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महाराष्ट्रः विधानसभा स्पीकर नाना पटोले के इस्तीफे से क्यों नाखुश हैं शरद पवार?

एनसीपी आलाकमान को डर है कि अब तक महाविकास आघाडी में जूनियर पार्टनर की भूमिका निभा रही कांग्रेस नाना पटोले के अध्यक्ष बनने के बाद आक्रमक रूप लेकर सरकार के लिए खतरा ना पैदा करे.

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NCP चीफ शरद पवार (फाइल फोटो)
NCP चीफ शरद पवार (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर नाना पटोले का इस्तीफा
  • नाना पटोले को महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की तैयारी
  • महाविकास आघाडी में अंदरुनी खींचतान फिर शुरू

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर नाना पटोले के इस्तीफे के बाद अब महाविकास आघाडी (MVA) में अंदरुनी खींचतान फिर से शुरू हो गई है. वैसे तो 2019 में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी में तय हुए फॉर्मूले के तहत स्पीकर का पद कांग्रेस की झोली में था, लेकिन पटोले के इस्तीफे के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने ये कहकर गहमागहमी बढ़ा दी है कि अब स्पीकर पद को लेकर तीनों पार्टियों को दोबारा चर्चा करनी चाहिए. 

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शरद पवार ने आजतक से बातचीत में कहा, 'हां ये बात सही है कि 2019 में ये पद कांग्रेस को देना तय हुआ था, लेकिन ये भी तय नहीं हुआ था कि स्पीकर एक साल के बाद इस्तीफा दे देंगे. ऐसे में अब चर्चा करनी पड़ेगी.' वहीं, कांग्रेस को पता है कि बिना सहयोगियों से बात किए किसी नेता को स्पीकर पद पर नहीं बैठा सकती. हालांकि पार्टी का कहना है कि 2019 में तय फॉर्मूले के मुताबिक, भले नेता बदल जाए, लेकिन पद तो कांग्रेस के पास ही रहेगा.

फिर पवार ने ऐसा क्यों कहा? 

दरअसल, महाराष्ट्र के विदर्भ से आने वाले नाना पटोले कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के करीबी माने जाते हैं और पार्टी के एक आक्रमक नेता हैं. पटोले ने भले 2014 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता हो, लेकिन बाद मे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर सवाल उठाकर बीजेपी और सांसद पद से इस्तीफा दिया और कांग्रेस में गए. इसलिए वह राहुल गांधी के भी चहेते हैं. 

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एनसीपी आलाकमान को डर है कि अब तक महाविकास आघाडी में जूनियर पार्टनर की भूमिका निभा रही कांग्रेस नाना पटोले के अध्यक्ष बनने के बाद आक्रमक रूप लेकर सरकार के लिए खतरा ना पैदा करे. विचारधारा को लेकर राहुल गांधी वैसे ही महाविकास आघाडी बनाने के पक्षधर नहीं थे. ऐसे मे नाना पटोले के जरिए MVA की दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

स्पीकर के लिए दोबारा अग्निपरिक्षा 

महाविकास आघाडी की सरकार बनाने में कितनी जद्दोजहद करनी पड़ी, इसका अंदेशा सभी को है. ऐसे में अब नया स्पीकर चुनने में गठबंधन को दोबारा दिखाना होगा की तीनों पार्टी में कोई मतभेद नहीं है और तीनों का जोड़ मजबूत है. लेकिन 2019 मे विवाद की जड़ भी स्पीकर पद रहा है क्योंकि एनसीपी ने भी इसी पद पर अपना दावा किया था. 

ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि इस बहाने एनसीपी एक बार फिर इस पद पर दावा ना ठोक दे और इसके बदले में मंत्री पद छोड़ने को तैयार हो जाए. क्योंकि कांग्रेस-एनसीपी सरकार में स्पीकर का पद हमेशा एनीसपी के पास ही रहा है. फिलहाल इस बारे में कब चर्चा होगी, इस पर अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है, लेकिन एक महीने के अंदर ये मामला सुलझाना होगा क्योंकि अगले महीने महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र होने वाला है. 

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