है कि कांग्रेस को जब भी कोई जीत मिली उसका सारा श्रेय सोनिया गांधी और राहुल गांधी को दिया गया, ऐसे में जब हार हुई है तो इसका जिम्मेवार भी नेतृत्व को ही माना जाना चाहिए.
संपादकीय में लिखा गया है, 'कांग्रेसी इतने निर्वीर्य हैं कि उनसे किसी भी प्रकार के पौरुष की अपेक्षा करना बेमानी है. चुनावी प्रचार के दौरान इमाम बुखारी की दाढ़ी में मक्खन लगाना, क्या इन तथ्यों पर एंटनी की समिति को गौर नहीं करना चहिए था? एंटनी जानते हैं कि कांग्रेस में सच्चाई के लिए किसी भी प्रकार का अवकाश नहीं. अगर वह सच्चाई बताने पर आमादा हुए तो उनके साथ लुच्चाई होना सुनिश्चित होगा.'