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आखिर मॉनसून सत्र से पहले उद्धव सरकार ने क्यों रद्द कर दी चाय पार्टी?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधानसभा के मॉनसून सत्र की पूर्व संध्या पर रविवार को होने वाली चाय पार्टी को रद्द कर दिया है. सत्र से पहले उद्धव ठाकरे अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ बैठक करेंगे.

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उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उद्धव सरकार ने मॉनसून सत्र से पहले रद्द की चाय पार्टी
  • सत्र से पहले चाय पर सभी दलों को बुलाने की परंपरा
  • अगले सत्र में सरकार को घेर सकती है बीजेपी

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने विधानसभा के मॉनसून सत्र की पूर्व संध्या यानी कि रविवार को होने वाली चाय पार्टी (Tea Party Cancel) को रद्द कर दिया है. यह चाय पार्टी परंपरा के अनुसार होनी थी, जिसे रद्द कर दिया गया. सरकार सत्र से एक दिन पहले सभी पार्टियों को एक कप चाय पर आमंत्रित करती है. मुख्यमंत्री के लिए सत्र की पूर्व संध्या पर चाय पार्टी की मेजबानी करने की परंपरा है.

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सत्तारूढ़ दल और विपक्ष इस पार्टी का हिस्सा होते हैं. इसके आयोजन के पीछे की वजह सत्र के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करना मानी जाती है. हाल के दिनों में विपक्षी दलों ने कुछ-न-कुछ राजनीतिक मुद्दों का हवाला देते हुए चाय पार्टी का बहिष्कार किया था. जैसे- पिछले साल विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने यह कहते हुए सीएम की चाय पार्टी का बहिष्कार करने का फैसला किया था कि यह एक गैर-जिम्मेदार सरकार है. इसने किसी भी वर्ग की समस्याओं का समाधान नहीं किया है.

महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में सीएम द्वारा पार्टी रद्द करना एक दुर्लभ रुख के रूप में देखा जाता है. एक राजनीतिक एक्सपर्ट ने कहा, ''विपक्षी पार्टी वैसे भी चाय पार्टी का बहिष्कार करने जा रही थी. इसे पूरी तरह से रद्द करने से यह संदेश जाता है कि महा विकास अघाड़ी असुरक्षित है. संभावना है कि सरकार स्पीकर के चुनाव पर चर्चा से बचना चाहती थी.''

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सत्र से पहले उद्धव ठाकरे रविवार को अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ बैठक करेंगे. विधानसभा को एक नए अध्यक्ष का चुनाव करना है क्योंकि पूर्व अध्यक्ष नाना पटोले ने इस्तीफा दे दिया और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं. एमवीए के पास संख्या पूरी है और उम्मीदवारों की घोषणा की जानी बाकी है.

आगामी सत्र में बीजेपी पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ ईडी की जांच और स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण के मुद्दे पर उद्धव सरकार को घेर सकती है. नवंबर 2019 में विश्वास मत के दौरान, एमवीए गठबंधन के पास 169 वोट थे, जिसकी वजह से स्पीकर का चुनाव उनके लिए काफी आसान हो गया. महाराष्ट्र में विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 288 है.

सूत्रों के अनुसार, एमवीए ने 2019 से अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए निर्दलीय विधायकों से संपर्क किया है. हाल ही में अपने एक विधायक के निधन के बाद कांग्रेस की एक सीट कम हो गई है.

 

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