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बॉम्बे HC ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को भी दिया अबॉर्शन का हक

बॉम्बे हाईकोर्ट जेल में सजा काट रही एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. जो अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी को अबॉर्ट करवाना चाहती है. इस याचिका पर जस्टिस वीके ताहिलरमानी और मृदुला भटकर की पीठ सुनवाई कर रही थी.

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बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला

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अब लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े भी अबॉर्शन करवा सकते हैं. अभी तक अबॉर्शन का हक सिर्फ शादीशुदा महिलाओं के पास ही था. हाईकोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत उन महिलाओं को भी अबॉर्शन का अधिकार है जो विवाह जैसे रिलेशनशिप में रह रही हैं.

तकरीबन 45 साल पुराने कानून के तहत एक विवाहित महिला अगर बर्थ कंट्रोल डिवाइस इस्तेमाल करने के बावजूद प्रेग्नेंट हो जाए तो उसे प्रेग्नेंसी के 20 हफ्तों के अंदर अबॉर्शन का हक है. हालांकि इसके लिए यह साबित करना जरूरी है कि यह प्रेग्नेंसी अनचाही है और बच्चे के जन्म से महिला को मानसिक आघात पहुंचेगा.

हालांकि इस कानून में खासतौर पर 'विवाहित महिलाओं' का जिक्र किया गया है इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आज के जमाने में यह अधिकार लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं के लिए भी होने चाहिए. भले ही वह विवाहित न हो लेकिन वे शादी जैसे रिश्ते में रहती है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट जेल में सजा काट रही एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. जो अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी को अबॉर्ट करवाना चाहती है. इस याचिका पर जस्टिस वीके ताहिलरमानी और मृदुला भटकर की पीठ सुनवाई कर रही थी.

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