महाराष्ट्र के रायगढ़ में सावित्री नदी पर अंग्रेजो के बनाए पुल गिरने से उफलती हुई नदी में बहकर गईं दो सरकारी बसों में से एक बस को ढूंढ निकालने में नौसेना के मरीन कमांडोज को सफलता मिली है. गुरुवार के दिन सुबह, टूटे हुये पुल से महज दो सौ मीटर्स पर नदी में बस का मलबा दिखाई पड़ा.
'आज तक' से बातचीत में मरीन कमांडोज के कमांडर शिरीष ने बताया के नदी को उन्होंने कुछ हिस्सों में और फिर ग्रिडस में डिवाइड किया था, और बाद में सर्च टेक्निक्स से ढूंढ रहे थे. ग्रपनाल और स्नेग लाइन सर्च की तकनीक से खोजना शुरू किया. जहां भी स्नेग लाइन सर्च फसती है, तब हम हमारे मरीन डीप ड्राइवर्स को नीचे भेजते हैं. उसकी मदद से एक बस का मलबा ढूंढने में नेवी के कमांडोज को सफलता मिली है.
लेफ्टीनेन्ट कमांडर शिरीष ने बताया कि पिछले चार दिनों से मरीन कमांडोज टूटे हुए पुल के पास बस के मलबे को ढूढ़ रहे थे. महाड़ और कोंकण इलाके में पिछले 10 से 12 दिनों से लगातार तेज बारिश हो रही है, और इसी लिए राहत और बचाव कार्य में बहुत रुकावट आई है. सावित्री नदी का जल स्तर भी कम होने का नाम नहीं ले रहा था. वहीं कुछ दिनों से बारिश की मार कम होने से बचावकार्य में थोड़ी आसानी हुई.
अभी तक 42 में से 26 मुसाफिरों के शव बरामत किए हैं. वहीं दो बसों में से एक बस का मलबा मिला है. इस बचाव कार्य में नेवी कमांडोज के साथ एनडीआरफ, कॉस्ट गार्ड, स्थानीय मछुआरे भी मदद कर रहे हैं.