हरियाणा के करनाल में जिस रोबोट ने बम डिफ्यूज करने और उसे खोजने में मदद की है, उसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है. दुनियाभर में आतंकी गतिविधियां करने वाले समूह अक्सर बम प्लांट करते हैं. बम निरोधक दस्ते उसे निष्क्रिय करते हैं. लेकिन कई बार ये बम फटने से दस्ते के जवान घायल हो जाते हैं या फिर मारे जाते हैं. इससे बचने के लिए दुनियाभर के देशों में रोबोट्स बनाए गए हैं. ऐसा ही एक रोबोट है डीआरडीओ का दक्ष (Daksh).
दक्ष (Daksh) बिजली से चलने वाला और दूर से नियंत्रित किया जाने वाला रोबोट है. इसे रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) कहते हैं. इसे रिमोट के जरिए दूर से ऑपरेट किया जाता है ताकि जान-माल का नुकसान कम हो. इसका मुख्य काम है IED, RDX, C4 जैसे खतरनाक पदार्थों से बने बमों को खोजना. उन्हें निष्क्रिय करना. यह बमों को सुरक्षित दूरी से खोजता है. नष्ट करता है. इसमें एक बंदूक भी लगी होती है, जो फायरिंग कर सकती है. (फोटोः विकिपीडिया)
यह दरवाजों को तोड़ सकता है. अपने खांचेदार पहियों की मदद से सीढ़ियां चढ़ सकता है. इसमें लगा स्कैनर, विस्फोटक की जांच करने के लिए गाड़ियों की स्कैनिंग कर सकता है. रोबोट क्या देख रहा है, उसका सीधा फीड उसे चला रहे इंसान के रिमोट स्क्रीन पर दिखता है. इसे 500 मीटर की दूरी से ऑपरेट किया जा सकता है. इस रोबोट का 90 फीसदी हिस्सा स्वदेशी है. (फोटोः गेटी)
यह एक बार रीचार्ज होने पर करीब 3 घंटे तक काम करता है. इसे सीमा पर IEDs की पहचान करने के लिए तैनात किया गया है. ताकि सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान भारत के जवानों की जान न जाए. दक्ष (Daksh) को बनाने में डीआरडीओ के अलावा टाटा मोटर्स, डायनालॉग, थेटा कंट्रोल्स और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मदद की है.
शुरुआत में दक्ष (Daksh) की 500 यूनिट्स को भारतीय सेना में भर्ती करने की योजना थी. फिलहाल अब तक देश के विभिन्न स्थानों पर 250 दक्ष तैनात हैं. यह पूरी तरह से आटोमेटिक है. इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी शील्ड लगी हुई है जो कि सिग्नल को जाम करके बम में विस्फोट होने से रोक सकता है. (फोटोः गेटी)
यह एयरपोर्ट पर किसी संदिग्ध सामान को छांटकर उसकी जांच कर सकता है. या फिर उसे बाहर ले जाकर नष्ट कर सकता है. इसमें रोबोटिक हाथ लगे हैं जो किसी चीज को उठा सकता है. नष्ट भी कर सकता है. यह बायोलॉजिकल, केमिकल और रेडियोलॉजिकल हथियारों को नष्ट कर सकता है. (फोटोः गेटी)