भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा (Indo-Pak International Border) को इजरायल की तरह अत्याधुनिक बनाने की कवायद तेज कर दी गई है. चप्पे-चप्पे पर कैमरे होंगे. दूर से ही दुश्मन पर नजर रखने के लिए तीसरी आंख लगेगी. आसमानी निगरानी होगी. जरुरत पड़ने पर गोली भी मारी जाएगी. क्योंकि सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटी सीमा पर 5500 सिक्योरिटी कैमरा लगाने जा रही है. सरकार ने इसके लिए 30 करोड़ रुपये जारी किए हैं. इनसे सिर्फ कैमरे ही नहीं बल्कि ड्रोन्स और हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर भी मंगाए जा रहे हैं. ड्रोन्स और कैमरे से निगरानी होगी. तो रात में थर्मल इमेजर काम आएगा. (फोटोः AFP)
बीएसएफ (BSF) के डायरेक्टर जनरल पंकज कुमार सिंह ने कहा कि पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान) से घुसपैठ और अवैध गतिविधियां बहुत ज्यादा होती हैं. यह एक बड़ी चुनौती है. वर्तमान सैन्य बल के पास फुल-प्रूफ सिस्टम नहीं है ताकि हम पाकिस्तान ड्रोन्स का करारा जवाब दे सकें. (फोटोः AFP)
आने वाले समय में देश के सैन्य बल दुश्मन ड्रोन्स को खोजने और मार गिराने के नए तरीके और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाएंगे. इसके लिए सीमा का सर्विलांस बढ़ाना होगा. वह भी बड़े पैमाने पर. इसके लिए काफी ज्यादा सर्विलांस कैमरे और ड्रोन्स की जरुरत है, ताकि पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर सही निगरानी हो सके. (फोटो- गेटी)
बीएसएफ को 5500 सीसीटीवी सर्विलांस कैमरा और कुछ अन्य गैजेट्स मिले हैं. ये गैजेट्स गृह मंत्रालय द्वारा जारी 30 करोड़ रुपये से आए हैं. बीएसएफ ने भी कुछ सस्ती सर्विलांस टेक्नोलॉजी भी विकसित ही है. जिसकी मदद से सीमा पर निगरानी की जा रही है. बीएसएफ ने इसलिए टेक्नोलॉजी विकसित की क्योंकि विदेशी वेंडर वही सामान बेहद महंगा बेचते हैं. इनमें सस्ते सेंसर्स और सर्विलांस डिवाइसेस हैं. (फोटोः इंडिया टुडे)
बीएसएफ के जवान दिन-प्रतदिन सीमापार से आने वाले ड्रोन्स को मार गिराने में क्षमतावान होते जा रहे हैं. वो आसानी से ड्रोन्स को मार गिराते हैं. इस साल सैन्य बलों ने पाकिस्तान सीमा पर 16 ड्रोन्स गिराए हैं. पिछले साल सिर्फ एक ही इस इलाके में गिराया जा सका था. (फोटोः इंडिया टुडे)
बीएसएफ के मुताबिक पाकिस्तान सीमा के पास पिछले साल 114 ड्रोन्स दिखे थे. जबकि इस साल 10 नवंबर तक 218 ड्रोन्स दिख चुके हैं. यानी पिछले साल की तुलना में इस बार लगभग दोगुने ड्रोन्स दिखाई दिए हैं. यह एक बड़ी चुनौती हैं. एम्स के सर्वर पर हुए साइबर अटैक पर डीजी ने कहा कि 5जी टेक्नोलॉजी आ गई है. अब हमें ज्यादा सतर्क रहना होगा. तकनीक का सही से इस्तेमाल करना होगा. उसे सुरक्षित बनाना होगा. (फोटोः इंडिया टुडे)
जहां तक बात रही पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की तो यहां सभी सही कदम उठाए जा रहे हैं. पाकिस्तान से जो भी ड्रोन मार गिराए जाते हैं, उन्हें से अधिकतर चीन में बनते हैं. एक भी आतंकी सीमा पार करके देश में आ नहीं पाएगा. पंजाब पुलिस के 300 जवान बीएसएफ की टुकड़ी के साथ डीप पेट्रोलिंग में मदद कर रहे हैं. ताकि पाकिस्तान से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी न हो सके. (फोटोः इंडिया टुडे)
जहां तक बात रही बांग्लादेश सीमा की तो वहां पाकिस्तान जितनी बुरी हालत नहीं है. लेकिन बिना कागजों के लोग सीमा पार करके भारत में आने का प्रयास करते हैं. यहां से भी स्मगलिंग होती है. ड्रग्स और हथियारों की तस्करी की खबरें आती रहती हैं. गिरफ्तारियां भी होती रहती हैं. भारत-बांग्लादेश सीमा पर घातक हथियारों का इस्तेमाल बहुत कम होता है. अगर दुश्मन हमला करता है तो हमारे जवान घातक हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार रहते हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः इंडिया टुडे)
1962 के युद्ध के बाद एक यूनिफाइड सेंट्रल आर्म्ड फोर्स बनाने की जरूरत पड़ी. ताकि पाकिस्तान की 3,323 किमी लंबी सीमा की निगरानी की जा सके. तब 1 दिंसबर 1965 में इस पैरामिलिट्री फोर्स का गठन किया गया. शुरुआत 25 बटालियन से हुई थी. आज इसके पास 193 बटालियन हैं. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) को तुरंत पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया गया. 1971 के युद्ध के बाद इसने नए बने देश बांग्लादेश की सीमा की निगरानी की. (फोटोः इंडिया टुडे)
आज की तारीख में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में करीब 2.72 लाख जवान काम करते हैं. ये देश की 6386 किलोमीटर लंबी सीमाओं की निगरानी करते हैं. इसके अलावा बीएसएफ को आतंकी और नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर, पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में भी तैनात किया गया है. (फोटोः इंडिया टुडे)
इजरायल अपनी सीमाओं की सुरक्षा तीन तरह के सेपरेशन बैरियर से करता है. एक तो उसने वेस्ट बैंक पर ऊंची दीवार बना रखी है. इसके अलावा कंटीले तारों की फेंसिंग है. इन बैरियर्स के दोनों तरफ विभिन्न तरह की बाधाएं बनाई गई हैं. ये बाधाएं इतनी घातक होती हैं कि इंसान इसमें फंसकर मर सकता है. इसके अलावा बॉर्डर पर सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाती है. ड्रोन्स से नजर रखी जाती है. रोबोट्स के जरिए पेट्रोलिंग कराई जाती है. (फोटोः इंडिया टुडे)