महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने आजतक के साथ बात करते हुए बताया कि महाराष्ट्र में लॉकडाउन की स्थिति जरूर बन रही है मगर राज्य सरकार की अभी लॉकडाउन लगाने की मंशा नहीं है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की जरूरत तब पड़ती है जब जरूरी संसाधन जैसे ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, ICU बेड आदि खत्म होने लगते हैं. ऐसे में 3 हफ्ते का लॉकडाउन लगाकर संक्रमण की चेन तोड़ी जा सकती है. हालांकि, प्रदेश में अभी ऐसी स्थिति नहीं है और नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन से स्थिति काबू में लाई जा रही है.
महाराष्ट्र में वैक्सीन की कमी के सवाल पर उन्होंने बताया कि राज्य में वैक्सीनेशन की रफ्तार पूरे देश में सबसे तेज है. इसके चलते हर महीने 1 करोड़ 60 लाख वैक्सीन की जरूरत है जबकि अभी सिर्फ 1 करोड़ 04 लाख वैक्सीन ही दिए गए हैं. राज्य में 120 सेंटर हैं जिसमें से 70 बंद है क्योंकि वैक्सीन खत्म हो गई है. वैक्सीनेशन सेंटर्स की गिनती भी बढ़ाई गई है. सभी सुविधाएं होते हुए भी लोगों को वैक्सीन नहीं दे पा रहे हैं.
केन्द्र सरकार की तरफ से सबसे ज्यादा वैक्सीन महाराष्ट्र को ही दी गई हैं, बावजूद इसके महाराष्ट्र से ही वैक्सीन की कमी की शिकायत आ रही हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की तुलना गुजरात या राजस्थान से नहीं की जा सकती. जनसंख्या या क्षेत्रफल के मामले में छोटे राज्यों से महाराष्ट्र की तुलना नहीं की जानी चाहिए क्योंकि सबसे ज्यादा केसलोड इसी राज्य पर है. जब देश के कुल कोरोना मामलों का 60 फीसदी एक ही राज्य से है तो वैक्सीन भी उसी अनुपात में मिलनी चाहिए.
टोपे ने ताजा आंकड़े गिनाते हुए कहा कि गुजरात को 16 लाख, हरियाणा को 24 लाख, उत्तरप्रदेश को 45 लाख, कनार्टक को 29 लाख जबकि महाराष्ट्र को केवल 17 लाख वैक्सीन दी जा रही हैं. उन्होंने माना कि केन्द्र सरकार ने पर्याप्त मदद की है मगर डिमांड ड्रिवेन सप्लाई नहीं है. प्रदेश में 1 करोड़ लोगों का वैक्नीनेशन किया गया है इसलिए वैक्सीन की मांग जायज़ है.