scorecardresearch
 

पुणे में गुड़ कारखानों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल हो रहे यूज किए गए मास्क-PPE किट

पुणे जिले के दौंड तालुका में कई गुड़ कारखानों में कोरोना काल के दौरान इस्तेमाल की गई पीपीई किट और मास्क को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. खोपोडी और दापोडी गांव में यह चौंकानेवाला मामला सामने आया है.

Advertisement
X
पुणे के कई गुड़ कारखानों में ऐसा हो रहा है.
पुणे के कई गुड़ कारखानों में ऐसा हो रहा है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लोगों को सता रहा संक्रमण बढ़ने का डर
  • प्रशासन ने दिए जांच के आदेश

कोरोना की दूसरी लहर थोड़ी सुस्त जरूर पड़ी है. तीसरी लहर आने की संभावना जताई जा रही है लेकिन ऐसे में लोग लापरवाह नजर आ रहे हैं. ऐसा ही नजारा पुणे जिले के दौंड तालुका में देखने को मिला. 

Advertisement

यहां गुड़ बनाने वाले कारखानों पर कोरोना मरीजों के लिए इस्तेमाल किए गए पीपीई किट और मास्क से भरा कचरा लाया गया है, जिससे आस-पास के लोगों को कोरोना का खतरा बढ़ने की चिंता सता रही है. 

पुणे जिले के दौंड तालुका में कई गुड़ कारखानों में कोरोना काल के दौरान इस्तेमाल की गई पीपीई किट और मास्क को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. खोपोडी और दापोडी गांव में यह चौंकानेवाला मामला सामने आया है, जिसने लोगों के बीच चिंता बढ़ा दी है. दौंड तालुका में खोपोडी, दापोडी सहित कई गांव में गुड़ बनाने के लिए लोगों ने कारखाने शुरू कर दिए हैं.

इस कारखाने में गन्ने के रस को गरम करने के लिए लकड़ी का ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है पर लकड़ी की बढ़ती कीमतों को और पेड़ काटने के लिए प्रशासन द्वारा लगाई गई पाबंदियों के बीच प्लास्टिक और अन्य कचरा ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. अब तो कोरोना काल में इस्तेमाल किए गये पीपीई किट और मास्क से भरा कचरा इस्तेमाल किए जाने पर लोग नाराज हैं.

Advertisement

इसपर भी क्लिक करें- कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार कराना पति का मिशन, साथ देने को पत्नी ने छोड़ी नौकरी
 
पिछले कुछ महीनों में बारामती और दौंड तालुका में कोरोना के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे थे, फिलहाल इसमें अब थोड़ी राहत मिली है. इसी बीच गुड़ बनाने वाले लोग इस तरह का कचरा लाकर लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं.

 इसलिए प्रशासन की ओर से इन पर कार्रवाई की मांग हो रही है. लोग सवाल कर रहे हैं कि  कोरोना काल में इस्तेमाल किए गए पीपीई किट, हैंड ग्लव्स और मास्क को चिकित्सकीय देखरेख में निपटाया जाता है लेकिन इस तरह का कचरा गुड़ बनाने वाले कारखानों को कहां से मिलता है.

जिला अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर संग्राम डांगे ने पहले ही आह्वान किया है कि बायोमेडिकल वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाना चाहिए. जहां पीपीई किट, मास्क और हैंड ग्लव्स जैसा कचरा पाया जाता है, वहां संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए  कोरोना काल में इस्तेमाल कोई भी ऐसी वस्तुओं को इस्तेमाल ना करें.

दौंड के तहसीलदार संजय पाटिल ने इस मामले में आज तक से बात करते हुए कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है, इस बारे में जांच के आदेश दिए गए हैं. तालुका में किसी भी गुड़ बनाने वाले कारखाने पर पीपीई किट और मास्क से भरा कचरा दिखाई दिया तो इन मालिकों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं गुड़ कारखाने का लाइसेंस भी रद्द किया जाएगा.

Advertisement


 

Advertisement
Advertisement