पीएनबी में हुए 11 हजार करोड़ रुपये के महाघोटाले ने शेयर मार्केट से लेकर बैंकिंग सेक्टर की नींद उड़ा रखी है. वहीं, इस घोटाले पर अब जमकर राजनीति भी होने लगी है. बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. इस बहस के बीच बैंकिंग सिस्टम पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस के बावजूद पीएनबी ने इतने बड़े लोन कैसे आसानी से दे दिए? यही नहीं, इस तरह के घोटाले से पीएनबी पहले भी झटका खा चुका है फिर भी दोबारा कैसे हीरा व्यापारियों के चुंगल में पीएनबी फंस गया.
दरअसल, 5 साल पहले हीरा कारोबार से संबंध रखने वाले जतिन मेहता के विनसम ग्रुप ने भी भारतीय बैंकों को कुछ इसी तरह का झटका दिया था. उस वक्त फेमस डायमंड हाउस दर्जन भर बैंकों का बकाया नहीं चुका पाया था. इस घोटाले का सबसे ज्यादा असर उस वक्त भी पीएनबी को हुआ था.
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के अंडरटेकिंग पर दर्जन भर से ज्यादा बैंकों ने विनसम को 6,800 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. इसमें पीएनबी ने सबसे ज्यादा एक्सपोजर 1,800 करोड़ दिए थे.
बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक, उस वक्त भी बैंकों ने कंपनी को लेटर्स ऑफ क्रेडिट इशू किए थे. यह लेटर एसबीएलसी इंटरनेशनल बुलियन बैंक्स को दिए गए. यह वही संस्था थी जो विनसम ग्रुप की कंपनियों को गोल्ड की सप्लाई करती थी.
लेटर्स ऑफ क्रेडिट इशू होने के वक्त यह समझा गया था कि यदि विनसम बुलियन बैंक को भुगतान नहीं कर पाती है तो भारतीय बैंक गोल्ड कंसाइनमेंट के लिए पेमेंट करेंगे.
विनसम पैसा नहीं चुका पाया. उस पर रीपेमेंट का दबाव बनता गया और आखिरकार उसने यह दावा किया कि पश्चिम एशिया में क्लायंट्स को नुकसान होने की वजह से वह रीपेमेंट नहीं कर पाएगी, तब भारतीय बैंकों को झटका लगा था.
अब दोबारा इसी तरह का तर्क पीएनबी ने नीरव मोदी मामले में सीबीआई को दिया है. उस वक्त भी हालात इसी तरह बने थे. विनसम ग्रुप की प्रमोटर मेहता फैमिली के लोग इस घोटाले के बाद से कभी भारत नहीं आए. इनमें से कुछ सिंगापुर में सेटल हो गए हैं तो कुछ दुबई में.
कौन हैं जतिन मेहता....
जतिन मेहता विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी लिमिटेड के चीफ प्रमोटर हैं. मेहता का संबंध देश के बड़े कारोबारियों में से एक अडाणी परिवार से भी है. रिश्ते में जतिन मेहता उनके समधी लगते हैं. जतिन मेहता पर 7 हजार करोड़ लेकर फरार होने का आरोप है और 2012 से उनकी कोई खबर नहीं है.
बता दें कि जतिन मेहता ने यूपीए शासन के दौरान प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के 13 बैंकों से 7 हजार करोड़ रुपये कर्ज के रूप में लिये, जबकि इसके एवज में उन्होंने कोई भी ठोस संपत्ति एक्सचेंज के रूप में ऑफर नहीं की. पनामा पेपर्स के मुताबिक जतिन मेहता ने बैंकों से कर्ज ली गई राशि को बहामास में निवेश किया है. मेहता ने 2012 में भारत छोड़ दिया और 2016 में सेंट किट्स एंड नेविस की नागरिकता ले ली. बता दें कि सेंट किट्स और नेविस के साथ भारत का कोई प्रत्यर्पण समझौता नहीं है.