देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा का 100 साल की उम्र में निधन हो गया. शुक्रवार की सुबह 3:30 बजे उन्होंने अहमदाबाद के अस्पताल में अंतिम सांस ली. पीएम मोदी को अपनी मां से बेहद लगाव था और जब भी वो गुजरात दौरे पर जाते थे तो अपनी मां से जरूर मिलने की कोशिश करते थे.
अब मां के निधन के बाद पीएम मोदी ने 100वें जन्मदिन के मौके पर उनकी कही एक बात को ट्विटर के जरिए लोगों के बीच साझा किया है. उन्होंने ट्वीट कर बताया, 'मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से.'
इससे पहले पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर लोगों को अपनी मां की निधन की जानकारी दी थी. पीएम ने लिखा, 'शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम... मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है.'
प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां के साथ स्नेह के कोमल धागे में बंधे हुए थे और ये हमेशा नजर आता जब भी वो अपनी मां से मिलने जाते थे. वो वहां टेबल पर बैठकर अपनी मां के साथ खाना खाते थे और फिर उनसे घंटों बातें किया करते थे.
पीएम मोदी ने एक बार अपनी मां की एक खास आदत के बारे में भी लोगों को बताया था. उन्होंने कहा कि उनकी मां कभी खाना बर्बाद नहीं करती थी और जितना खाना हो उतना ही भोजन अपनी थाली में लेती थी. अन्ना का एक दाना भी थाली में नहीं छोड़तीं थीं.
पीएम मोदी अपनी मां के ज्यादा करीब इसलिए भी थे क्योंकि उन्होंने काफी मुश्किलों से गुजर कर परिवार का लालन-पालन किया था. मां के 100वें जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी ने एक ब्लॉग के जरिए अतीत को याद करते हुए बताया था कि मां हीरा बा के टूटे हुए घर में बालक नरेंद्र मोदी अपने पांच भाई-बहनों के साथ रहते थे. उनके पिता का असामयिक निधन हो गया था. 6 बच्चों और सातवीं मां हीरा बा. सात लोगों का ये परिवार बेहद कठिनाइयों में पला बढ़ा था जिसे मां ने संभाला था.
पीएम मोदी ने उस ब्लॉग में अपनी मां हीरा बा की एक खास आदत का भी जिक्र किया था. उन्होंने उसमें बताया था कि 'दिल्ली से मैं जब भी गांधीनगर जाता हूं, उनसे मिलने पहुंचता हूं, तो मुझे अपने हाथ से मिठाई जरूर खिलाती हैं और जैसे एक मां, किसी छोटे बच्चे को कुछ खिलाकर उसका मुंह पोंछती है, वैसे ही मेरी मां आज भी मुझे कुछ खिलाने के बाद किसी रूमाल से मेरा मुंह जरूर पोंछती हैं. वो अपनी साड़ी में हमेशा एक रूमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं.'
प्रधानमंत्री मोदी ने उस ब्लॉग में बताया था कि जब उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया था तो उनकी मां को इसका आभास हो गया था. वो बोलीं कि तुम्हारा जो मन करे वो करो, लेकिन अपनी जन्मपत्री एक बार दिखा लो. पिताजी मेरी जन्मपत्री के साथ एक ज्योतिषी से मिले. जन्मपत्री देखने के बाद ज्योतिषी ने कहा था कि उसकी तो राह ही कुछ अलग है, ईश्वर ने जहां तय किया है, वो वहीं जाएगा.
जब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी से पूछा गया था कि क्या वे अपने वेतन का कुछ हिस्सा हर महीने अपनी मां को भेजते हैं. इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा था कि उनकी माता आज भी स्वयं उन्हें ही पैसा देती हैं. जब वे उनसे मिलने जाते हैं तो वो उन्हें सवा रुपये पक्का हाथ में देती हैं.
पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी अपनी मां को कुछ दिनों के लिए दिल्ली अपने आवास लोक कल्याण मार्ग पर ले आए थे. इस बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि मेरी मां मुझे कहा करती थी कि तुम मेरे पीछे क्यों समय खराब करोगे? मैं यहां क्या करूंगी? तुम्हारे साथ मैं क्या बात करूं. फिर मैं मां को समय भी नहीं दे पाता था. एकाध बार साथ में खाना खा लेता था. कभी कभार देर से आता था तो मां को दुख होता था. रात में बारह बजे आया. मां सोचती थी क्या कर रहा है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का जन्म 18 जून, 1923 में गुजरात के मेहसाणा जिले के विसनगर में हुआ था. यह गांव वडनगर के करीब है. वडनगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहनगर है. पीएम मोदी ने लिखा था कि उनकी मां हीरा बा ने स्कूल का दरवाजा नहीं देखा था.
हीराबेन अपने भाई-बहनों में सबसे छोटी थी और उनका पालन-पोषण उनकी नानी ने किया था. हीरा बा का विवाह दामोदर दास मूलचंद मोदी के साथ हुआ था. हीराबेन के छह बच्चे हैं, जिनमें पांच बेटे और एक बेटी है. सोमा मोदी, अमृत मोदी, नरेंद्र मोदी, प्रह्लाद मोदी, पंकज मोदी और एक बेटी वासंती मोदी हैं. नरेंद्र मोदी तीसरे बेटे हैं
नरेंद्र मोदी भले ही गुजरात के सीएम से देश के पीएम बन गए हो, लेकिन उनकी मां हीराबेन ने हमेशा से सत्ता की चमक-दमक से दूरी बनाए रखी थी. पीएम मोदी के साथ उनकी मां हीरा बा सिर्फ दो बार ही सार्वजनिक कार्यक्रम में उनके साथ रही हैं. पहली बार जब नरेंद्र मोदी श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराकर लौटे थे तो अहमदाबाद में हुए नागरिक सम्मान कार्यक्रम में मां ने मंच पर आकर मोदी का टीका किया था.
नरेंद्र मोदी के दूसरी बार गुजरात के सीएम बनने के बाद साल 2003 में मुख्यमंत्री आवास पर एक पारिवारिक गेट-टू-गेदर था जब हीराबेन पहली बार मुख्यमंत्री आवास पर आई थीं. मुख्यमंत्री 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान मुश्किल से एक या दो बार वो मुख्यमंत्री आवास पर गई थीं.
पीएम की मां हीरा बा को मंगलवार को अचानक से सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी. इसके अलावा उन्हें कफ की शिकायत भी थी. इसके बाद उन्हें आनन-फानन में अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल के कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती करा दिया गया. डॉक्टरों ने उनकी मां का एमआरआई और सीटी स्कैन किया. गुरुवार को अस्पताल की ओर से बयान जारी कर बताया गया था कि उनकी तबीयत में सुधार है. लेकिन शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया.
हीरा बा के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को पीएम मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के घर पर लाया गया. हीरा बा पंकज मोदी के साथ ही रहती थीं. पीएम मोदी ने यहां पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद पीएम मोदी ने अपनी मां के पार्थिव शरीर को कंधा भी दिया. हीरा बा का अंतिम संस्कार गांधीनगर के श्मशान घाट में किया गया.