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MVA से सीएम कैंडिडेट बन पाएंगे उद्धव ठाकरे? जानें क्या कहते हैं महाराष्ट्र के सियासी समीकरण

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एमवीए ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 में से 31 सीटें जीतकर एनडीए को करारी शिकस्त दी. यह जीत एमवीए के लिए बड़ी सफलता थी, और इससे उद्धव ठाकरे का आत्मविश्वास और मजबूत हुआ. अब उद्धव ठाकरे की नजरें राज्य विधानसभा चुनावों पर हैं, जहां वे एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करना चाहते हैं.

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 उद्धव ठाकरे.
उद्धव ठाकरे.

1970 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा में मल्टीस्टारर फिल्मों का एक दौर था. अमर अकबर एंथोनी जैसी फिल्मों में तीन बड़े सितारों को एक ही फिल्म में लाकर सुपरहिट बनाने का फॉर्मूला आज भी याद किया जाता है, लेकिन इस तरह की फिल्मों में, जहां सभी सितारे मिलकर काम करते थे, वहां भीड़ बांधे रखने वाले दृश्यों का श्रेय किसी एक सितारे को देना मुश्किल था. बावजूद इसके, दर्शक जानते थे कि इस फिल्म में अमिताभ बच्चन को सबसे अधिक प्रभावी सीन मिले हैं.

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2019 में बना महाविकास अघाड़ी
महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) आज इसी तरह की स्थिति का सामना कर रही है. शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), और कांग्रेस के इस गठबंधन ने 2019 में विशेष राजनीतिक परिस्थितियों के तहत बना था. यह गठबंधन तब बना जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 'ऑपरेशन लोटस' शुरू किया. 

उद्धव को गंवानी पड़ी पार्टी और चुनाव चिह्न
2019 में, इस गठबंधन ने भाजपा को सत्ता से बाहर रखा और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना दिया. हालांकि भाजपा की राजनीतिक रणनीति का असर ऐसा हुआ कि समय के साथ उद्धव ठाकरे को न केवल अपनी जमी-जमायी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न गंवाना पड़ा, बल्कि इसने एनडीए के अन्य सहयोगियों के लिए भी एक कड़ा संदेश दिया कि अगर वे भाजपा के खिलाफ जाते हैं, तो उन्हें भी इसी तरह के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

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लोकसभा में एमवीए ने दिया एनडीए को झटका
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एमवीए ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 में से 31 सीटें जीतकर एनडीए को करारी शिकस्त दी. यह जीत एमवीए के लिए बड़ी सफलता थी, और इससे उद्धव ठाकरे का आत्मविश्वास और मजबूत हुआ. अब उद्धव ठाकरे की नजरें राज्य विधानसभा चुनावों पर हैं, जहां वे एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करना चाहते हैं. लेकिन एमवीए के भीतर की स्थिति अब पहले जैसी नहीं है.

शिवसेना और कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर विवाद
लोकसभा चुनाव के दौरान शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच कई बार सीट बंटवारे को लेकर विवाद उभरता दिखा, लेकिन ठाकरे और गांधी परिवार के बीच समीकरण बरकरार रहा. शिवसेना (यूबीटी) की ओर से मुखपत्र 'सामना' ने राहुल गांधी को भारत गठबंधन का चेहरा बनाने की वकालत की, जबकि कुछ अन्य सहयोगी दल राहुल गांधी के नाम पर संकोच कर रहे थे.

MVA के भीतर तेजी से बदले हैं समीकरण
इस बीच, लोकसभा चुनावों के बाद एमवीए के भीतर समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. सर्वाधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद, शिवसेना (यूबीटी) की स्थिति अब कमजोर मानी जा रही है. कांग्रेस ने 17 में से 13 सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना (यूबीटी) ने 21 में से केवल 9 सीटें हासिल कीं. शरद पवार की एनसीपी ने 10 में से 8 सीटें जीतकर सबसे मजबूत स्थिति में खुद को बनाए रखा.

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क्या उद्धव बनेंगे सीएम फेस?
शिवसेना (यूबीटी) की स्थिति कमजोर होने के साथ ही उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी भी सवालों के घेरे में आ गई है. कांग्रेस द्वारा कराए गए आंतरिक सर्वेक्षणों से पता चला है कि उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता एमवीए के भीतर घट रही है. इस बीच, उद्धव ठाकरे ने दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व से मुलाकात की और मुख्यमंत्री पद के फॉर्मूले में बदलाव की मांग की. उनका तर्क है कि सबसे अधिक सीटें पाने वाली पार्टी को मुख्यमंत्री पद देने का परंपरागत फॉर्मूला गठबंधन को कमजोर करता है.

उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेतृत्व से कहा कि इस फॉर्मूले के तहत गठबंधन के हर दल में अधिक से अधिक सीटों की मांग की होड़ लग जाती है, जिससे चुनाव के बाद स्थिति और जटिल हो जाती है. उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि अगर एमवीए विधानसभा चुनाव जीतता है, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद मिलना चाहिए.

शिवसेना शिंदे गुट से मिल रही कड़ी चुनौती
इस बीच, एमवीए के भीतर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर खींचतान तेज हो गई है. उद्धव ठाकरे को एहसास हो गया है कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाता है, तो ही वह अपनी पार्टी के नेताओं और समर्थकों को एकजुट रख पाएंगे. वर्तमान में एकनाथ शिंदे, जो शिवसेना के एक बागी नेता हैं और अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं, लगातार शिवसेना (यूबीटी) के जमीनी स्तर के नेताओं को तोड़कर अपनी तरफ खींच रहे हैं.

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पिछले समय में शिवसेना ने नारायण राणे और राज ठाकरे जैसे नेताओं की चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन एकनाथ शिंदे की चुनौती सबसे बड़ी है. शिंदे न केवल 40 बागी विधायकों को अपने साथ रखने में सफल रहे हैं, बल्कि उन्होंने और भी नेताओं को उद्धव ठाकरे से अपने पक्ष में कर लिया है. उन्होंने 7 लोकसभा सीटें भी जीत ली हैं, जो उद्धव ठाकरे की तुलना में केवल 2 सीटें कम हैं.

उद्धव की दावेदारी को लेकर मतभेद
एमवीए के भीतर, उद्धव ठाकरे की दावेदारी को लेकर मतभेद उभर रहे हैं. अगर उन्हें अभी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाता है, तो भाजपा की ओर से जोरदार जवाबी हमला होगा, खासकर हिंदुत्व के मुद्दे पर. यह स्थिति कांग्रेस और शरद पवार के 'सेक्युलर' वोट बैंक के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है.

कब लिया जाएगा सीएम कैंडिडेट पर फैसला
लोकसभा चुनाव में एमवीए की सफलता के बावजूद, विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों और सीटों की लड़ाई पर जोर होगा. ऐसे में एमवीए के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान और भी जटिल हो सकती है. चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों को 15-20 दिन आगे बढ़ा दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि एमवीए के भीतर मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर फैसला सीट बंटवारे के अंतिम दौर में ही लिया जाएगा.

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