ओडिशा के बालासोर जिले के बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास 2 जून को हुए भीषण रेल हादसे ने सबको झकझोर दिया है. इस भयानक हादसे में 275 लोगों की जान गई है. रेल मंत्रालय ने इस हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. वहीं, सीबीआई से भी जांच कराने की सिफारिश की गई है.
बालासोर रेल हादसे पर जारी सियासत के बीच ट्रेन सेवा ने फिर रफ्तार पकड़ ली है. विपक्षी पार्टियों की ओर से रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग भी की गई है. विपक्ष लगातार प्रहार कर रहा है कि सरकार बताए हादसे का जिम्मेदार कौन है?
बालासोर में बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास ही यह ट्रेन हादसा हुआ था. जब कोरोमंडल एक्सप्रेस मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन में प्रवेश करने के बाद वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई थी. इस हादसे की चपेट में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी आ गई थी. ट्रेनों की यह टक्कर इतनी जोरदार थी कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतरकर तीसरी लाइन से गुजर रही हावड़ा एक्सप्रेस से टकरा गए थे.
जांचकर्ता तीन ट्रेनों के आपस में टकराने की घटना के पीछे संभावित मानवीय भूल, सिग्नल की नाकामी और अन्य संभावित वजहों की तलाश कर रहे हैं. रेलवे के टॉप अधिकारियों ने दावा किया कि प्वॉइंट मशीन और इंटरलॉकिंग सिस्टम 'एरर प्रूफ' और 'फेल सेफ' है. हालांकि, उन्होंने इसमें बाहरी गड़बड़ की बात से इनकार भी नहीं किया है.
अधिकारियों के मुताबिक, इलेक्ट्रिक प्वॉइंट मशीन रेलवे सिग्नलिंग के लिए सबसे अहम डिवाइस है और ट्रेनों के सुरक्षित संचालन में अहम भूमिका निभाता है. अगर इस मशीन में खराबी आती है तो इससे ट्रेनों के संचालन पर असर पड़ सकता है और कई बार असुरक्षित स्थिति भी हो सकती है.
रेलवे अधिकारियों ने लोकोपायलट की गलती की बात खारिज की है और दावा किया कि ट्रेन ओवरस्पीड नहीं थी. वहीं, हादसे की वजह इलेक्ट्रिक प्वॉइंट मशीन और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से जुड़ी हो सकती है. रेल मंत्री के मुताबिक, प्वॉइंट मशीन की सेटिंग बदली गई थी. ये कैसे और क्यों की गई थी, इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में होगा.