शिंदे सरकार ने सोमवार को विधानसभा में महाराष्ट्र सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम, 1960 पेश किया. यह संशोधन सरकार को ऐसी सहकारी समितियों पर भी नियंत्रण का अधिकार देगा, जिन्होंने स्टेट लोन, शेयर होल्डिंग या वित्तीय सहायता नहीं ली. महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले ने सत्तापक्ष और विपक्ष को आमने सामने लाकर खड़ा कर दिया है. विपक्ष ने नए संशोधन का कड़ा विरोध किया है.
उधर, इन सबके बीच शरद पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उनके आधिकारिक आवास पर जाकर मुलाकात की. हालांकि, शरद पवार मराठा मंदिर संस्था के 50 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित हो रहे समारोह का आमंत्रण देने के लिए सीएम शिंदे के पास पहुंचे थे. शरद पवार मराठा मंदिर संस्था के अध्यक्ष हैं. 24 जून को मुंबई में ये समारोह होगा.
संशोधन पर क्या बोले शरद पवार?
इस बैठक के बाद शरद पवार ने ऑफ कैमरा कहा कि सहकारिता अधिनियम में संशोधन की मंजूरी अनुचित है. ये महिलाओं को समान प्रतिनिधित्व नहीं देगा. प्रस्तावित संशोधन के अनुसार यदि कोई लगातार पांच वर्ष तक सहकारी बैठकों में भाग नहीं ले पाता है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी. महाराष्ट्र में महिलाएं भी सहकारी क्षेत्र में काम कर रही हैं. हालांकि, महिलाओं का हर बैठक में शामिल होना मुश्किल हो सकता है और फिर उनकी सदस्यता रद्द हो सकती है. इससे उनकी संख्या कम हो जाएगी. हमने इसके बारे में चर्चा की और मैंने अपील की है कि इसे महिला प्रतिनिधियों के पक्ष में रद्द किया जाना चाहिए.
दरअसल, महाराष्ट्र में आवास और वित्तीय समितियों समेत 2.25 लाख से अधिक सहकारी निकाय हैं. अकेले मुंबई में लगभग 1.25 लाख सहकारी निकाय मौजूद हैं, जिनमें से 88,000 से अधिक हाउसिंग सोसाइटी हैं.
अधिनियम के तहत क्या क्या बदलाव होंगे?
महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री अतुल सावे ने विधानसभा में महाराष्ट्र सहकारी समिति (संशोधन) अधिनियम, 1960 पेश किया. सरकार अधिनियम की धारा 78ए में संशोधन कर रही है ताकि रजिस्ट्रार को वित्तीय अनियमितताओं के मामलों में तीन या उससे अधिक सदस्यों की समिति या एक प्रशासक या प्रशासकों की एक समिति नियुक्त करने का अधिकार दिया जा सके, जो सोसाइटी के मामले में 6 महीने तक प्रबंधन कर सके.
- हालांकि, अभी रजिस्ट्रार के पास सिर्फ उन सोसायटियों के संबंध में ऐसा करने का अधिकार है, जिनमें या तो सरकार की शेयर होल्डिंग है, या लोन या वित्तीय मदद दी गई है. ऐसे में संशोधन के जरिए सभी सहकारी समितियों को इस प्रावधान के तहत लाया जाएगा, चाहें उन्होंने सरकार से वित्तीय सहायता ली हो या नहीं.
विपक्ष ने जताई आपत्ति
विपक्ष ने इस संशोधन पर आपत्ति जताई है. साथ ही मांग की है कि विधेयक को विधानसभा की संयुक्त समिति को भेजा जाए. एनसीपी के विधायक दिलीप वाल्से पाटिल ने सोमवार को विधानसभा में कहा, जो बदलाव लाए जा रहे हैं, उन पर चर्चा की जरूरत है. माना जा रहा है कि विपक्ष को डर है कि इस संशोधन के जरिए रजिस्ट्रार को असीमित शक्तियां मिलेंगी और सरकार इसका इस्तेमाल विपक्षी नेताओं द्वारा नियंत्रित सहकारी समितियों को नियंत्रित करने के लिए कर सकती है.