अब दुश्मनों के टैंकों की खैर नहीं है. हमारे मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन (MBT) से सिर्फ गोले ही नहीं निकलेंगे. बल्कि लेज़र गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (LG-ATGM) भी दुश्मन की मौत का सबब बनेंगे. 28 जून 2022 को भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पुणे स्थित केके रेंज पर सफल परीक्षण किया. डीआरडीओ के इस काम में अहमदनगर स्थित ऑर्मर्ड कॉर्प्स सेंटर एंड स्कूल ने मदद की थी. (फोटोः DRDO)
लेज़र गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) ने पूरी सटीकता के साथ टारगेट पर निशाना लगाया. हैरानी की बात ये है कि ये मिसाइल नजदीक और दूर दोनों टारगेट्स को मारकर गिराने में सक्षम है. इस दौरान मिसाइल की टेलीमेट्री और फ्लाइट परफॉर्मेंस सही थी. इस स्वदेशी एंटी-टैंक मिसाइल में टैंडम हाई एक्सप्लोसिव एंटी-टैंक (HEAT) हथियार लगा है, जो अत्याधुनिक एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (ERA) कवच वाले बख्तरबंद वाहनों को छेद सकता है. यानी आज के जमाने का कोई टैंक या बख्तरबंद वाहन इससे बच नहीं सकता. (फोटोः DRDO)
टैंक से दागे जाने वाले ATGM तके साथ दिक्कत आती है कम ऊंचाई और कम दूरी पर हमला करना. क्योंकि टैंक की बैरल इतनी नीचे नहीं जाती. डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने या रक्षा मंत्रालय ने अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि यह कौन सा ATGM था. इसकी रेंज डेढ़ से 5 किलोमीटर तक है. हम आपको भारतीय एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों के बारे में बताते हैं. भारत के पास 10 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें हैं. जो दुश्मन के तोपों की हालत खराब कर सकते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में... (फोटोः DRDO)
स्पाइक/स्पाइक एलआर-2 (Spike/Spike LR-2): भारतीय सेना के पास स्पाइक MR और स्पाइक एलआर एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की संख्या 400 से ज्यादा है. वहीं, भारतीय एयरफोर्स ने Mi-17 हेलिकॉप्टर्स के लिए स्पाइक-एनएलओएस (Spike-NLOS) मंगाए हैं. स्पाइक को इजरायल ने बनाया है. 1981 से दुनिया भर के अलग-अलग देशों में इसकी तैनाती है. 9 से ज्यादा युद्धों में उपयोग किया जा चुका है. अब तक 28,500 से ज्यादा यूनिट्स बन चुके हैं. इसके तीव वैरिएंट्स हैं- स्पाइक-ईआर, स्पाइक एमआर/एलआर और स्पाइक एसआर. लंबाई 3.11 फीट से 5.6 फीट तक होती है. 30 सेकेंड में लॉन्च होने के लिए तैयार हो जाती है. 15 सेकेंड में फिर रीलोड हो जाती है. फायरिंग रेंज 1.5 से 25 किलोमीटर है. इसमें टैंडेम चार्ज हीट वॉरहेड लगाया जाता है. (फोटोः AP)
मिलन 2टी (MILAN 2T): भारतीय सेना के पास 34 हजार मिलन 2टी मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें हैं. इसे फ्रांस और भारत ने मिलकर बनाया है. यह 1972 से दुनिया भर के अलग-अलग देशों में उपयोग की जा रही है. अब तक इसकी 3.50 लाख से ज्यादा यूनिट्स बन चुके हैं. इसके 5 वैरिएंट्स हैं- मिलन-1, मिलन-2, मिलन-2टी, मिलन-3 और मिलन-ईआर. वजन 16.4 किलोग्राम और लंबाई 3.11 फीट है. इसमें सिंगल या टैंडम हीट वॉरहेड लगाया जाता है. इसकी रेंज 200 मीटर से लेकर 3 किलोमीटर तक है. अधिकतम गति 200 मीटर प्रति सेकेंड हैं. इसे टैंक, ट्राइपॉड, कंधे पर रखकर दागा जा सकता है. (फोटोः डिफेंस वॉच)
स्विर/स्नाइपर एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 9M119 Svir (AT-11 Sniper): भारतीय सेना के पास 25 हजार 9M119 Svir (AT-11 Sniper) एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें हैं. इसे रूस ने बनाया था. लेकिन अब इसका निर्माण भारत में ही हो रहा है. इसे भारत, रूस, चीन, सर्बिया और दक्षिण कोरिया की सेनाएं उपयोग कर रही हैं. एक मिसाइल का वजन 16.5 से 17.2 किलोग्राम है. इसमें 4.5 किलोग्राम का टैंडम हॉलो चार्ज वॉरहेड लगता है. इसकी फायरिंग रेंज 4 से 5 किलोमीटर है. यह करीब 980 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. इसे 125 मिलिमीटर स्मूथबोर गन से लॉन्च किया जाता है. यह लेजर गाइडेड मिसाइल है यानी जहां लेजर पड़ेगी, वहीं ये मिसाइल जाकर बर्बादी कर देगी. (फोटोः विकिपीडिया)
✅️Indigenously-developed Laser-Guided ATGM successfully tested by @DRDO_India & #IndianArmy
— PIB in Odisha (@PIBBhubaneswar) June 28, 2022
✅️In the test, the ATGM hit the bull’s eye with textbook precision and successfully defeated the target at minimum rangeshttps://t.co/mkhSInhLnD pic.twitter.com/XKVHgJcYHN
कॉन्कर्स/स्पैड्रेल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 9M113 Konkurs - M (AT-5 Spandrel): भारत के पास रूस की बनाई ये एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 15,140 की संख्या में मौजूद हैं. इन्हें भारतीय सेना ने बीएमपी-2 इन्फैन्ट्री वाहनों पर तैनता करने के लिए मंगाया था. हालांकि ये ट्राइपॉड से भी दागी जा सकती है और कंधे से भी. इसे 1970 में डिजाइन किया गया था. इसकी मिसाइल का वजन 14.6 किलोग्राम है. लॉन्चिंग पोस्ट का वजन 22.5 किलोग्राम है. मिसाइल की लंबाई 45 इंच है. इसमें 2.7 किलोग्राम हीट वॉरहेड लगाया जाता है. इसकी ऑपरेशनल रेंज 70 मीटर से लेकर 4 किलोमीटर तक है. यह 208 मीटर प्रति सेकेंड की गति से चलती है. इसे दुनिया के 2 दर्जन से ज्यादा देश इस्तेमाल करते हैं. (फोटोः विकिपीडिया)
कॉर्नेट/स्प्रिग्गन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 9M133 Kornet (AT-14 Spriggan): भारतीय सेना के पास 3000 कॉर्नेट/स्प्रिग्गन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हैं. ये मैन पोर्टेबल हैं. यानी कंधे से दागी दा सकती हैं. इन्हें 250 लॉन्चर्स के साथ रूस से खरीदा गया था. 1998 से अब तक कई देशों की सेनाओं में तैनात. एक दर्जन युद्धों में हो चुका है उपयोग. अब तक 35 हजार यूनिट्स बनाई गई हैं. एक मिसाइल का वजन 27 से 64 किलोग्राम तक होता है. लंबाई 1200 मिलिमीटर होती है. इसमें 4.6 किलोग्राम का हीट वॉरहेड लगाया जाता है. कॉर्नेट की रेंज 100 मीटर से 5.5 किलोमीटर और कॉर्नेट-ईएम की रेंज 8 से 10 किलोमीटर है. सटीकता 5 मीटर की है. यानी टारगेट अपने स्थान से 5 मीटर की दूरी तक भागता है तो भी नष्ट हो जाएगा. (फोटोः विकिपीडिया)
अटाका/स्पाइरल-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 9M120 Ataka-V (AT-9 Spiral-2): रूस में बनी इस एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 1985 से दुनिया की कई सेनाओं में शामिल हैं. भारत के पास कितनी है, इसकी कोई जानकारी नहीं है. इस मिसाइल का वजन 49.5 किलोग्राम होता है. लंबाई 72 इंच है. इसमें 7.4 किलोग्राम का टैंडम हीट वॉरहेड लगता है. इसकी रेंज 400 मीटर से 6 किलोमीटर है. यह अधिकतम 4 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता है. अधिकतम गति 550 मीटर प्रति सेकेंड होती है. इसे आमतौर पर मुख्य युद्धक टैंक के खिलाफ दागा जाता है. इसे हेलिकॉप्टर से भी दागा जा सकता है. (फोटोः विकिपीडिया)
#DRDOUpdates | Indigenously developed Laser Guided ATGM was successfully tested today from MBT Arjun. Missile hit the bull’s eye with textbook precision. Trial has established the ATGMs capability to engage targets from min to max ranges. @DefenceMinIndia @SpokespersonMoD pic.twitter.com/bwZ25vyfMI
— DRDO (@DRDO_India) June 28, 2022
श्टर्म/स्पाइरल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 9K114 Shturm (AT-6 Spiral): भारतीय सेना के पास रूस में बनी श्टर्म यानी स्पाइरल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 800 हैं. इस मिसाइल का उपयोग रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए किया है. इसे हेलिकॉप्टर, आर्मर्ड व्हीकल, टैंक के ऊपर तैनात करके फायर किया जाता है. यह 5.3 फीट लंबा होता है. इसका वजन 31.4 किलोग्राम है. अधिकतम गति 1240 किलोमीटर प्रतिघंटा है. रेंज 400 मीटर से 5 किलोमीटर है. इसमें 5.3 किलोग्राम का हीट, पेनेट्रेशन वॉरहेड लगाया जा सकता है. इसके 6 वैरिएंट्स मौजूद हैं. दुनिया के एक दर्जन से ज्यादा देशों में इसका उपयोग होता है. (फोटोः विकिपीडिया)
ध्रुवास्त्र/हेलिना/नाग (DhruvAstra/HELINA/NAAG): भारत में बने ध्रुवास्त्र एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल को हेलिना (HELINA) भी कहते हैं. इससे पहले इसका नाम नाग मिसाइल (Nag Missile) था. ध्रुवास्त्र मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से चलती है. यानी 828 किलोमीटर प्रति घंटा. इस गति से आती किसी भी मिसाइल से बचने के लिए दुश्मन के टैंक को मौका नहीं मिलेगा. ध्रुवास्त्र (Dhruvastra) की रेंज 500 मीटर से लेकर 20 किलोमीटर तक है. ध्रुवास्त्र तीसरी पीढ़ी की 'दागो और भूल जाओ' टैंक रोधी मिसाइल (ATGM) प्रणाली है, जिसे आधुनिक हल्के हेलिकॉप्टर पर स्थापित किया गया है. ध्रुवास्त्र मिसाइल हर मौसम में हमला करने में सक्षम है. साथ ही इसे दिन या रात में भी दाग सकते हैं. ध्रुवास्त्र मिसाइल का वजन करीब 45 किलोग्राम है. यह 6 फीट एक इंच लंबी है. इसका व्यास 7.9 इंच है. इसमें 8 किलो विस्फोटक लगाकर इसे बेहतरीन मारक मिसाइल बनाया जा सकता है. (फोटोः DRDO)
एमपीएटीजीएम (MPATGM): इसका पूरा नाम है मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल. यह भारत में बनी है. फिलहाल इसके ट्रायल्स पूरे हो चुके हैं. इसे सेना में भर्ती किया जाना है. इसका वजन 14.50 किलोग्राम है. लंबाई 4.3 फीट है. इसे दागने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है. इसके रेंज 200 मीटर से लेकर 2.50 किलोमीटर है. इसमें टैंडम चार्ज हीट और पेनेट्रेशन वॉरहेड लगाए जा सकते हैं. इसे DRDO ने बनाया है. सेना में इसके शामिल होने के बाद फ्रांस में बनी मिलन-2टी और रूस में बनी कॉन्कर्स एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों को हटा दिया जाएगा. (फोटोः DRDO)
सैमहो (SAMHO): सैमहो एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल तोप से लॉन्च की जाने वाली मिसाइल हैं. जिसे भारत बना रहा है. अब तक इसके दो परीक्षण हो चुके हैं. यह 4.7 इंच लंबी है. इसमें टैंडम हीट वॉरहेड लगता है. इसके रेंज 1.5 से 5 किलोमीटर होगी. इसे अर्जुन मेन बैटल टैंक और भीष्म टैंक पर लगाया जाएगा. ताकि अपने तोप दुश्मन के तोपों को इसी से मारकर खत्म कर दें. (फोटोः DRDO)