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HELINA मिसाइल दुश्मनों को पहुंचा देगी Hell, चीन बॉर्डर पर तैनात होगा ये खतरनाक भारतीय हथियार

HELINA ATGM Dhruvastra
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भारतीय सेना ने फैसला किया है कि वो एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हेलिना (Anti-Tank Guided Missile HELINA) को चीन सीमा पर तैनात करेगी. इस मिसाइल की खासियत है दागो और भूल जाओ. यानी एक बार जो इसने दुश्मन के टारगेट को लॉक कर दिया तो उसकी तबाही पक्की है. पिछले साल इंडियन आर्मी और एयरफोर्स ने 24 घंटे में इसके दो सफल परीक्षण किए थे. मिसाइल को एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) से लॉन्च किया गया था. (फोटोः DRDO)

HELINA ATGM Dhruvastra
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HELINA को ज्यादा ऊंचाई और रेंज के साथ टेस्ट किया गया था. टेस्ट में मिसाइल ने बेहद सटीकता के साथ टारगेट को हिट किया. इस मिसाइल में लगी इंफ्रारेड इमेजिंग सीकर (IIR) तकनीक गाइड करती है. जो मिसाइल के लॉन्च होने के साथ ही सक्रिय हो जाता है. यह दुनिया के बेहतरीन और अत्याधुनिक एंटी-टैंक हथियारों में से एक है. (फोटोः रक्षा मंत्रालय/ट्विटर)

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साल 2021 की फरवरी में भी इस मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ था. दागो और भूल जाओ के मंत्र पर चलने वाली इस मिसाइल से दुश्मन के टैंक बच नहीं सकते. इस मिसाइल को भारतीय सेना और वायुसेना के हेलिकॉप्टरों पर तैनात करने की तैयारी चल रही है. वैसे तो इसका नाम हेलिना है, लेकिन इसे ध्रुवास्त्र (Dhruvastra) भी कहते हैं. इससे पहले इसे नाग मिसाइल (Nag Missile) बुलाते थे. (फोटोः DRDO)

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HELINA ATGM Dhruvastra
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भारत में बनी HELINA यानी ध्रुवास्त्र मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से चलती है. यानी 828 किलोमीटर प्रति घंटा. इस गति से आती किसी भी मिसाइल से बचने के लिए दुश्मन के टैंक को मौका नहीं मिलेगा. यह स्पीड इतनी है कि पलक झपकते ही दुश्मन के भारी से भारी टैंक को बर्बाद कर सकती है. इसकी रेंज 500 मीटर से लेकर 20 किलोमीटर तक है. (फोटोः DRDO)

HELINA ATGM Dhruvastra
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HELINA यानी ध्रुवास्त्र तीसरी पीढ़ी की 'दागो और भूल जाओ' टैंक रोधी मिसाइल (ATGM) प्रणाली है. यानी LCH Prachand पर भी इसे तैनात किया जा सकता है. यह हर मौसम में हमला करने में सक्षम है. इसे दिन या रात में भी दाग सकते हैं.  इसका वजन करीब 45 किलोग्राम है. यह 6 फीट एक इंच लंबी है. इसका व्यास 7.9 इंच है. इसमें 8 किलो विस्फोटक लगाकर इसे बेहतरीन मारक मिसाइल बनाया जा सकता है. (फोटोः IAF)
 

HELINA ATGM Dhruvastra
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सेना इस ध्रुवास्त्र मिसाइल को ध्रुव हेलिकॉप्टर, एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर समेत अन्य लड़ाकू हेलिकॉप्टरों में लगा सकती है. हेलिना के सफल परीक्षण के बाद DRDO और सेना के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. अब एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के लिए भारत को दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. (फोटोः रक्षा मंत्रालय/ट्विटर)

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हेलिना नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह हेलिकॉप्टर से दागी जाती है. इसमें 8 किलोग्राम वॉरहेड लगाकर बड़े से बड़े और खतरनाक टैंक, बंकर या बख्तरबंद वाहन को उड़ाया जा सकता है. इस मिसाइल के गिरते ही दुश्मन का टैंक कंकाल में बदल जाएगा. इसमें सॉलिड प्रॉपेलेंट रॉकेट बूस्टर लगा है, जो इसे उड़ने में मदद करता है. (फोटोः DRDO)

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