1993 के मुंबई धमाकों के आरोपी याकूब मेमन को 30 जुलाई को नागपुर जेल में फांसी होनी है . इस बीच एक पूर्व रॉ अधिकारी के एक लेख से सनसनीखेज खुलासा हुआ है. पूर्व रॉ अधिकारी की अब मौत हो चुकी है और यह लेख प्रकाशित नहीं हुआ था.
रॉ की पाकिस्तान डेस्क के प्रमुख थे
वर्ष 2007 में कैबिनेट सचिवालय में पूर्व अतिरिक्त सचिव बी रमन ने एक लेख में लिखा था कि याकूब को फांसी उचित नहीं है. उसे नेपाल से एक सरकारी विमान से दिल्ली लाया गया था. रमन उस समय खुफिया एजेंसी रॉ की पाकिस्तान डेस्क के प्रमुख थे. उन्होंने याकूब और उसके परिवार को कराची से लाने वाले अभियान का समन्वय किया था .
नेपाल पुलिस की सहायता से हुई वापसी
अपने रिटायरमेंट के कुछ हफ्ते पहले लिखे लेख में रमन ने कहा था- 'जुलाई 1994 में याकूब को नेपाल पुलिस की सहायता से अनौपचारिक रूप से एविएशन रिसर्च सेन्टर के एक एयरक्राफ्ट से दिल्ली लाया गया. पुरानी दिल्ली में औपचारिक रूप से उसे गिरफ्तार किया गया. पूरी आंतरिक कार्रवाई का समन्वय मेरे द्वारा किया गया.'
जून 2013 में हुआ निधन
रमन का जून 2013 में निधन हो गया था. उनके भाई रिटायर्ड आईएएस अधिकारी बीएस राघवन की अनुमति के बाद यह लेख छापा गया.
'याकूब ने एजेंसियों की मदद की'
रमन ने लिखा है कि अगर जुलाई 1994 से पहले की घटनाओं को देखें तो इसमें कोई दो राय नहीं कि याकूब को फांसी मिलनी चाहिए लेकिन इसके बाद की घटनाओं को देखने पर यह नजरिया बदल जाता है. लेख में रमन ने लिखा है कि याकूब ने जांच में एजेंसियों की मदद की और अपने परिवार के कुछ और लोगों को भी सरेंडर करने के लिए मनाया था.