Indian Railways: भारतीय रेल को लाइफ-लाइन कहा जाता है. देशवासियों की यात्रा के लिए पहली पसंद रेल ही है. हर तबके के लोग ट्रेन से ही सफर करना चाहते है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारतीय रेल ने कोरोनाकाल के बाद चली ट्रेनों में क्या बदलाव किया है. चलिए, हम आपको बताते हैं कि रेलवे ने अपने महत्वपूर्ण ट्रेनों में एसी कोच की संख्या बढ़ा दी है. इसके साथ ही स्लीपर कोच की संख्या को घटा दिया है.
अब सवाल उठता है कि बाहर से दिखने वाला एसी कोच कितने तरह का होता है. तो हम आपको समझाते हैं कि ट्रेनों में लगने वाले एसी कोच चार तरह के होते हैं. इसमे 1st AC, 2nd AC और 3rd AC अलावा रेलवे ने इकोनॉमी क्लास के नए कोच की शुरुआत की है. ये सभी तरह की बोगियां वातानुकूलित होती हैं, जो गर्मियों के सीजन में सुखद यात्रा का अनुभव कराता है. चलिए इन अलग अलग क्लास के कोच के खासियत को हम बताते हैं.
1st Ac प्रथम श्रेणी के वातानुकूलित कोच: लंबी दूरी की महत्वपूर्ण ट्रेनों में प्रथम श्रेणी (1A) के वातानुकूलित कोच लगाए जाते हैं. इस श्रेणी में सफर करने के लिए यात्रियों को खर्च अधिक करने पड़ते हैं. भारतीय रेल का यह कोच सबसे महंगा होता है. इस प्रथम श्रेणी के कोच में दो और चार सीट वाली बर्थ होती है. चार बर्थ वाले को केबिन कहते हैं. वहीं, दो बर्थ वाले को कूप (Coupe) कहते हैं. किसी कोच में कूप की संख्या 2 होती है. किसी मे एक कूप ही होता है. इसी तरह चार बर्थ वाले केबिन की संख्या चार होती है. इसमे साइड बर्थ नहीं होती है. कुल बर्थ की संख्या 24 होती है. इसकी सीट की चौड़ाई भी अन्य क्लास के कोच से ज्यादा होने के साथ आरामदायक होती है.
अपर बर्थ पर जाने के लिए सीढ़ी की सुविधा रहती है. रीडिंग लैंप भी हर बर्थ पर लगा होता है. इसके केबिन और कूप में दरवाजे भी लगे होतें हैं. हर केबिन और कूप में कालीन बिछाए गए होते है. कचरा फेंकनें के लिए डस्टबिन भी रहता है. इतना ही नहीं कोच अटेंडेंट को बुलाने के लिए एक बेल बटन दिया होता है. इस कोच में नहाने की सुविधा भी होती है.आप गर्म या ठंडे पानी से नहा सकतें है.
एसी फर्स्ट में बर्थ संख्या चार्ट बनने के बाद पता चलता है: एसी फर्स्ट में जब आप टिकट लेते है तो उसपे सिर्फ कंफर्म लिखा होता है, क्योंकि इस कोच को एक्सक्यूटिव क्लास माना जाता है. देश के वीवीआईपी को इसमे पहली प्राथमिकता दी जाती है. चार्ट बनने के बाद ही आपको बर्थ संख्या का पता चल पाता है. इतना ही नहीं, अगर आप दो बर्थ वाले कूप (Coupe) को लेना चाहते है तो इसके लिए रेलवे के पास आपको आग्रह (Request) पत्र कारण के साथ देना होता है. अगर उचित लगा तब जाकर रेलवे आपको कूप एलॉट करती है. फर्स्ट एसी में A से लेकर H तक केबिन और कूप होता है.
उसके अंदर चार और दो बर्थ की संख्या 1 से लेकर 24 तक होती है. ट्रेन के चल टिकट निरीक्षक को अधिकार होता है कि आपके बर्थ संख्या को वीआईपी मूवमेंट के अनुसार बदल सकता है.
2A सेकंड क्लास के वातानुकूलित कोच: सेकंड क्लास के वातानुकूलित कोच का भाड़ा प्रथम श्रेणी के कोच से कम होता है. ट्रेनों में इसकी संख्या एक या दो होती है. इसमे लोअर और अपर के चार बर्थ एक कंपार्टमेंट में होती है. ठीक इसके सामने दो बर्थ साइड लोअर और साइड अपर होते हैं. इसमें बर्थ की संख्या 46/52 होती है. इसलिए 2A कोच में यात्रियों की संख्या भी कम होती है. सुविधाओं की बात करें तो इसके भी बर्थ आरामदायक और चौड़े होते है. इसके प्रत्येक कंपार्टमेंट में दरवाजे की जगह पर्दे लगे होते है. यात्रा के समय चादर, कंबल, तकिया और छोटा तौलिया (बेडरोल) भी दिया जाता है. हर बर्थ पर रीडिंग लैंप और मोबाइल चार्जिंग पॉइंट लगे होते हैं.
3A थर्ड क्लास के वातानुकूलित कोच: भारतीय रेलवे ने सस्ते दर पर ट्रेन में वातानुकूलित सफर का आंनद कराने के लिए ट्रेनों में 3A यानी तृतीय श्रेणी के कोच लगाए है. इस कोच में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या अधिक होती है. खासकर मध्यमवर्गीय लोग इसमें सफर करना पसंद करते है. इस श्रेणी के कोच की अधिक मांग को देखते हुए रेलवे ने महत्वपूर्ण ट्रेनों में तृतीय श्रेणी वातानुकूलित के कोचों की संख्या बढ़ा कर 6 कर दी है. वहीं, स्लीपर क्लास की संख्या को घटा दिया है. सुविधाओं की बात करें तो इसमें इसमें कुल सीटों की संख्या भी 72 होती है. एक कंपार्टमेंट में 6 बर्थ होते है.दो लोअर,दो मिडिल और दो अपर बर्थ रहते है.ठीक इसके सामने 2 बर्थ साइड लोअर साइड अपर के होते हैं. इसमे 2A द्वितीय श्रेणी की तरह कंपार्टमेंट में पर्दे नही लगे होते है. इस श्रेणी में सफर करने वाले यात्रियों को भी बेडरोल दिया जाता है.रीडिंग लैंप और चार्जिंग पॉइंट इसमे भी होती है.
कैसे पहचानें अलग अलग श्रेणियों के कोच: यात्रा करने के दौरान सबसे बड़ी परेशानियों का सामना यात्रियों को अपने कोच को ढूंढे में करना पड़ता है.चलिए हम आपको बताते है कि 1st AC, 2nd AC और 3rd AC को आप ट्रेन के लगने पर कैसे पहचानेंगे.मान लीजिए कि आपकी टिकट प्रथम श्रेणी 1A वातानुकूलित में बर्थ है. इसकी पहचान के लिए रेलवे ने कोच के बीच मे एक डिस्प्ले बोर्ड लगाया है, जिसपर H1 लिखा होता है. इसी तरह एसी 2 के कोच पर A1 लिखा होता है. एसी 3 के कोच पर B1 लिखा होता है. कोच की संख्या बढ़ने पर A2 या B2 कर दिया जाता है. इसके अलावा, ट्रेन के आने से पूर्व स्टेशन पर कोच डिस्प्ले बोर्ड भी लगा होता है कि आपकी बोगी किस जगह पर रुकेगी.
रेलवे ने ट्रेनों में लगने वाले अगल अलग श्रेणी कोच के लिए यात्रियों के किराए का निर्धारण कर रखा है. एसी फर्स्ट में यात्रा करना हवाई जहाज में यात्रा करने के बराबर होता है. बता दें कि अगर समस्तीपुर से नई दिल्ली की यात्रा करनी हो तो यात्रियों को एसी फर्स्ट के लिए 3500 रुपए देनें होंगे. इसी तरह एसी 2 के लिए 2070,एसी 3 के लिए 1455 रुपए लगेंगे.