बंबई हाईकोर्ट में सूखे के दौरान राज्य में IPL होने पर डाली गई PIL पर हो रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को इसी महीने खत्म हुए जल संसाधन प्राधिकरण के कॉन्ट्रैक्ट को बढ़ाने या कोई नई अथॉरिटी लाने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य में मौजूद प्राइवेट बांधों, कुंओं, बोरवेलों इत्यादि को आम लोगों के लिए खोलने का भी आदेश दिया.
सूखे पर सख्त हुआ कोर्ट
जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस शालिनी फांसाल्कर जोशी की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि, इस महीने की शुरुआत में खत्म हुए जल संसाधन प्राधिकरण के कार्यकाल को बढ़ाया जाय अथवा तुरंत प्रभाव से इसकी जगह किसी और संस्था की नियुक्ति की जाए.
अदालत ने कहा कि ऐसे तगड़े सूखे की स्थिति में जब प्राकृतिक जल संसाधन सूख जाएं तब ऐसी संस्था का होना बेहद जरूरी हो जाता है.
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने स्वीकार किया कि राज्य में निजी बांध और निजी जल का संचरण करने वाली संस्थाएं हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि पानी एक प्राकृतिक संसाधन है ना कि किसी व्यक्ति या कंपनी की जागीर.
बंबई हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि ऐसी सभी संस्थाओं का पता लगाकर उनके पानी का लोकहित में पीने के पानी के रूप में इस्तेमाल किया जाए, राज्य के सभी प्राइवेट बोरवेल और कुंओं में पानी की व्यवस्था की जाए.
कोर्ट को यह भी बताया गया कि कैसे स्लॉटर हाउसों में भारी मात्रा में पानी की बर्बादी हो रही है. कोर्ट ने सरकार से इस मामले का कोई हल निकालने के लिए भी कहा. गौरतलब है कि राज्य में सूखे की स्थिति को देखते हुए ही हाईकोर्ट ने इस महीने में होने वाले आईपीएल मैचों को राज्य से बाहर शिफ्ट कर दिया था.
छुट्टियों के चलते हाईकोर्ट बंद होने के चलते इस मामले को अवकाशकालीन बेंच को सौंपकर इस बात को तय किया गया था कि कोर्ट इस बात की निगरानी करे कि सरकार इस मामले पर नजर रखकर राज्य के लोगों की मदद कर रही है या नहीं.