ये बात है साल 2008 की, जब भारतीय वायुसेना (IAF) ने 22 अटैक हेलिकॉप्टर के लिए टेंडर निकाला. इसमें छह अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया. सिकोर्स्की का यूएच-60 ब्लैक हॉक, एएच-64डी, बेल्स का एच-1 सुपर कोबरा, यूरोकॉप्टर टाइगर, मिल्स एमआई-28 और अगस्ता वेस्टलैंड का ए129 मांगुस्ता. अक्टूबर तक बोईंग और बेल ने अपने नाम वापस ले लिए. 2009 में इतनी बड़ी डील को हासिल करने की यह प्रतियोगिता फिर शुरु हुई. (फोटोः ट्विटर/IAF MCC)
साल 2010 में भारत ने 22 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर्स और उससे संबंधित यंत्रों, उपकरणों की खरीद की सहमति दिखाई. 5 अक्टूबर 2012 को वायुसेना चीफ एनएके ब्राउन ने अपाचे के चयन की पुष्टि की. भारतीय वायुसेना ने 22 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर मंगाए ताकि एयर कॉम्बैट मिशन को पूरा कर सकें. इन हेलिकॉप्टर्स की मांग आर्मी एविएशन कॉर्प्स ने भी की. लेकिन 22 हेलिकॉप्टर्स वायुसेना को दिए गए.
भारत ने इसके बाद 2015 में 22 और एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टर्स मंगाए. 11 मई 2019 को पहला अपाचे हेलिकॉप्टर मिला. सितंबर 2019 में 9 अपाचे पाकिस्तान सीमा के पास मौजूद इंडिय एयरफोर्स के पठानकोट एयरबेस पर तैनात किए गये. इंडियन आर्मी के लिए भी छह अपाचे हेलिकॉप्टर मंगाए गए हैं. असल में हर जगह फाइटर जेट्स नहीं जा सकते. क्योंकि उनकी गति बहुत ज्यादा होती है. इसलिए कुछ जगहों पर हमला करने के लिए अटैक हेलिकॉप्टर्स की जरूरत पड़ती है. आइए अब जानते हैं कि भारत के मिले AH-64Es हेलिकॉप्टर्स की खासियत क्या है. (फोटोः गेटी)
AH-64Es अपाचे हेलिकॉप्टर को पहले एएच-64डी ब्लॉक 3 बुलाया जाता था. इसमें अत्याधुनिक डिजिटल कनेक्टिविटी है. ज्वाइंट टैक्टिकल इन्फॉर्मेशन डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम है. ज्यादा ताकतवर इंजन लगता है. इसके अलावा फेस गियर ट्रांसमिशन से लैस किया गया है. इसकी गति को, क्लाइंब रेट और पेलोड क्षमता को भी बढ़ाया गया है. इसमें संचार के लिए सी, डी, एल और केयू फ्रिक्वेंसी बैंड की सुविधा है. (फोटोः ट्विटर/IAF MCC)
AH-64Es हेलिकॉप्टर को उड़ाकर उसके साथ ड्रोन्स भी उड़ाए जा सकते हैं. यानी एक हेलिकॉप्टर से कई ड्रोन्स को नियंत्रित करके उनसे दुश्मन के इलाके को तबाह किया जा सकता है. इसे उड़ाने के लिए 2 पायलटों की जरूरत होती है. इसकी लंबाई 58.2 फीट और ऊंचाई 12.8 फीट है. बिना किसी हथियार या ईंधन के इसका वजन 5165 किलोग्राम होता है. उड़ान के समय यह 10,433 किलोग्राम वजन उठा कर ले जा सकता है. (फोटोः ट्विटर/IAF MCC)
इसमें जनरल इलेक्ट्रिक के 2 टी700-जीई-701 टर्बोशिफ्ट इंजन लगे हैं. जो इसे 1409 किलोवॉट की ताकत देते हैं. चार ब्लेड वाले इसके मुख्य पंखे का व्यास 48 फीट है. यह अधिकतम 293 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है. लेकिन आमतौर पर इसे 265 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ाया जाता है. पायलट इसे कभी भई 365 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति तक नहीं ले जाते. (फोटोः गेटी)
लॉन्गबो रडार मास्ट के साथ यह 476 किलोमीटर कॉम्बैट रेंज तक उड़ान भर सकता है. सामान्य तौर पर फेरी रेंज 1896 किलोमीटर है. यह अधिकतम 20 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें एक 30 मिमी की एम230 चेन गन लगी है. जो एक मिनट में 1200 राउंड फायर करती है. इसके अलावा चार पाइलॉन हार्डप्वाइंट्स हैं. विंगटिप पर AIM-92 स्टिंगर ट्विन मिसाइल पैक लगाया जा सकता है.
AH-64Es अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर में 70 मिमी के Hydra-70, CRV, APKWS या हवा से जमीन पर मार करने वाले रॉकेट लगाए जा सकते हैं. इसके अलावा इसमें AGM-114 हेलफायर मिसाइल के वैरिएंट्स लगाए जा सकते हैं. साथ ही हवा से हवा में मार करने वाली स्टिंगर, एजीएम-65 मैवरिक और स्पाइक मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. (फोटोः ट्विटर/IAF MCC)
AH-64Es हेलिकॉप्टरों का उपयोग पनामा, फारस की खाड़ी, कोसोवो, अफगानिस्तान, इराक, लेबनान, गाजा पट्टी समेत कई युद्धों में हो चुका है. अब तक दुनिया में 2400 अपाचे हेलिकॉप्टर बनाए जा चुके हैं. दुनिया के एक दर्जन से ज्यादा देश इस हेलिकॉप्टर का उपयोग कर रहे हैं. (फोटोः गेटी)