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सौतेली बेटी से रेप में पिता को 20 साल की कैद, आरोपों से पलट गई पीड़िता लेकिन DNA रिपोर्ट बनी आधार

लड़की का अपना पिता शराबी था, इसलिए मां ने उससे तलाक ले लिया था और बाद में आरोपी से शादी कर ली थी. महिला अपनी तीन बेटियों और अपने दूसरे पति के साथ रह रही थी. आरोप है कि उसने अक्टूबर 2019 में एक रात अपनी सौतेली बेटी के साथ बलात्कार किया और उसे धमकाकर चुप करा दिया. इसके बाद ये सबकुछ लगातार होने लगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत एक विशेष अदालत ने साल 2019 से अपनी 14 साल की सौतेली बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने के आरोप में शख्स को 20 साल की जेल की सजा सुनाई है. ये सजा केवल डीएनए साक्ष्य पर आधार पर सुनाई गई है. जबकि पीड़िता खुद सौतेले पिता पर लगाए आरोपों से पलट गई थी.

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बार- बार रेप करता रहा सौतेला बाप

दरअसल, लड़की का अपना पिता शराबी था, इसलिए मां ने उससे तलाक ले लिया था और बाद में आरोपी से शादी कर ली थी. महिला अपनी तीन बेटियों और अपने दूसरे पति के साथ रह रही थी. आरोप है कि उसने अक्टूबर 2019 में एक रात अपनी सौतेली बेटी के साथ बलात्कार किया और उसे धमकाकर चुप करा दिया. इसके बाद ये सबकुछ लगातार होने लगा.

16 सप्ताह की गर्भवती थी पीड़ितलड़की की मां कुछ समय के लिए उत्तर प्रदेश में अपने मायके चली गई थी. इस दौरान सौतेला पिता बार-बार बच्ची के साथ बलात्कार करता रहा. वापस लौटने पर लड़की ने आखिरकार अपनी मां को इस बारे में बताया जिसके बाद शिकायत दर्ज कराई गई. मेडिकल जांच के दौरान पता चला कि पीड़िता 16 सप्ताह की गर्भवती है. बाद में उस गर्भ को खत्म कर दिया गया.

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बलात्कारी सौतेले बाप को क्यों बचाना चाहती थी पीड़िता?

मुकदमे के दौरान पीड़िता ने अदालत को बताया कि वह अपने प्रेमी के साथ गर्भवती थी लेकिन जांच में मालूम हुआ कि यह झूठ था. लड़की ने अदालत को बताया था कि आरोपी सौतेला पिता परिवार का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति है और वह चाहती थी कि उसे बरी कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि "पीड़िता द्वारा दिया गया बयान यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि पीड़िता मां के भावनात्मक दबाव में है और इसलिए आरोपों से पलट गई है.

'...सिर्फ इसलिए अपराध से इंकार नहीं किया जा सकता'

डीएनए रिपोर्ट में सब कुछ साफ हो गया और अपराध साबित हो गया जबकि लड़की और उसकी मां मुकर गए थे. विशेष न्यायाधीश अनीस खान ने अदालत में इन बयानों को देखा और पुलिस द्वारा पेश डीएनए रिपोर्ट पर भरोसा किया जिसमें कहा गया था कि आरोपी ही पीड़ित लड़की के भ्रूण का पिता था. फैसले में कहा गया, "यह वास्तव में दुखद है कि शख्स ने अपनी सौतेली बेटी, जो 18 साल से कम उम्र की बच्ची है, पर बहुत गंभीर और जघन्य अपराध किया है. केवल इसलिए कि पीड़िता और उसकी मां मुकर गई हैं, अपराध से इंकार नहीं किया जा सकता.

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