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India's 5 Dangerous Weapons: भारत के वो 5 हथियार, जिनका हमला किसी 'प्रलय' से कम नहीं

Indias 5 dangerous weapons
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इंडियन एयरफोर्स का तेजस-मार्क1 (IAF's Tejas Mark 1 Fighter Jet)

भारत में निर्मित तेजस मल्टीरोल हल्का फाइटर जेट है. इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाया है. यह 43.4 फीट लंबा है. विंगस्पैन 26.11 फीट है. ऊंचाई 14.5 फीट है. पूरे साजो-समान के साथ इसका वजन 13,500 KG होता है, खाली 6500 किलोग्राम. इसमें 2458 KG फ्यूल पड़ता है. अधिकतम 1980 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से उड़ता है.  यह एक बार में 1850 किलोमीटर उड़ान भर सकता है. कॉम्बैट रेंज 500 किलोमीटर है. यह अधिकतम 53 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. (फोटोः विकिपीडिया)

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इसमें 23 मिमी का ट्विन बैरल कैनन लगी है. इसमें 8 हार्डप्वाइंट्स हैं. या 8 रॉकेट, अलग-अलग तरह मिसाइल या बम लगा सकते हैं. या फिर आप इनका मिश्रण तैयार कर सकते हैं. इसमें हवा से हवा, हवा से सतह, एंटी-रेडिएशन और एंटी-शिप मिसाइलें लग सकती हैं. इसमें प्रेसिसन गाइडेड, लेजर गाइडेड, क्लस्टर म्यूनिशन, अनगाइडेड बम लगाए जा सकते हैं. (फोटोः विकिपीडिया)

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प्रलय मिसाइल (Pralay Missile) 

DRDO ने पिछली साल दिसंबर में प्रलय मिसाइल (Pralay Missile) का सफल परीक्षण किया था. यह छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है. प्रलय मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के अड्डों को नष्ट करने में सक्षम है. इसकी सटीक मारक क्षमता और इसकी गति इसे अत्यधिक ताकतवर बनाती है. यह मिसाइल 5 टन वजनी है. इसमें 500 से 1000 किलोग्राम तक के पांरपरिक हथियार लगाए जा सकते हैं. यह इनर्शियल गाइंडेंस सिस्टम पर चलने वाली मिसाइल है. सॉलिड प्रोपेलेंट फ्यूल है. आपको बता दें कि यह भारत की तीन शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक से मिलकर बन सकती है. ये हैं - प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 मिसाइल. (फोटो: DRDO)

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अगर पृथ्वी-3 मिसाइल के प्लेटफॉर्म को इसका आधार मानते हैं तो प्रलय (Pralay) मिसाइल के वॉरहेड में हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और रणनीतिक परमाणु हथियार भी लगाए जा सकते हैं. हालांकि इस बात की पुष्टि अभी तक डीआरडीओ या रक्षा मंत्रालय ने नहीं की है. प्रलय (Pralay) की टारगेट ध्वस्त करने की सटीकता 10 मीटर यानी 33 फीट है. इसका मतलब ये है कि अगर टारगेट से 33 फीट के दायरे में यह मिसाइल गिरती है, तो भी उतना ही नुकसान करेगी, जितना सटीक निशाने पर गिरती तो करती. इस मिसाइल में इंफ्रारेड या थर्मल स्कैनर लगा हो सकता है, जो टारगेट को अंधेरे में खोजकर उसे नष्ट कर सकता है. (फोटोः DRDO)

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एम9 रीपर/प्रीडेटर ड्रोन (M9 Reaper/Predator Drone)

एम9 रीपर/प्रीडेटर ड्रोन चमगादड़ की तरह रात में देख सकता है. उल्लू की तरह शांति से उड़ सकता है. बाज की तरह हमला करके गायब हो सकता है. यह एक शिकारी है. यह दुनिया का सबसे खुफिया और ताकतवर जासूस. इसका नाम है प्रिडेटर ड्रोन (Predator Drone). इसे एम9 रीपर ड्रोन भी कहते हैं. भारत जिस ड्रोन को अमेरिका से खरीदने की तैयारी में है उसे एमक्यू-9 बी (MQ-9B) लॉन्ग रेंज एंड्यूरेंस ड्रोन कहते हैं. यह हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है.  यह एक बार में 35 घंटे की उड़ान भरने में सक्षम हैं. (फोटोः गेटी)
 

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यह दुनिया का पहला ऐसा ड्रोन है जो हंटर-किलर यूएवी श्रेणी में ज्यादा समय तक (Long-Endurance) और ज्यादा ऊंचाई से निगरानी (High-Altitude Surveillance) करने में सक्षम हैं. भारतीय सेनाएं इसका उपयोग चीन, पाकिस्तान या फिर समुद्री सीमा की निगरानी और हमला करने के लिए कर सकती हैं. खास बात ये है कि इस ड्रोन की मदद से आप समुद्र के अंदर भी झांक सकते हैं. यह पानी की गहराई में मौजूद पनडुब्बियों पर भी नजर रख सकती है. इसकी रेंज 1900 किलोमीटर है. यह अपने साथ 1700 KG वजन का हथियार ले जा सकता है. इसे चलाने के लिए दो पायलटों की जरूरत होती हैं, जो ग्राउंड स्टेशन पर बैठकर वीडियो गेम की तरह इसे चलाते हैं. यह ड्रोन 482KM  प्रतिघंटा की गति से उड़ता है. जो 50 हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन को देखकर उसपर मिसाइल से हमला कर सकता है. (फोटोः गेटी)

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S 400 एयर डिफेंस सिस्टम (S400 Air Defence System)

भारत के S-400 की शुरुआत 28 अप्रैल 2007 से हुई है. यानी रूस का यह एयर डिफेंस सिस्टम नया और आधुनिक है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार भारत का S-400 दुनिया का सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम है. S-400 के चार वैरिएंट्स हैं. जिनकी रेंज 40 किमी, 120 किमी, 200-250 किमी और सबसे अधिक 400 किलोमीटर है. S-400 के चारों वैरिएंट्स की अलग-अलग गति है- 40 KM रेंज वाले की गति 3185 KM/घंटा है, 120 KM रेंज वाले की स्पीड लगभग 3675 KM/घंटा, 200 और 250 KM रेंज वाले की गति 7285 KM/घंटा है और 400 किमी रेंज वाले की गति 17,287 किलोमीटर प्रतिघंटा है. (फोटोः रॉयटर्स)

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S-400 एयर डिफेंस की मिसाइलें 20KM, 30KM और 60KM की ऊंचाई तक जाकर दुश्मन की मिसाइल को वहीं खत्म कर सकती हैं. S-400 एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम 24KG और 180KG के हथियारों को लेकर उड़ सकता है. S-400 एयर डिफेंस एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम एक साथ दुश्मन की कई मिसाइलों पर हमला करने में सक्षम है. इस सिस्टम से स्ट्रैटेजिक बमवर्षकों जैसे B-1, FB-111 और B-52 पर हमला कर सकता है. इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर विमान जैसे EF-111A और EA-6, निगरानी विमान, अर्ली-वॉर्निंग राडार एयरप्लेन, फाइटर प्लेन, बैलिस्टिक मिसाइल आदि को निशाना बना सकता है. (फोटोः रॉयटर्स)

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राफेल फाइटर जेट (IAF's Rafale Fighter Jet)

इंडियन एयरफोर्स का मल्टीरोल फाइटर जेट डैसो राफेल (Dassault Rafale) को उड़ाने के लिए एक या दो क्रू की जरूरत होती है. लंबाई 50.1 फीट, विंगस्पैन 35.9 फीट, ऊंचाई 17.6 फीट और खाली वजन 10, 300 किलोग्राम है. इसमें 4400 से 4700 किलोग्राम फ्यूल आता है. यह अधिकतम 1912 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ता है. इसकी कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है. यह अधिकतम 51,952 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है. (फोटोः पीटीआई)

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राफेल जब सीधे आसमान की ओर उड़ान भरता है तब इसकी गति 304.8 मीटर प्रति सेकेंड होती है. इसमें 30 मिलिमीटर की एक 125 राउंड वाली ऑटोकैनन लगी है. इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स होते हैं वायुसेना के वर्जन के लिए और 13 नौसैनिक वर्जन के लिए. यानी सेनाओं के हिसाब से हथियार लगाने की सुविधा. इसमें हवा से हवा, हवा से जमीन, हवा से शिप और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलें लगाई जा सकती हैं. इसके अलावा इसमें कई तरह के बम लगा सकते हैं. (फोटोः पीटीआई)

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