राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने सावरकर को लेकर राहुल गांधी के बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी वीडी सावरकर ने जेल में दोहरी उम्रकैद की सजा काटी थी और उन्होंने यातनापूर्ण समय बिताया. जबकि कांग्रेस नेताओं ने अपनी कैद के दौरान आराम फरमाया था. उन्होंने ये भी कहा कि महात्मा गांधी ने पाकिस्तान के गठन से पहले सुभाष चंद्र बोस या सरदार पटेल जैसे नेताओं को भेजा होता तो देश का बंटवारा नहीं होता.
इंद्रेश कुमार नागपुर में एक कार्यक्रम में RSS के स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बिना नाम लिए कहा- 'हमारे एक नेता के परिवार में किसी को भी कभी जेल की सजा नहीं हुई. कांग्रेस नेताओं को जेल में यातना नहीं मिली. बल्कि उस परिवार के लोगों ने जेल में आराम से सजा काटी. जबकि सावरकर एकमात्र ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्हें दोहरी उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. उन्होंने यातना से भरी जेल की सजा काटी थी. सावरकर को दो बार आजीवन कारावास की सजा भुगतनी पड़ी. इसलिए, यदि आप उनका सम्मान नहीं कर सकते हैं तो किसी को भी अपमान करने का अधिकार नहीं है.' इंद्रेश कुमार का बयान कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था- 'सावरकर को अंग्रेजों से वेतन मिलता था और ये ऐतिहासिक तथ्य हैं.'
अब देश में मंदिर और पूजा स्थल नहीं तोड़ने देंगे
अखिल भारतीय मुस्लिम जागरण मंच के संयोजक इंद्रेश कुमार ने कहा कि 'अब इस देश में और मंदिर नहीं तोड़े जा सकते हैं, ना ही हम तोड़ने देंगे. कोई लव जिहाद और धर्मांतरण नहीं होना चाहिए. धर्मांतरण अमानवीय, असंवैधानिक, ईश्वर विरोधी है. ये पाप है. धर्मांतरण करने वाले कभी स्वर्ग नहीं जा सकते. वे भगवान विरोधी, खुदा विरोधी, ईश्वर विरोधी हैं.' उन्होंने पूछा- 'यदि वे कहते हैं कि ईश्वर ने हमें जो दिया वह गलत है और जो मनुष्य ने दिया वह सही है तो क्या वे ईश्वर के अनुयायी हैं?'
पीएफआई ने इंसानों को शैतान बना दिया था
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इंद्रेश कुमार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर भी बयान दिया. उन्होंने कहा- ये एक ऐसा संगठन था जिसने इंसानों को शैतान बना दिया. पीएफआई प्यार के बजाय नफरत का प्रशिक्षण सेंटर बन गया था. सरकार ने साहसपूर्वक उस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया है. आज हजारों मुस्लिम नेताओं और संस्थानों ने पीएफआई पर प्रतिबंध का स्वागत किया, इसलिए, क्योंकि शैतान कंट्रोल में आ गया है.
आरएसएस के सामने आईं बाधाएं, मगर पार कर लिया
उन्होंने ये भी कहा कि 97 साल पहले सिर्फ चार से पांच स्वयंसेवकों के साथ शुरू किए गए आरएसएस को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद प्रगति हुई. उन्होंने कहा- 1937 में ब्रिटिश शासकों द्वारा संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन इसने उस बाधा को भी पार कर लिया. 1948 में महात्मा गांधी की हत्या में शामिल होने के झूठे आरोपों पर इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था. हजारों स्वयंसेवकों को जेल में डाल दिया गया था और तत्कालीन सरकार यह साबित नहीं कर सकी थी कि महात्मा गांधी की हत्या में आरएसएस की संलिप्तता थी.
उन्होंने कहा- जो नेता आज ये आरोप लगाते हैं, वे झूठ बोलते हैं. उन्हें झूठ बोलने की आदत हो गई है और इसलिए वे झूठ बोलते रहते हैं. उन्हें आरएसएस के नाम पर गाली देने का भी डर है. मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि ऐसे नेताओं को सद्बुद्धि मिले. आरएसएस के स्वयंसेवक और संगठन की कार्य प्रणाली पूरी तरह से छुआछूत से मुक्त है. संगठन में सभी जातियों का सम्मान किया जाता है.
बोस और सरदार पटेल को भेजते तो देश का बंटवारा नहीं होता
उन्होंने देश के विभाजन के बारे में भी बताया. इंद्रेश कुमार ने कहा-'मैं हमेशा कहता हूं कि पाकिस्तान गठन से पहले अगर बापू (महात्मा गांधी) ने जवाहर लाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना को नहीं चुना होता और चर्चा के लिए सुभाष चंद्र बोस, महर्षि अरविंद या सरदार पटेल को भेजा होता तो भारत का बंटवारा नहीं होता. लाहौर हमसे अलग नहीं होता और ढाका नहीं जाता.