कोरोना काल में सरकारी केंद्रों में तो मुफ्त में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन निजी अस्पतालों को भी इस काम के साथ जोड़ा गया है. तय रेट पर निजी अस्पताल भी देश में कोरोना की वैक्सीन लगा रहे हैं. महाराष्ट्र में भी दोनों सरकारी और प्राइवेट केंद्रों पर टीकाकरण का काम जारी है. इस बीच बीएमसी की तरफ से साफ कर दिया गया है कि कोई भी निजी अस्पताल वैक्सीन के लिए तय रेट से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकता है.
निजी अस्पतालों के लिए वैक्सीन रेट तय
बीएमसी ने जानकारी दी है कि निजी अस्पताल कोविशील्ड के लिए 780 रुपये चार्च करेंगे, वहीं कोवैक्सीन पर 1,410 रुपये लिए जाएंगे और रूस की स्पुतनिक के लिए 1,145 रुयपे देने होंगे. जोर देकर कहा गया है कि इस रेट में पांच प्रतिशत जीएसटी और 150 रुपये का सर्विस चार्ज शामिल है. ऐसे में बीएमसी ने दो टूक कह दिया है कि कोई भी अस्पताल तय रेट से ज्यादा चार्ज नहीं करेगा. वहीं ऐसा करने में कड़ा एक्शन लेने की चेतावनी दी गई है. जारी किए गए बयान में बीएमसी ने कहा है कि कोरोना काल में निजी अस्पतालों को भी वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी दी गई है. केंद्र की तरफ से पहले ही वैक्सीन के लिए रेट तय कर दिए गए हैं. अब सभी निजी अस्पतालों को नियमों का पालन करते हुए टीकाकरण करना है. किसी से भी ज्यादा चार्च नहीं किया जा सकता है.
ज्यादा चार्ज करने पर होगी कार्रवाई
वहीं बीएमसी की तरफ से एक ईमेल आइडी भी जारी की गई है जहां पर लोग अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. अगर कोई भी अस्पताल ज्यादा चार्ज करता है तो complaint.epimumbai@gmail.com पर जाकर शिकायत दर्ज की जा सकती है. वहीं ये भी जानकारी दी गई है कि अगर रेट में कोई भी बदलाव होगा तो लोगों को पहले से ही सूचित कर दिया जाएगा. ऐसे में पारदर्शिता बनी रहेगी और कोई भी निजी अस्पताल जरूरत से ज्यादा चार्ज नहीं कर पाएगा.
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टीकाकरण नीति में बड़ा बदलाव
दूसरे राज्यों की तरफ से भी निजी अस्पतालों को निर्देश दिए जा चुके हैं. जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण की नीति को लेकर बड़ा ऐलान किया था. बताया गया था कि 18+ सभी लोगों को फ्री में टीका लगाया जाएगा, वहीं निजी अस्पतालों में पैसे देकर भी वैक्सीन लगाने की सुविधा उपलब्ध रहेगी. वहीं सरकार की तरफ से भी ये भी साफ कर दिया गया कि वैक्सीन की पूरी खरीद केंद्र ही करेगा और राज्यों का काम सिर्फ टीकाकरण का होगा. ऐसे में वैक्सीन खरीदने में राज्यों को जो दिक्कत आ रही थी, वो समाप्त हो जाएगी.