scorecardresearch
 

मुंबई दंगों के पीड़ितों को 30 साल बाद मिलेगा मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दिया 'अल्टिमेटम'

सुप्रीम कोर्ट ने 1992 मुंबई दंगे और 1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिया है. जिसमें महाराष्ट्र सरकार को पीड़ितों और गायब लोगों के परिवारों को मुआवजा देने को कहा गया है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना कि यह दंगे राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफलता थी.

Advertisement
X
मुंबई दंगों के पीड़तों को 30 साल बाद मिलेगा मुआवजा
मुंबई दंगों के पीड़तों को 30 साल बाद मिलेगा मुआवजा

1992-93 में बाबरी का ढांचा गिराने के बाद मुंबई में हुए दंगों के मामले में 30 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने 1992 मुंबई दंगे और 1993 सीरियल बम ब्लास्ट मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिया है. जिसमें महाराष्ट्र सरकार को पीड़ितों और गायब लोगों के परिवारों को मुआवजा देने को कहा गया है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना कि यह दंगे राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफलता थी. इसके साथ ही कोर्ट ने दंगों में गायब हुए लोगों का पता लगने के भी निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 9 महीने का समय दिया था.

Advertisement

कोर्ट ने यह भी कहा कि दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के लिए कुछ समूह जिम्मेदार थे. न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि राज्य सरकार की विफलता के कारण लोगों को इस पीड़ा से गुजरना पड़ा, इसलिए पीड़ितों को राज्य सरकार से मुआवजे की मांग करने का अधिकार है.

दंगों में 900 लोगों की जान गई थी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य द्वारा 1993 और 1999 में क्रमशः दंगों से प्रभावित व्यक्तियों और लापता व्यक्तियों के उत्तराधिकारियों को मुआवजे के भुगतान के लिए दो सरकारी प्रस्ताव जारी किए गए थे. कोर्ट ने कहा कि दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 में दंगों के दौरान 900 लोगों की जान चली गई और 2036 लोग घायल हो गए, चाहे वह हिंसा या पुलिस फायरिंग के कारण हो.

Advertisement

यह देखते हुए कि लापता हुए 168 व्यक्तियों में से 60 के परिवारों को मुआवजा दिया गया है, कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह 108 लापता व्यक्तियों के कानूनी वारिसों का पता लगाए और ब्याज सहित मुआवजा दे. 22 जुलाई 1998 से जब दूसरा सरकारी संकल्प जारी किया गया था, छह महीने की अवधि की समाप्ति से 9% की ब्याज का भुगतान किया जाना है.

9 प्रतिशत ब्याज के साथ देना होगा मुआवजा

साथ ही पहचाने गए पीड़ितों को भी 8 जनवरी 1994 से 9% प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ मुआवजे का भुगतान किया जाना है. कोर्ट ने मुआवजे के भुगतान की पूरी कवायद राज्य सरकार को 9 महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है. साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह फरार या लापता अभियुक्तों का पता लगाने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन करे, ताकि उनके खिलाफ कोर्ट में सुनवाई पूरी हो सके. कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को प्रशासनिक पक्ष से संबंधित अदालतों को आवश्यक संचार जारी करने का निर्देश दिया है, जिसमें आरोपी का पता लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए मामले लंबित हैं.

सभी सिफारिशों को तेजी से लागू करने निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को पुलिस बल में सुधार के मुद्दे पर नियुक्त आयोग द्वारा की गई सभी सिफारिशों को तेजी से लागू करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एमएसएलएसए) के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति को इस फैसले द्वारा जारी निर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी करने का निर्देश दिया है.

Advertisement

राज्य सरकार को निम्नलिखित विवरण के साथ समिति को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है:

-नाम और पते सहित 168 लापता व्यक्तियों का विवरण.

-मुआवजे से वंचित 108 लापता लोगों के परिजनों का पता लगाने के लिए किया गया प्रयास.

-भुगतान की तारीखों के साथ पीड़ितों के भुगतान या भुगतान न किए गए मुआवजे का विवरण.

Advertisement
Advertisement