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क्या है महाराष्ट्र का खिचड़ी घोटाला? जिसे लेकर राउत और उद्धव गुट पर हमलावर हैं संजय निरुपम

देश में साल 2020 में जब कोरोना महामारी का दौर चल रहा था तब BMC यानी बृहन्मुंबई महानगर पालिका ने संकट में फंसे प्रवासी मजदूरों को खिचड़ी बांटने का फैसला किया था. शिवसेना यूबीटी के नेताओं पर आरोप है कि इस दौरान उन्होंने खिचड़ी का ठेका हासिल करने वाली फर्म से पैसे लिए थे और नियमों की अनदेखी की थी.

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खिचड़ी घोटाले में शिवसेना (UBT) नेता सूरज चव्हाण, संजय राउत और अमोल कीर्तिकर का नाम सामने आया है
खिचड़ी घोटाले में शिवसेना (UBT) नेता सूरज चव्हाण, संजय राउत और अमोल कीर्तिकर का नाम सामने आया है

महाराष्ट्र की सियासत में लोकसभा चुनाव से पहले कथित 'खिचड़ी घोटाले' की खूब चर्चा हो रही है. सत्ताधारी पार्टी से लेकर विपक्षी नेता तक इस कथित घोटाले को लेकर एक दूसरे पर जमकर हमला कर रहे हैं. इस मामले की गूंज तब सुनाई दी जब निष्कासित कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए शिवसेना (यूबीटी) पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने जिस अमोल कीर्तिकर को मुंबई उत्तर पश्चिम सीट सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है वह 'खिचड़ी चोर' हैं.

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को शिवसेना (यूबीटी) नेता अमोल कीर्तिकर से कोविड महामारी के दौरान BMC द्वारा खिचड़ी वितरण में कथित अनियमितताओं के संबंध में पूछताछ भी की. कथित घोटाले में उनकी भूमिका की जांच करते हुए जांच एजेंसी के अधिकारियों ने अपने मुंबई कार्यालय में कीर्तिकर से लगभग आठ घंटे तक पूछताछ की. इस कथित घोटाले के दौरान अमोल कीर्तिकर के बैंक खाते में लेनदेन हुआ था जहां उन्होंने कथित तौर पर खिचड़ी ठेका फर्म से 1.65 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे.

यह भी पढ़ें: 'खिचड़ी चोर उम्मीदवारों के लिए नहीं करेंगे काम', अपनी पार्टी कांग्रेस पर भड़के संजय निरुपम, बोले- मेरे पास विकल्प है

क्या है खिचड़ी घोटाला?

'खिचड़ी घोटाला' नाम खिचड़ी वितरण योजना से आया है, जिसे बीएमसी द्वारा कोविड लॉकडाउन के दौरान (अप्रैल 2020) में जरूरतमंद दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए शुरू किया गया था. लॉकडाउन के दौरान इन मजदूरों और गरीबों के पास पास भोजन प्राप्त करने के लिए कोई काम या अन्य साधन नहीं था इसलिए इन्हें बीएमसी द्वारा खिचड़ी उपलब्ध कराई गई. 

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खिचड़ी बनाने का ठेका देने के लिए यह शर्त रखी गई कि जो पांच हजार से फूड पैकेट बना सकता है उसे ही यह ठेका दिया जा सकता है. इसके अलावा यह तय किया गया कि एनजीओ, चैरिटेबल संस्थाओं और कम्युनिटी किचन को ठेका दिया जाएगा और इसके लिए उन्हें लाइसेंस दिया जाएगा. बाद में यह बात सामने निकलकर कि नियमों को ताक पर रखकर ठेका दिया गया और बकायदा रिश्वत तक ली गई. जांच एजेंसी ने बताया कि खिचड़ी पैकेट की आपूर्ति के लिए बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा ‘फोर्स वन मल्टी सर्विसेज’ (जिसके पास ‘खिचड़ी’ का ठेका गया था) के बैंक खाते में 8 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की गई थी.

इसके अलावा यह बात भी सामने निकलकर आई की मजदूरों को जो 250 ग्राम खिचड़ी दी जानी थी वह केवल 125 ग्राम ही दी गई, यानि खिचड़ी बांटने में भी घोटाला हुआ.

बीजेपी नेता ने की थी शिकायत

भाजपा नेता किरीट सोमैया इस मामले में व्हिसलब्लोअर हैं, जिन्होंने शुरू में एक मामला दर्ज करवाया था और इसकी जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने की थी. शिकायत में 2020 में कोविड महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा कुछ ठेकेदारों को खिचड़ी के ठेके देने में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था.

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भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, सेना यूबीटी नेता संजय राउत के भाई और बेटी को भी लॉकडाउन अवधि के दौरान खिचड़ी की आपूर्ति के लिए ठेकेदारों से धन मिला .बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने मामले में संजय राउत का बयान दर्ज किया. इस मामले के आरोपी  अमोल कीर्तिकर ने आजतक से बात करते हुए कहा कि शुरुआती एफआईआर में उनका नाम नहीं था. उन्होंने कहा कि कुछ लेनदेन हुए थे, लेकिन उनका किसी आपराधिक कृत्य से कोई संबंध नहीं था.

सोमवार को ईडी कार्यालय छोड़ने के बाद कीर्तिकर ने कहा, 'मैंने एजेंसी के अधिकारियों के साथ सहयोग किया है और उनके सवालों का जवाब दिया है. उन्होंने मुझे दोबारा नहीं बुलाया है, लेकिन जब भी मुझे बुलाया जाएगा मैं सहयोग करूंगा.' 

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2023 में दर्ज हुआ था केस

सितंबर 2023 में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के सहयोगी सुजीत पाटकर सहित कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. अन्य आरोपियों में सुनील उर्फ ​​बाला कदम, सह्याद्री रिफ्रेशमेंट के राजीव सालुंखे के साथ फोर्स वन मल्टी सर्विसेज और स्नेहा कैटरर्स के कुछ कर्मचारी और साझेदार शामिल थे. मामले में तत्कालीन सहायक नगर आयुक्त (योजना) और BMC अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया गया था. आर्थिक अपराध शाखा के केस दर्ज होने के बाद केन्द्रीय जांच एजेंसी ED ने भी कथित घोटाले के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया.

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सूरज च्वहाण को मिले 1.35 करोड़ रुपये

किरीट सोमैया ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि बीएमसी ने कुछ नेताओं के करीबी विक्रेताओं को भोजन पैकेट वितरण का ठेका दे दिया था. एफआईआर के अनुसार, शिवसेना यूबीटी नेता सूरज चव्हाण और अमोल कीर्तिकर ही थे जिन्होंने कथित तौर पर अनुबंधों को प्रभावित किया और रिश्वत प्राप्त की.

सूरज चव्हाण आदित्य ठाकरे का करीबी है.  सूरज को जनवरी में ईडी ने गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दायर किया गया है. चव्हाण को कथित तौर पर एक ठेकेदार से 1.35 करोड़ रुपये मिले थे, जिसे उन्होंने परामर्श शुल्क (Consultancy fees) के रूप में दिखाने की कोशिश की थी. सूरज चव्हाण ने ईडी अधिकारियों को बताया था कि लॉकडाउन के दौरान जिस फर्म को भोजन के पैकेट वितरित करने का ठेका दिया गया था, उस फर्म को उन्होंने ही मेनपावर मुहैया करवाई थी.

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बाद में पता चला कि सूरज च्वहाण ने फर्म के साथ मेनपावर मुहैया करवाने के अनुबंध संबंधी दस्तावेज ईडी के समन मिलने के बाद बनाए गए थे और इन्हें बैकडेट में तैयार करवाया गया. ठेका फर्म के मालिक और चव्हाण बीच हुई बातचीत का भी पता लगाया गया, जहां फर्म का मालिक चव्हाण से पूछ रहा था कि अनुबंध की प्रति में कौन सी तारीखें डालनी हैं और क्या-क्या लिखना है.

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निरुपम बोले- खिचड़ी घोटाले के किंगपिन हैं संजय राउत

कांग्रेस छोड़कर BJP में गए संजय निरुपम ने खिचड़ी घोटाले के बारे में कई दावे किए हैं. उन्होंने इस घोटाले का किंगपिन संजय राउत को बताया है. उन्होंने कहा राऊत ने अपनी बेटी, भाई और पार्टनर के नाम पर पैसे लिए हैं. उन्होंने कहा कि, इस खिचड़ी घोटाले का असली सरगना शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राऊत है. बड़ा खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि, सह्याद्रि जलपान को खिचड़ी वितरण के लिए 6 करोड़ रुपए का ठेका मिला जिसके लिए राउत के रिश्तेदारों ने 1 करोड़ रुपए का कमीशन लिया. 

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