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Grenade Launchers: ये हैं 'मौत के गोले'...बंकर हो या बख्तरबंद, उड़ा देते हैं दुश्मन के होश

Indian Army Grenade Launchers
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भारतीय सेनाओं, अर्द्धसैनिक बल और स्पेशल फोर्सेज के पास दो तरह के ग्रैनेड लॉन्चर्स हैं. एक तो रिवॉल्वर की तरफ फायरिंग करता है. यानी छह राउंड ताबड़तोड़. दूसरा किसी भी असॉल्ट राइफल में बैरल के नीचे सेट किया जा सकता है. यानी क्लोज कॉम्बैट हो या दूर से दुश्मन पर हमला करना हो, दोनों ही ग्रैनेड लॉन्चर्स बेहतरीन हैं. पहला है मल्टी ग्रैनेड लॉन्चर 40 मिमी (Multi Grenade Launcher 40 MM) और दूसरा है एआरडीई 40 मिमी यूबीजीएल (ARDE 40 MM UBGL). आइए जानते हैं इन दोनों खतरनाक हथियारों के बारे में... (फोटोः विकिपीडिया)

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भारत के पास जो मल्टी ग्रैनेड लॉन्चर 40 मिमी (Multi Grenade Launcher 40 MM) है, उसे मिलकोर एमजीएल (Milkor MGL) भी कहते हैं. यह 1983 से दुनियाभर के कई देशों की सेनाओं की पहली पसंद रही है. यह ग्रैनेड लॉन्चर सिर्फ युद्ध के समय ही उपयोग नहीं होता. बल्कि, दंगे, हिंसा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग तरह के गोलों को दागने की क्षमता रखता है.

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मल्टी ग्रैनेड लॉन्चर 40 मिमी (Multi Grenade Launcher 40 MM) का वजन 5.3 किलोग्राम होता है. इसकी स्टॉक यानी बट के साथ इसकी लंबाई 30.6 इंच होती है. बिना स्टॉक के 22.2 इंच. इसके बैरल यानी नली की लंबाई दो आकार में आती है. पहली 11.8 इंच और दूसरी 7.9 इंच की. 

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मिलकोर एमजीएल में दो आकार के ग्रैनेड लगते हैं. पहला 40x46 मिमी का और दूसरा 40x51 मिमी का. MGL रैपिड फायर के समय 3 राउंड प्रति सेकेंड की दर से फायर कर सकती है. सस्टेंड मोड में 18 से 21 राउंड प्रति मिनट की दर से गोले दाग सकती है. भारत इस हथियार को खरीदता नहीं है बल्कि तिरुचिरापल्ली स्थित ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनाता है. 

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एक वैरिएंट की फायरिंग रेंज 400 मीटर है और दूसरे की 800 मीटर है. यानी इतनी दूरी तक इसका गोला एकदम सटीक निशाना लगाता है. इनके गोले 75 मीटर प्रति सेकेंड और 125 मीटर प्रति सेकेंड की गति से जाते हैं. इसलिए दुश्मन को बचने का ज्यादा समय नहीं मिलता. 

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मजेदार बात ये है कि इसकी मैगजीन नहीं होती. एक रिवॉल्वर जैसा गोल चैंबर होता है, जिसमें छह राउंड्स गोले आते हैं. एक गोला फायर होने के बाद रिवॉल्वर का राउंड चैंबर घूम जाता है. यानी आप 6 से 8 सेकेंड में छह राउंड फायर कर सकते हैं. इस हथियार का उपयोग दुनिया के दो दर्जन से ज्यादा देश करते हैं. 

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दूसरा ग्रैनेड लॉन्चर जिसका उपयोग भारतीय सेना करती है, उसका नाम है एआरडीई 40 मिमी यूबीजीएल (ARDE 40 MM UBGL). यह असल में 40 मिलिमीटर अंडर बैरल ग्रैनेड लॉन्चर है. जिसे किसी भी असॉल्ट राइफल की नली के नीचे लगाकर उसकी ताकत को बढ़ाया जाता है. इसे भारतीय सेना उपयोग करती है. साल 2010 से यह भारतीय सेना के पास सर्विस में है. (फोटोः विकिपीडिया)
 

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इसे आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट और तिरुचिरापल्ली की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने मिलकर बनाया है. साल 2019 तक इसके 10 हजार यूनिट्स भारतीय सेना को दिए जा चुके हैं. यह 1.5 किलोग्राम का एक अटैचमेंट करने लायक ग्रैनेड लॉन्चर है. इसकी कुल लंबाई 450 मिलिमीटर होती है. बैरल की लंबाई 350 मिलिमीटर होती है. 

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इसमें 40x46 मिलिमीटर का गोला लगता है. जो सिंगल एक्शन से चलता है. इस लॉन्चर से आप एक मिनट में 5 से 7 गोले दाग सकते हैं. इसके गोले की गति 250 फीट प्रति सेकेंड होती है. यानी 76 मीटर प्रति सेकेंड. आप इससे 28 मीटर दूर या 400 मीटर दूर निशाना लगा सकते हैं. यानी इस रेंज में मौजूद दुश्मन की खैर नहीं. गोला फटा दुश्मन दुनिया से हटा. 

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पहले इस हथियार को आयात किया गया था. भारत में इसका उपयोग सबसे पहले सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने किया था. इसे एयर बर्स्ट मोड में डालकर फायरिंग की जा सकती है. लेकिन उसके लिए अलग से प्रोग्रामेबल इलेक्ट्रॉनिक फज लगाना पड़ता है.  

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