भारत आज 26 जनवरी को 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. कर्तव्य पथ इस बार गणतंत्र दिवस पर इतिहास बन गया. देश में पहली बार आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परेड की सलामी ली. परंपरा के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और उसके बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान हुआ.
गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार कर्तव्य पथ पर परेड हुई. इससे पहले इस जगह को राजपथ के नाम से जाना जाता था. इस परेड में 'न्यू इंडिया' की झलक दिखाई दी.
कर्नल महमूद मोहम्मद अब्देल फत्ताह एल खारासावी के नेतृत्व में पहली बार कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुए मिस्र के सशस्त्र बलों का संयुक्त बैंड और मार्चिंग दल शामिल हुआ. दल में 144 सैनिक शामिल रहे.
कर्तव्य पथ पर जहां एक ओर शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला तो वहीं दूसरी ओर कर्तव्य पथ पर अलग-अलग राज्यों की झांकियां भी देखने में बेहद सुंदर और लगीं. इन झांकियों में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की झांकी भी नजर आई.
राज्यों की झांकी की बात करें तो आंध्र प्रदेश की झांकी में गणतंत्र दिवस परेड में मकर संक्रांति के दौरान किसानों के त्योहार 'प्रभला तीर्थम' को दर्शाया गया.
असम की झांकी में मां कामाख्या का मंदिर दिखाया गया. झांकी के द्वारा असम को वीरों और अध्यात्मवाद की भूमि के रूप में दर्शाया गया.
उत्तराखंड की झांकी मेंजिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और अलमोड़ा के जागेश्वर धाम की झलक देखने को मिली.
त्रिपुरा की झांकी में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ-साथ पर्यटन और जैविक खेती के माध्यम से सतत आजीविका को दर्शाया गया.
गुजरात की झांकी में मोढेरा सोलर गांव को दर्शाया गया. इस झांकी से जरिए स्वच्छ हरित ऊर्जा दक्ष गुजरात की झलक देखने को मिली.
अरुणाचल प्रदेश की झांकी में टूरिज्म को दर्शाया गया. इस झांकी की थीम थी 'अरुणाचल प्रदेश में पर्यटन की संभावना'.
जम्मू-कश्मीर की झांकी की थीम 'नया जम्मू-कश्मीर' थी. इस झांकी में अमरनाथ गुफा, ट्यूलिप गार्डन और लैवेंडर की खेती की झलक दिखाई दी.
पश्चिम बंगाल की झांकी में दुर्गा पूजा की झलक देखने को मिली. बता दें, दुर्गा पूजा को यूनेस्को द्वारा मानवता की एक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त है.
महाराष्ट्र की झांकी की थीम थी 'संतों और देवताओं की भूमि महाराष्ट्र'. महाराष्ट्र की संस्कृति की झलक झांकी में देखने को मिली.
तमिलनाडु की झांकी के जरिए संगम युग से लेकर वर्तमान तक महिला सशक्तिकरण और संस्कृति को उजागर किया गया.
हरियाणा की झांकी के जरिए इंटरनेशनल गीता महोत्सव को उजागर किया गया. हरियाणा की झांकी में कुरुक्षेत्र की रणभूमि में भगवान कृष्ण का अर्जुन को उपदेश देना और उनका ''विराट स्वरूप'' देखने को मिला.