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Yes bank-DHFL Fraud Case: सीबीआई ने दाखिल की चार्जशीट, पुणे के बिल्डर का भी आया नाम

सीबीआई ने एक और चार्जशीट फाइल की है. अविनाश भोसले और सत्येन टंडन के खिलाफ दर्ज चार्जशीट फाइल की गई है. सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट में उन कंपनियों के नाम भी शामिल हैं जिनका संबंध अविनाश भोसले से है. मामला 3700 करोड़ रुपए के यस बैंक-डीएचएफएल लोन फ्रॉड का है. अनिवाश भोसले की कंपनियों को गलत तरीके से भुगतान किया गया.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • चार्जशीट में अविनाश भोसले का नाम
  • अनिवाश की कंपनियों को गलत तरीके से किया भुगतान

3700 करोड़ के यस बैंक-डीएचएफएल लोन फ्रॉड मामले (Yes Bank-DHFL loan fraud case ) में सोमवार को सीबीआई (CBI) ने पुणे के बिल्डर और बिजनेसमैन अविनाश भोसले और सत्येन टंडन के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी. अविनाश भोसले महाराष्ट्र के कई नेताओं का करीबी बताया जाता है. भोसले को पहले सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया फिर ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से न्यायिक हिरासत में रखा गया. जांच के दौरान, सीबीआई ने पाया कि मामले में शामिल कई आरोपियों द्वारा यस बैंक से कुल धोखाधड़ी की राशि लगभग 4,727 करोड़ रुपए थी.

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सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट में कंपनियों के नाम भी शामिल हैं. जिनका संबंध अविनाश भोसले से है. मेट्रोपोलिस होटल्स, एबीएस इंफ्रा प्रोजेक्ट, एबीएस हॉस्पिटैलिटी, अरिंदम डेवेलपर्स, अविनाश भोसले ग्रुप और फ्लोरा डेवेलपमेंट्स का नाम शामिल है.

यस बैंक ( Yes Bank) और डीएचएफएल (DHFL) के खिलाफ फ्रॉड मामले में सीबीआई द्वारा मार्च 2020 में दर्ज की गई यह चौथी चार्जशीट है. बीते महीने सीबीआई ने रेडियस ग्रुप के संजय छाबरिया के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी. पहले भी जून 2020 और जुलाई 2021 में डीएचएफएल के प्रोमोटर्स के खिलाफ दो चार्जशीट फाइल की गई थीं. जिसमें कपिल वधावन, उनके भाई धीरज वधावन और यस बैंक के सह संस्थापक राणा कपूर उनके परिवार के सदस्यों के साथ-साथ अन्य लोगों के नाम शामिल थे.

यह है पूरा मामला

यस बैंक के सह संस्थापक राणा कपूर, डीएचएफएल के प्रोमोटर्स कपिल और धीरज वधावन के ठिकानों पर ईडी द्वारा रेड डालने के बाद सीबीआई और ईडी ने मार्च 2020 में यस बैंक-डीएचएफएल के खिलाफ केस दर्ज किया था. मामले में राणा कपूर को गिरफ्तार करने के बाद कपिल वधावन को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई को तब जांच शुरू करनी थी लेकिन तब तक कोविड-19 लॉकडाउन लग गया था. ईडी ने 2020 में रेडियस ग्रुप के संजय छाबरिया सहित यस बैंक से भारी कर्ज लेने वाले कई लोगों के बयान दर्ज किए थे. बाद में सीबीआई ने जून 2020 में मामले की जांच शुरू की और राणा कपूर और अन्य को हिरासत में ले लिया.

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सीबीआई के अनुसार, राणा कपूर ने यस बैंक के माध्यम से डीएचएफएल डिबेंचर में 3,700 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसके लिए उन्हें अपनी तीन बेटियों रोशनी, राधा और राखी के स्वामित्व और प्रचारित वाली कंपनियों में 600 करोड़ रुपये का किकबैक मिला. डीएचएफएल ने कपूर की बेटियों के स्वामित्व वाली डीओआईटी अर्बन वेंचर्स नाम की कंपनी को एक प्रोपर्टी को सिक्योरिटी के रुप में रखने पर 600 करोड़ रुपये का लोन दिया था, लेकिन जिस प्रोपर्टी को सिक्योरिटी के रुप में रखा गया था वह यस बैंक द्वारा डिबेंचर में निवेश के लिए किकबैक के रूप में बहुत कम कीमत की थी.

बाद में, डीएचएफएल ने यस बैंक के लोन का भुगतान करने में डिफॉल्ट किया. यस बैंक से ली गई ऋण राशि से, डीएचएफएल ने यस बैंक से लिए लोन में से रेडियस समूह के संजय छाबड़िया को एक बड़ा हिस्सा डायवर्ट कर दिया था. जिसमें  रेडियस ग्रुप ने डीएचएफएल से लिया लोन नहीं चुकाया. सीबीआई ने मामले में आरोप लगाया था कि यह उस साजिश का हिस्सा था जिसमें शामिल आरोपी व्यक्तिगत लाभ के लिए यस बैंक और डीएचएफएल को नुकसान पहुंचाने के लिए आपराधिक साजिश में शामिल थे।

यह है अविनाश भोसले की भूमिका

अविनाश भोसले को इस साल मई महीने में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था. अप्रैल महीने में सीबीआई ने भोसले के ठिकानों पर रेड की थी. आरोप है कि अविनाश भोसले को यस बैंक से डीएचएफएल को लोन दिलाने में करोड़ों का कमीशन मिला.

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सीबीआई ने आरोप लगाया कि भोसले को तीन प्रोजेक्ट के लिए परामर्श सेवाओं की आड़ में साल 2018 में डीएचएफएल से लगभग 69 करोड़ रुपए मिले. तीन प्रोजेक्ट में से   एवेन्यू 54, वन महालक्ष्मी नामक के दो प्रोजेक्ट संजय छाबड़िया के रेडियस ग्रुप और एक स्लम पुनर्वास परियोजना वर्ली के सहाना ग्रुप के बिल्डर और पूर्व होटल व्यवसायी सुधाकर शेट्टी द्वारा लॉन्च की गई थी.

सीबीआई जांच के अनुसार, एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत भोसले की कंपनियों को कुछ विशिष्ट सेवाएं प्रदान करनी थीं, जिनमें आर्किटेक्चरल और इंजीनियरिंग डिजाइन एडवाइजरी, कंस्ट्रक्शन मास्टर प्रोग्राम एडवाइजरी, प्रोजेक्ट कॉस्ट एस्टीमेट एडवाइजरी, प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन एंड एग्रीमेंट एडवाइजरी, और वित्तीय मूल्यांकन और स्ट्रक्चरिंग शामिल थी. लेकिन जांच के दौरान सीबीआई अधिकारियों ने पाया कि ऐसी भोसले की कंपनी द्वारा ऐसी कोई सेवा प्रदान नहीं की गई. फिर भी भोसले की कंपनियों को बिना किसी कार्य या सेवाओं के पूरा भुगतान किया गया था. जिसके कारण सीबीआई को इस मामले में संदेह पैदा हुआ. जिसके बाद आगी की जांच की गई. 

सीबीआई ने एक गवाह से पूछताछ की जिसने अपने बयान में सीबीआई को बताया कि '' यह डीएचएफएल के कपिल वधावन ने डीएचएफएल से जुड़ी संस्थाओं द्वारा स्वीकृत लोन के लिए अविनाश भोसले की कंपनियों को कमीशन के भुगतान के निर्देश जारी किए थे.''

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बयानों से यह भी पता चला कि डीएचएफएल द्वारा अपनाई गई प्रथा के अनुसार, कि एनबीएफसी ने एजेंटों को प्रोजेक्ट के लोन के लिए किसी भी प्रकार का कमीशन प्रदान नहीं किया था. बयान में यह भी जानकारी सामने आई थी कि एनबीएफसी द्वारा छोटे रिटेल लोन ऋणों के मामले में डीएसए को 0.5 प्रतिशत तक कमीशन का भुगतान किया गया था. लेकिन अविनाश भोसले की कंपनियों को 3 प्रतिशत का कमीशन दिया गया था. जो की बहुत अधिक था.

28 जून को भोसले गिरफ्तार

ईडी ने इस मामले में अविनाश भोसले को 28 जून को गिरफ्तार किया था. 9 दिन तक भोसले को ईडी ने अपनी रिमांड में रखा. जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया.

ईडी ने पुणे पुलिस एफआईआर के आधार पर अविनाश भोसले की एबीआईएल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया. पुणे पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी. जिसमें सरकारी आवासीय परिसर या सरकारी उद्देश्यों के लिए आरक्षित जमीन को रंजीत मोहिते द्वारा अविनाश भोसले कंपनी एआरए संपत्तियों को ट्रांसफर की गई थी.

अविनाश भोसले की कंपनी एबीआईएल का हेड ऑफिस उसी सरकारी जमीन पर मौजूद था जिसे ईडी ने पिछले साल अगस्त में कुर्क किया था. इस साल की शुरुआत में ईडी ने भोसले को नोटिस जारी कर संपत्ति खाली करने को कहा था क्योंकि उन्हें न्यायिक प्राधिकरण से कुर्की की पुष्टि मिली थी. फेमा संबंधित जांच में ईडी द्वारा अविनाश भोसले, उनकी बेटी, बेटे और पत्नी से भी पूछताछ की गई थी.

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