Nawab Malik Arrest: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज बुधवार को अंडरवर्ल्ड की गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को गिरफ्तार किया है. सूत्रों का कहना है कि मलिक पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे, इसलिए जांच एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. अब पीएमएलए कोर्ट से आरोपी मलिक की रिमांड मांगी जाएगी.
अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के गुर्गों से जुड़ी गतिविधियों, प्रॉपर्टी की बेनामी खरीद-फरोख्त और हवाला लेनदेन के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने 15 फरवरी को मुंबई में छापेमारी की थी और एक नया मामला दर्ज किया था जिसके बाद मलिक से पूछताछ की जा रही है.
यह पहली बार नहीं है जब एनसीपी नेता मलिक चर्चा में आए हों, इससे पहले भी वह कई मुद्दों को लेकर सुर्खियों में रह चुके हैं. उद्धव ठाकरे सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक पिछले साल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के मामले को लेकर सुर्खियों में थे. जानिए, आखिर कौन हैं मंत्री नवाब मलिक, जिनकी गिरफ्तारी से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है.
महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन वाली महाविकास अघाडी सरकार में एनसीपी के कोटे से नवाब मलिक अल्पसंख्यक, कौशल विकास, और उद्यमिता विभाग के कैबिनेट मंत्री हैं. मलिक एनसीपी मुखिया शरद पावर के खास नेताओं में शामिल हैं.
यूपी में हुआ था नवाब मलिक का जन्म
महाराष्ट्र की राजनीति में दमखम रखने वाले नवाब मलिक मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद के रहने वाले हैं. 20 जून 1959 को जन्मे नवाब का परिवार अपने जनपद की उतरौला तहसील के धुसवा गांव से साल 1970 में ही मुंबई जाकर बस गया था. मायानगरी के अंजुमन स्कूल से नवाब की 10वीं तक की पढ़ाई हुई. इसके बाद वह बुरहानी कॉलेज से 12वीं तक पढ़े. साल 1979 में उन्होंने इसी संस्था से ग्रेजुएशन किया.
राजनीति में एंट्री
- नवाब मलिक का राजनीतिक जीवन का दिलचस्प रहा है. महाराष्ट्र की राजनीति में दमखम रखने वाले एनसीपी के इस मुस्लिम चेहरे ने अपने राजनीतिक सफर का आगाज 80 के दशक में युवक कांग्रेस से हुआ था. हालांकि, संजय गांधी के निधन के बाद बने 'संजय विचार मंच' में वह शामिल हो गए. मालूम हो कि दिवंगत संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने यह संगठन बनाया था, जो कि इंदिरा गांधी की नीति के खिलाफ काम कर रहा था.
- संजय विचार मंच के टिकट पर ही नवाब मलिक ने 1984 में उत्तर पूर्वी मुंबई सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था. राजनीति के दो दिग्गजों गुरदास कामत और प्रमोद महाजन के सामने नवाब इस चुनाव में बुरी तरह पराजित हुए थे. इस चुनाव में कांग्रेस की विजय हुई थी और बाद में संजय विचार मंच को भी बर्खास्त कर दिया गया था.
- इसके बाद नवाब मलिक कांग्रेस में शामिल हो गए थे. हालांकि, कांग्रेस में रहने के बाद कोई खास राजनीतिक तवज्जों नहीं मिल पाई. फिर 1992 में राम मंदिर आंदोलन और बाबरी ढांचा गिराने के बाद मुंबई में हुए दंगों के बाद मायानगरी की राजनीति में काफी बदलाव आया.
- दरअसल, समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव उन दिनों मुस्लिमों के रहनुमा बनकर उभरे थे. उन्होंने पार्टी के विस्तार के लिए राज बब्बर को महाराष्ट्र का प्रभारी बनाकर भेजा. उस दौरान तत्कालीन सपा नेता बब्बर ने जिन लोगों को पार्टी में शामिल कराया, उनमें नवाब मलिक भी प्रमुख चेहरा थे.
-1995 में नवाब ने मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाके की कुर्ला नेहरू नगर सीट से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह शिवसेना के प्रत्याशी से हार गए. इसके बाद शिवसेना विधायक का निधन हो गया तो इसी सीट पर 1997 में उपचुनाव हुआ. इसमें मलिक ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ा और फतह हासिल की.
- बाबरी ढांचा गिराए जाने के मामले में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले मुलायम सिंह यादव की वह पसंद बने और साल 1999 के चुनाव में फिर एक बार नवाब मलिक को सपा का टिकट मिला. पिछली बार की तरह फिर उन्होंने जीत हासिल की.
फिर थामा NCP का दामन
लगातार दो बार सपा के टिकट पर जीतने वाले नवाब मलिक ने 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार की पार्टी एनसीपी का दामन थाम लिया. इसी साल नवाब मलिक नेहरू नगर सीट से एनसीपी के टिकट पर उतरे और जीत की हैट्रिक लगा डाली.
परिसीमन के बाद भी जीतते रहे
- कद्दावर नेता बने चुके नवाब मलिक नेहरू नगर सीट का परिसीमन होने के बाद बनी अणुशक्ति नगर विधानसभा सीट से भी एनसीपी के टिकट पर 2009 में चौथी बार जीत हासिल की.
- इसके बाद साल 2012 के चुनाव में उन्हें शिवसेना के उम्मीदवार के हाथों पराजित होना पड़ा. हालांकि, फिर 2019 के विधानसभा चुनाव में मलिक ने अणुशक्ति नगर सीट से ही पांचवी बार विजय पताका लहराई.
- इसका ईनाम देते हुए शरद पवार ने साल 2020 में मलिक को एनसीपी मुंबई का अध्यक्ष भी बनाया. यही नहीं, अब अपने नेता नवाब की गिरफ्तारी के बाद पवार सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने आगे की रणनीति को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं की आनन-फानन में बैठक बुला ली.