नागपुर में हुई हिंसा के बाद पीड़ितों ने अपना दर्द बयां किया. एक व्यापारी ने कहा, "इज्जत की बात है, पैसे की नहीं." हिंसा में गाड़ियां जलाई गईं और दुकानों पर हमला किया गया. पुलिस की देरी से पहुंचने पर भी सवाल उठे. राजनीतिक नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए. मुख्यमंत्री और गृहमंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठे.