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Light Combat Helicopter: 3 अक्टूबर को वायुसेना पाक सीमा के पास तैनात करेगी अटैक हेलिकॉप्टर

Light Combat Helicopter
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पाकिस्तान की सीमाओं पर अब ऐसा घातक हमलावर हेलिकॉप्टर तैनात होने वाला है, जिससे दुश्मनों की रूह कांप जाएगी. भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) देश की पश्चिमी सीमा को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए स्वदेशी हमलावर हेलिकॉप्टर का पहला स्क्वॉड्रन तैनात करने जा रही है. तैनाती 3 अक्टूबर 2022 को होगी. (फोटोः IAF)

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भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (Light Combat Helicopters - LCH) का एक स्क्वॉड्रन जोधपुर एयरबेस पर 3 अक्टूबर को तैनात करेगी. इसके बाद पाकिस्तान सीमा के आसपास निगरानी करना ज्यादा बेहतर और सुरक्षित हो जाएगा. आतंकी और घुसपैठियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. (फोटोः IAF)

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लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (LCH) के जोधपुर में तैनात होने से जिन मुख्य कामों में मदद मिलेगी वो हैं- कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (CSAR), डिस्ट्रक्शन ऑफ एनेमी एयर डिफेंस (DEAD), काउंटर इनसर्जेंसी (CI) ऑपरेशन, रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट (RPA's) को मार गिराने में आसानी होगी और हाई एल्टीट्यूड बंकर बस्टिंग ऑपरेशंस में मदद मिलेगी. (फोटोः IAF)

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इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने 15 LCH खरीदने के लिए 3,887 करोड़ रुपयों की अनुमति दी थी. जिसमें से 377 करोड़ रुपये इस साल मार्च में जारी किए गए थे. भारतीय वायुसेना और भारतीय थल सेना (Indian Army) के लिए ये हमलावर हेलिकॉप्टर बहुत फायदेमंद साबित होंगे. 15 हेलिकॉप्टरों में से 10 वायुसेना और पांच भारतीय सेना को मिलेंगे. (फोटो: IAF) 

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भारतीय सेना एक जून 2022 को बेंगलुरु में LCH का पहला स्क्वॉड्रन बना चुकी है. ताकि LAC के पास चीन की हरकतों को रोकने में मदद मिले. सेना का प्लान 95 और LCH खरीदने का है. इन हेलिकॉप्टरों को सात यूनिटों में सात अलग-अलग पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जाएगा. लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया है. अब तक 9 हेलिकॉप्टर बने हैं. (फोटोः IAF)

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LCH में दो लोग बैठ सकते हैं. यह 51.10 फीट लंबा, 15.5 फीट ऊंचा है. पूरे साजो सामान के साथ इसका वजन 5800 किलोग्राम हता है. इसपर 700 KG के हथियार लग सकते हैं. अधिकतम गति 268 किमी प्रतिघंटा है. रेंज 550 किमी है. लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भरने की क्षमता है. यह पर्याप्त मात्रा में हथियारों और जरूरी चीजों के साथ 16,400 फीट की ऊंचाई पर भी टेकऑफ कर सकता है. (फोटोः विकिपीडिया)

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LCH में 20 मिमी की एक तोप है. चार हार्डप्वाइंट्स होते हैं यानी रॉकेट्स, मिसाइल और बम लग सकते हैं. या फिर इनका मिश्रण. इस हेलिकॉप्टर का कॉकपिट ग्लास का है. साथ ही फ्रेम कंपोजिट है. भविष्य में इसके वर्जन को और भी ज्यादा अपग्रेड किया जाएगा. HCL का कहना है कि अगर जरुरत पड़ेगी तो वह 150 LCH बनाकर दे सकता है. उसकी योजना हर साल 10 हेलिकॉप्टर बनाने की है. (फोटोः IAF)

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ध्रुव हेलिकॉप्टरों को विकसित करके ही LCH बनया गया है. इस हेलिकॉप्टर की जरुरत तब पड़ी थी, जब करगिल युद्ध हो रहा था. तब से इसे लेकर काम चल रहा था. ट्रायल्स के दौरान इसने भारत के हर तरह के इलाकों में उड़ान भरने की क्षमता को प्रदर्शित किया था. चाहे वह सियाचिन हो या फिर 13 हजार से लेकर 16 हजार फीट ऊंचे हिमालय के पहाड़ हों. या फिर रेगिस्तान या जंगल. (फोटोः IAF)

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एलसीएच हेलिकॉप्टरों की यूनिट जोधपुर में इसलिए तैयार की जा रही है ताकि पुराने Mi-35 और Mi-25 हेलिकॉप्टरों को हटाया जा सके. ये दोनों ही हेलिकॉप्टर रूस ने बनाए थे. इनका उपयोग वायु सेना बहुत पहले से करती आ रही है. इनके एक स्क्वॉड्रन तो खत्म कर दिया गया है. उनकी जगह क्योंकि इनकी जगह पर बोईंग कंपनी का एएच-64ई (AH-64E) अपाचे हेलिकॉप्टर तैनात किए गए है. (फोटोः IAF)

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