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उत्तरकाशी: 11 दिन, 11 तस्वीरें... देखें सुरंग में कैसे हौसला बनाए हुए हैं 41 मजदूर

Uttarakhand Tunnel Collapse Rescue
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उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हैं, जिसमें उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर  शामिल हैं. मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित निकालने के लिए एक साथ कई प्लान पर काम चल रहा है. होरिजेंटल और वर्टिकल दोनों तरफ से खुदाई की जा रही है. सुरंग में जहां मजदूर फंसे हैं, वहां पहाड़ी में ऊपर से भी सुरंग तक पहुंचने की कोशिश भी की जा रही है.

Uttarakhand Tunnel Accident
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उम्मीद की किरण दिखते ही सुरंग के पास सरगर्मी बढ़ गई है. एक्सपर्ट्स की टीम, NDRF की टीम, एंबुलेंस, डॉक्टरों की टीम मौके पर है. सिलक्यारा छोर से तेजी से खुदाई हो रही है. सब कुछ ठीक रहा तो आज ही अच्छी खबर आ सकती है. वहां की तस्वीरों से स्थिति का काफी हद तक अंदाजा लगाया जा सकता है.

Uttarkashi Tunnel Accident
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उत्तरकाशी में 41 मजदूरों को सुरंग में फंसे आज, 22 नवंबर को 11वां दिन है. रेस्क्यू से जुड़ीं एजेंसियों का अनुमान है कि गुरुवार तक सुरंग से सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकाल लिए जाएंगे. फंसे श्रमिकों के परिजनों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं कि सभी बाहर आएंगे. तमाम एजेंसियों ने भी उन्हें निकालने के लिए ताकत झोंक दी है.

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Uttarkashi Tunnel Accident Live Update
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सुरंग में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू कितना मुश्किल है, उसे ऐसे समझिए कि अब तक सरकार थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की मदद ले चुकी है. कई इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे हैं लेकिन सच तो ये है कि अभी भी रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां पहाड़ की तरह खड़ी हैं.

Uttarkashi tunnel accident rescue operation live
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सुरंग में सुरक्षित मजदूरों की तस्वीरों ने राहत तो दी है, मगर मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लेना अभी इतना आसान नहीं है. इंडोस्कोपिक कैमरे के जरिए ये तस्वीरें बाहर आई हैं, मजदूर पीले और सफेद हेलमेट पहने हुए दिख रहे हैं, इन तस्वीरों ने मजदूरों के सकुशल होने का भरोसा तो दिया है मगर अभी एक चट्टानी सफर है जिसे तय करना है, रेस्क्यू टीम की कोशिश एक है तो खतरे कई हैं.

Uttarakhand News
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सबसे बड़ी चुनौती 60 मीटर मलबे को पार करना है, 24 मीटर तक मलबे में ड्रिलिंग हो चुकी है 40 मीटर की ड्रिलिंग और बाकी है. सबसे बड़ा खतरा ड्रिलिंग के दौरान कंपन का है, डर है कि ड्रिलिंग हुई तो कहीं और मलबा ना गिर जाए. 

tunnel accident
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रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीम ने दो दिन पहले 20 नवंबर को 6 इंच का पाइप मलबे के दूसरी तरफ पहुंचाया था. तब से मजदूरों को खाने-पीने की सभी चीजें इस पाइप के जरिए ही भेजी जा रही हैं. मंगलवार को मजदूरों को रात के खाने में पाइप के जरिए शाकाहारी पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन के साथ चपाती भेजी गईं.

tunnel accident rescue operation
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टनल में मलबे के पीछे फंसे मजदूरों को सेब, ऑरेंज, नींबू पानी के साथ-साथ 5 दर्जन केले भी भेजे गए हैं. छह इंच की पाइपलाइन डाले जाने के बाद ही कई चीजें भेजने में सफलता मिली है. जैसे अब दवा के साथ-साथ नमक और इलेक्ट्रॉल पाउडर के पैकेट भी श्रमिकों तक पहुंचाए जा चुके हैं.

Uttarakhand Tunnel Collapse
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मजदूरों के टनल में फंसने के बाद पहली बार 20 नवंबर को अंदर खाना पहुंचाया जा सका था. सोमवार की रात 24 बोतल भरकर खिचड़ी और दाल भेजी गई थी. 9 दिन बाद पहली बार मजदूरों को भरपेट भोजन मिला था. इसके अलावा संतरे, सेब और नींबू का जूस भी भेजा गया था. इसके अलावा मल्टी विटामिन, मुरमुरा और सूखे मेवे भी भेजे गए थे.

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Uttarakhand Tunnel Collapse
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मजदूरों और सुरंग के अंदर का हाल चाल जानने के लिए पाइप के जरिए सुरंग में कैमरा भेजा गया था. इसमें सुरंग के अंदर के हालात कैद हुए थे. अधिकारियों ने वॉकी टॉकी के जरिए मजदूरों से बात की थी. सुरंग के अंदर का जो फुटेज सामने आया था, उसमें देखा गया है कि वे 10 दिन से कैसे सुरंग में रहने को मजबूर हैं. 

 Uttarakhand Tunnel Collapse Video
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सुरंग से मजदूरों के रेस्क्यू में जुड़े कर्नल दीपक पाटिल ने बताया था कि सुरंग के अंदर फंसे लोगों को खाना, मोबाइल और चार्जर भेजने की कोशिश की जा रही है. अंदर वाईफाई कनेक्शन लगाने की भी कोशिश की जाएगी. जिससे अंदर की स्थिति का पूरी जानकारी हासिल की जा सके.

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