इंडिया टुडे ग्रुप, हाउ इंडिया लिव्ज, और कैडेंस इंटरनेशनल ने मिलकर एक बड़ा सर्वे किया है. इस सकल घरेलू व्यवहार (GDB) सर्वे में लिंग-जाति-धर्म के भेद से लेकर सुरक्षा-सिविक सेंस पर देश का व्यवहार कैसा है ये सामने आया है.
देशभर में 88% लोग दुर्घटना के समय पुलिस या एंबुलेंस को फोन करने को तैयार हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा 99% है और ओडिशा में 78%.
79% लोग सरपंच या पार्षद से अपनी समस्या साझा करने में सहज महसूस करते हैं, लेकिन 21% झिझकते हैं. ओडिशा में 93% लोग स्थानीय नेताओं से संपर्क करने में हिचकिचाते नहीं, जबकि कर्नाटक में यह संख्या 65% है.
84% लोग तंबाकू प्रतिबंध के पक्ष में, 16% खिलाफ. तमिलनाडु में 96% लोग प्रतिबंध चाहते हैं, जबकि गुजरात में 34% इसके विरोध में हैं.
76% लोग रोजमर्रा के लेन-देन के लिए UPI या डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं. दिल्ली में यह आंकड़ा 96% है, जो डिजिटल ट्रांजैक्शन की व्यापक स्वीकृति दिखाता है.
81% लोग बिना हेडफोन सार्वजनिक स्थानों पर म्यूजिक सुनना गलत मानते हैं. ओडिशा में 95% लोग इसके खिलाफ, जबकि असम में 37% को कोई आपत्ति नहीं.
69% भारतीय जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित, 20% इसकी परवाह नहीं करते हैं, 11% अनजान हैं. हरियाणा में 93% लोग चिंतित हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में यह संख्या सिर्फ 37% है.
82% लोग शराब बिक्री पर प्रतिबंध के पक्ष में हैं, जबकि 17% विरोध में हैं. आंध्र प्रदेश में 42% लोग शराबबंदी के खिलाफ हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में 91% इसके समर्थन में हैं.
ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करने के मामले में कर्नाटक के 89% लोगों का कहना है कि यह तो उनके राज्यों में आम बात है. हालांकि, इस सवाल पर एवरेज 49% लोग मानते हैं कि ट्रैफिक नियमों की अनदेखी आम बात है.
GDB सर्वे में 21 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 98 जिलों में 9,188 लोगों से बातचीत की गई. इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि सामाजिक जागरूकता और नागरिक शिष्टाचार को लेकर कुछ राज्य आगे हैं, जबकि कुछ राज्यों में जागरूकता की जरूरत है.