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पश्चिमी रेलवे का पानी बचाओ अभियान, रोजाना हजारों लीटर की बचत

महाराष्ट्र के कई इलाके भयंकर सूखे की चपेट में है. लोग बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में पश्चिमी रेलवे ने पानी बचाने के लिए एक अच्छी कोशिश की है. रेलवे ने यात्री डिब्बों के अंदर सीटों को धोने के लिए पानी में 50 फीसदी तक कटौती करने का फैसला किया है.

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महाराष्ट्र के कई इलाके भयंकर सूखे की चपेट में है. लोग बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में पश्चिमी रेलवे ने पानी बचाने के लिए एक अच्छी कोशिश की है. रेलवे ने यात्री डिब्बों के अंदर सीटों को धोने के लिए पानी में 50 फीसदी तक कटौती करने का फैसला किया है. रेलवे की इस पहल से करीब रोजाना 3 हजार से 5 हजार लीटर तक पानी की बचत होगी.

पश्चिमी रेलवे का सराहनीय कदम
दरअसल पश्चिमी रेलवे रोजाना लोकल ट्रेनों के डिब्बों की सफाई के लिए करीब 7 से 8 हजार लीटर तक पानी का इस्तेमाल करता है. जबकि एक्सप्रेस ट्रेनों के डिब्बों की सफाई में करीब 10 हजार से 12 हजार लीटर तक पानी खर्च करता है. सफाई में स्ट्रीम मशीन और हाई प्रेशर जेट स्प्रे का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अब पानी बचाने की इस मुहिम के तहत रेलवे के सफाई कर्मचारी हाथों से सीटों की सफाई करेंगे जिससे पानी की खपत कम होगी.

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पश्चिमी रेलवे का पानी बचाओ अभियान
पश्चिमी रेलवे के प्रवक्ता रवींद्र भाक्कर की मानें तो लोकल ट्रेनों में आमतौर पर 12 रेक्स होते हैं और उनके यहां रोजाना करीब 80 लोकल ट्रेनों की सफाई की जाती है. जबकि 40 बाहर से आने वाली ट्रेनों की सफाई भी होती है. उन्होंने कहा कि वेस्टर्न रेलवे की ओर से बांद्रा में एक रिसाइकिलिंग प्लांट लगाने की तैयारी है. जिससे रोजाना 10 लाख लीटर तक पानी की बचत होगी. ये प्लांट 2018 से शुरू होने की उम्मीद है.

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