महाराष्ट्र में आज नए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जाएगा. मुंबई में कुछ ही देर में बीजेपी विधायक दल की बैठक होने जा रही है. इसमें केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायकों से बातचीत करेंगे, उसके बाद नए नेता सदन का ऐलान करेंगे. इसके साथ ही मंत्रालयों के बंटवारे को भी अंतिम रूप दिया जाएगा. महायुति में शामिल बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी कोटे में किसके-कितने मंत्री होंगे? इसे लेकर तीनों ही दलों के अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं.
महाराष्ट्र की नई सरकार का शपथ ग्रहण 5 दिसंबर को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगा. सीएम और दो डिप्टी सीएम शपथ लेंगे. बाद में तीनों पार्टियों के बीच मंत्रिमंडल और विभागों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा. शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष नेताओं की मौजूदगी रहेगी. माना जा रहा है कि बीजेपी कोटे से सीएम होगा और शिवसेना-एनसीपी कोटे से डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे.
आइए जानते हैं कि वर्तमान एकनाथ शिंदे कैबिनेट में किस पार्टी के कितने मंत्री शामिल थे और किस पार्टी को कौन-कौन मंत्रालय दिए गए थे. अब कौन सहयोगी दल कितने मंत्रालयों के लिए दावा कर रहे हैं.
बीजेपी बनी सबसे बड़ी पार्टी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को आ गए थे. महायुति ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है. बीजेपी के सबसे ज्यादा 132 विधायक चुने गए. शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत हासिल की है. JSS को 2 और RSJP को एक सीट पर जीत मिली. बीजेपी ने इस बार चुनाव में 149 उम्मीदवार उतारे थे. जबकि शिवसेना ने 81 और एनसीपी ने 59 प्रत्याशियों को टिकट दिया था. महाराष्ट्र में वर्तमान में शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे सीएम हैं और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी प्रमुख अजित पवार डिप्टी सीएम हैं.
यह भी पढ़ें: BJP अकेले बहुमत के करीब, अजित भी रेस से हटे... फिर भी CM पर फैसला क्यों नहीं ले पा रहा महायुति?
पावर शेयरिंग को लेकर 11 दिन से चल रही है खींचतान
अब महाराष्ट्र में नई सरकार में हिस्सेदारी की लड़ाई देखने को मिल रही है. बीजेपी ने सीएम पद पर दावा ठोक दिया है और अजित पवार गुट ने इसका समर्थन कर दिया है. जिसके बाद शिवसेना का सीएम पद पर दावा कमजोर हो गया है. ऐसे में अब मंत्रालयों के बंटवारे पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है और इसे लेकर 11 दिन से खींचतान देखने को मिल रही है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महायुति के नेता लगातार दिल्ली में बीजेपी हाईकमान के संपर्क में हैं. देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे, अजित पवार दिल्ली में कई राउंड की बैठकें कर चुके हैं. पिछले 24 घंटे से अजित पवार दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं. जबकि गुरुवार को मुंबई में शपथ ग्रहण समारोह है.
महायुति में बड़े पोर्टफोलियो पर सबकी नजर
माना जा रहा है कि अजित पवार की निगाह एक बार फिर बड़े पोर्टफोलियो पर है. जब 2023 में वे महायुति के हिस्सा बने थे तो अपनी पार्टी के 9 विधायकों को मंत्री बनाया था और कृषि, वित्त समेत कई विभाग बीजेपी और शिवसेना से छीन लिए थे. अजित एक बार फिर वही बड़े विभाग अपने पास रखना चाहते हैं और इसके लिए वे पूरा जोर लगा रहे हैं.
शिंदे गुट समझौते के मूड में नहीं
वहीं, एकनाथ शिंदे गुट के विधायक भी समझौता करने के मूड में नहीं हैं. शिंदे गुट का दावा है कि इस चुनाव में उनके नेतृत्व वाली सरकार की योजनाओं की वजह से बड़ी जीत मिली है. एकनाथ शिंदे खुद सबसे बड़े चेहरा रहे और उन्होंने लाडकी बहिण जैसी गेमचेंजर योजना लाकर महाराष्ट्र का माहौल बदल दिया और आधी आबादी को महायुति के खेमे में ला दिया. शिवसेना गुट तर्क दे रहा है कि अगर शिंदे को सीएम नहीं बनाया जा रहा है और डिप्टी सीएम पद दिया जाता है तो फिर गृह मंत्रालय जैसे बड़े विभाग मिलने चाहिए. इसके लिए फडणवीस का उदाहरण का दिया जा रहा है. जब शिंदे सीएम थे तो गृह विभाग फडणवीस के पास था.
यह भी पढ़ें: CM, "CM, दो डिप्टी सीएम... 5 दिसंबर को सिर्फ 3 लोग ही लेंगे शपथ, बीमार शिंदे आज फिर जा रहे अस्पताल
बीजेपी चाहती है बड़े भाई की भूमिका
वहीं, बीजेपी इस बार ज्यादा समझौते के मूड में नहीं है. 2019 में भी सबसे बड़ी पार्टी होकर बीजेपी को छोटे भाई की भूमिका में जाना पड़ा था. लेकिन इस बार बीजेपी की जीत का स्ट्राइक रेट 89 फीसदी रहा है. बीजेपी ने 2014 की तुलना में ज्यादा सफलता हासिल की है. यानी मजबूत जनादेश बीजेपी के दावे को भी मजबूत कर रहा है. जानकार कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के मायने गहरे हैं. बीजेपी का संगठन चाहेगा कि वो 2029 में अपने दम पर चुनाव लड़े और जीते.
क्या है बीजेपी का नया प्लान?
2019 के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद बीजेपी कैडर का मनोबल गिर गया था. हाल ही में लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन कमजोर देखा गया है. ऐसे में आगामी बीएमसी चुनाव से लेकर 2029 के लोकसभा चुनाव तक को पार्टी ध्यान में रख रही है और किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है. संगठन का प्रयास है कि पार्टी वर्कर्स का मनोबल भी बढ़ाया जाए. यही वजह है कि बीजेपी सीएम पद से लेकर मंत्रालयों के बंटवारे तक में बड़े भाई की भूमिका में दिखना चाहती है. बीजेपी की उम्मीदों और प्लान के लिए सीएम की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
CM पोस्ट के लिए क्या-क्या कुर्बानियां देनी होंगी....
बीजेपी यह भी नहीं चाहती है कि महायुति में किसी तरह की रार रहे. वो यह संदेश देना चाहती है कि सीएम से लेकर मंत्रालयों तक का बंटवारा आपसी सहमति से हुआ है. इसलिए दिल्ली से लेकर मुंबई तक बैठकें हो रही हैं और किसी तरह की जल्दबाजी नहीं दिखाई जा रही है. एकनाथ शिंदे और अजित पवार पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि वो बीजेपी हाईकमान के फैसले के साथ खड़े हैं. उन्हें बीजेपी हाईकमान का हर फैसला मंजूर होगा. हालांकि, दिल्ली से लौटने के बाद महायुति की मुंबई में बैठक होनी थी, लेकिन एकनाथ शिंदे के कार्यक्रम में अचानक बदलाव होने से गठबंधन में असहज की स्थिति बनी.
शिंदे अपने गांव चले गए और वहां से दो दिन बाद लौटे तो उन्होंने बीमार होने से बैठकों से दूरी बना ली. हालांकि, मंगलवार को एक बार फिर बीजेपी और शिवसेना हाईकमान के बीच बैठकों और विशेष दूतों के जरिए संदेशों का आदान-प्रदान हुआ है. अजित पवार दो दिन से दिल्ली में डेरा डाले हैं. आज सुबह पहले बीजेपी विधायक दल की बैठक होनी है. उसके बाद दोपहर महायुति की बैठक प्रस्तावित है. इसके बाद ही तस्वीर फाइनल होगी कि महायुति में तीनों दलों के बीच क्या सहमति बनी और किस दल को क्या-क्या कुर्बानियां देनी पड़ी हैं.
यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में सामने आया पावर शेयरिंग फॉर्मूला, 22 मंत्रालय BJP रखेगी, जानिए- शिंदे और अजित पवार के हिस्से में क्या
पिछली कैबिनेट की कैसी थी तस्वीर?
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं. यहां मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल की क्षमता 43 है. यानी कैबिनेट और राज्यमंत्री दोनों की संख्या इससे ज्यादा नहीं हो सकती है. जुलाई 2023 में अजित पवार गुट की एनसीपी महायुति सरकार का हिस्सा बनी थी. उसके बाद शिंदे कैबिनेट का स्वरूप बदला और 105 विधायकों वाली बीजेपी के कैबिनेट में सिर्फ 10 मंत्री ही शामिल किए गए थे. जबकि 42 विधायकों के समर्थन का दावा करने वाले अजित पवार गुट के 9 मंत्री शामिल हुए थे. वहीं, 40 विधायकों वाली शिवसेना के भी बीजेपी के बराबर ही 10 मंत्री कैबिनेट का हिस्सा थे. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शिवसेना कोटे से थे. जबकि दो डिप्टी सीएम में बीजेपी से देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी से अजित पवार थे. महाराष्ट्र कैबिनेट में कुल 29 मंत्री बनाए गए थे.
अजित के आने से छिन गए थे बीजेपी-शिवसेना के मंत्रालय
अजित गुट के आने के बाद मंत्रालयों का भी नए सिरे से बंटवारा किया गया था. अजित गुट को सत्ता में हिस्सेदारी देने के लिए बीजेपी को अपने छह मंत्री पद छोड़ने पड़े थे. जबकि शिंदे गुट से भी पांच मंत्रालय छिन गए थे. कृषि मंत्रालय भी शिंदे गुट से एनसीपी के पास चला गया था. सहकारिता और वित्त मंत्रालय बीजेपी के हाथ से अजित गुट के पास पहुंच गया था.
इससे पहले विशेष सहायता मंत्रालय, खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) मंत्रालय, बंदरगाह विकास मंत्रालय और राहत व पुनर्वास मंत्रालय भी शिवसेना के पास थे, जो एनसीपी को मिल गए थे.
वहीं, वित्त व नियोजन मंत्रालय, गृह निर्माण मंत्रालय बीजेपी को छोड़ने पड़े थे. ये मंत्रालय पहले फडणवीस के पास थे. एनसीपी कोटे से अजित पवार खुद वित्त मंत्री बने थे. इस बार भी उनका वित्त मंत्रालय लेने पर फोकस है.
बीजेपी को सहकारिता मंत्रालय, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, महिला और बाल विकास, खेल और चिकित्सा शिक्षा छोड़ना पड़ा था. ये मंत्रालय भी एनसीपी को दिए गए थे. PDF देखें
यह भी पढ़ें: राजदीप सरदेसाई ने बताए वो 10 फैक्टर, जिसने महाराष्ट्र चुनाव में महायुति को दिलाई बंपर जीत
अजित गुट के पास कौन-कौन मंत्रालय थे?
- वित्त तथा नियोजन
- कृषि मंत्रालय
- सहकारिता मंत्रालय
- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति
- चिकित्सा शिक्षा और विशेष सहायता
- खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA)
- महिला और बाल विकास
- खेल और बंदरगाह विकास
- राहत, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन
बीजेपी के पास कौन-कौन मंत्रालय थे?
- गृह मंत्रालय
- कानून व न्याय मंत्रालय
- जल संपदा व लाभ क्षेत्र विकास मंत्रालय
- ऊर्जा मंत्रालय
- राज शिष्टाचार विभाग
- राजस्व मंत्रालय
- पशुसंवर्धन आणि दुग्ध व्यवसाय विकास
- वन मंत्रालय
- सांस्कृतिक कार्य मंत्रालय
- मत्स्य व्यवसाय विभाग
- उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्रालय
- वस्त्रोद्योग मंत्रालय
- संसदीय कार्य मंत्रालय
- आदिवासी विकास मंत्रालय
- ग्राम विकास मंत्रालय
- पंचायत राज मंत्रालय
- पर्यटन मंत्रालय
- श्रम मंत्रालय
- सार्वजनिक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम छोड़कर)
- अन्य पिछडा वर्ग और बहुजन कल्याण विभाग
- कौशल्य विकास मंत्रालय
- उद्योजकता व नवाचार
- गृह निर्माण मंत्रालय
शिंदे गुट के कौन मंत्रालय थे?
- सामान्य प्रशासन
- नगर विकास मंत्रालय
- सूचना और तकनीकी
- सूचना और जनसंपर्क
- परिवहन मंत्रालय
- सामाजिक न्याय
- पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन
- खनन कार्य मंत्रालय
- पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता
- सार्वजनिक निर्माण (सार्वजनिक उपक्रम)
- मृदा व जल संरक्षण मंत्रालय
- रोजगार गारंटी योजना मंत्रालय
- फलोत्पादन मंत्रालय
- उद्योग मंत्रालय
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण
- अल्पसंख्यक विकास और वक्फ मंत्रालय
- विपणन मंत्रालय
- स्कूली शिक्षा और मराठी भाषा मंत्रालय
- राज्य उत्पादन शुल्क मंत्रालय
इससे पहले जब 2022 में बीजेपी और शिवसेना ने महायुति सरकार बनाई तब कैबिनेट में 20 मंत्री शामिल किए गए थे. PDF देखें
अब कौन पार्टी कितने विभागों पर ठोक रही दावा
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन से पहले मंत्रालयों के बंटवारे पर लंबे समय से बातचीत चल रही है. खबर है कि नए पावर शेयरिंग फॉर्मूले पर सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है. बीजेपी ने 21 से 22 मंत्रालयों पर दावा किया है. बीजेपी कैबिनेट में गृह विभाग भी अपने पास रखना चाहती है. जबकि शिवसेना 11-12 मंत्रालयों के साथ सरकार में नंबर दो पर रहना चाहती है.
जबकि अजित पवार की एनसीपी के सरकार में 10 मंत्री शामिल होने पर सहमति बन रही है. हालांकि, एकनाथ शिंदे ने कैबिनेट में 16 मंत्रालयों की मांग की है. वहीं, अजित पवार ने वित्त मंत्रालय उनके पास बरकरार रखे जाने की मांग की है.
एनसीपी को मिल सकता है वित्त मंत्रालय
सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी गृह और राजस्व जैसे पद बने रह सकते हैं. इसके साथ ही पार्टी के खाते में स्पीकर और विधान परिषद के चेयरमैन का पद भी जा सकता है. एनसीपी को वित्त जबकि शिंदे की शिवसेना को शहरी विकास मंत्रालय मिल सकता है. इसके अलावा बाकी मंत्रालयों पर बाद में चर्चा की जाएगी. इसके साथ ही 16 दिसंबर से नागपुर में महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होगा.
यह भी पढ़ें: पहले हैवीवेट मंत्रालय फाइनल होंगे, फिर होगा CM चेहरे का ऐलान.... महाराष्ट्र में जीत के बाद जल्दबाजी में नहीं BJP