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असम में 'जल प्रलय' का कहर, 24 घंटे में 11 लोगों की मौत, काजीरंगा में डूबे हाथी-हिरण

असम में बाढ़ ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. बीते 24 घंटे में वहां 11 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि काजीरंगा नेशनल पार्क में पानी भर जाने की वजह से जानवर भी अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं. बाढ़ का पानी भर जाने के बाद कुछ हाथी उसमें तैर कर जान बचाने की कोशिश करते हुए भी नजर आए.

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काजीरंगा नेशनल पार्क में भरा पानी
काजीरंगा नेशनल पार्क में भरा पानी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • असम में बाढ़ से बुरा हाल, जानवरों की भी हो रही मौत
  • अब तक असम में 42 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित

असम में बाढ़ रूपी जल प्रलय ने ना सिर्फ लोगों के जीवन को मुश्किल में डाल दिया है बल्कि वहां अब कई जानवरों के जीवन पर भी संकट गहराने लगा है. काजीरंगा नेशनल पार्क में बाढ़ का पानी आ जाने के बाद हाथी और हिरण उसमें तैरते हुए किसी सुरक्षित स्थान की तलाश करते हुए नजर आए.

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बता दें कि असम में बीते 24 घंटे में बाढ़ और भूस्खलन की वजह से 11 लोगों की मौत हो चुकी है. इस बात की जानकारी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दी है. असम में अब तक 42 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं.

शहर के रिहायशी इलाकों में हालात ज्यादा बदतर हैं. स्थानीय प्रशासन ने NDRF और सेना के जवानों को मैदान में उतारा है और युद्धस्तर पर सेना के जवान बाढ़ में फंसे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद कर रहे हैं.
   
काजीरंगा नेशनल पार्क में बाढ़ के हालात को देखते हुए वाहनों की गति 40 किलोमीटर प्रति घंटे की कर दी गई है. बाढ़ की वजह से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में  अब तक 8  वन्यजीवों की मौत हो चुकी है.

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काजीरंगा नेशनल पार्क के 18 फीसदी हिस्से में बाढ़ का पानी भरा हुआ है. पार्क के 223 वन शिविरों में से 55 बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. अगरतली वन क्षेत्र में 16, कहरा वन क्षेत्र में नौ, बागरी वन क्षेत्र में 10, बुड़ापहाड़ वन क्षेत्र में छह, बोकाखाट वन क्षेत्र में तीन, विश्वनाथ वन प्रमंडल में आठ और नगांव वन संभाग में तीन वन शिविर जलमग्न हो गए हैं.

बता दें कि अब तक आठ वन्यजीवों की मौत हो चुकी है, जिनमें से सात हिरण और एक तेंदुआ है. इस संदर्भ में नेशलन पार्क के अधिकारियों ने बताया कि तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आने से चार वन्यजीवों की मौत हो गई. 

वहीं शिलचर शहर के अलग-अलग इलाके में जल प्रलय की वजह से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. शहर की लगभग सभी सड़कें पानी में डूब चुकी है. शिलचर अस्पताल रोड से लेकर रांगिरखाड़ी होते हुए सोनाई रोड तक पानी भरा हुआ है.

सड़क पर पानी में लोगों को नाव चलाने में भी दिक्कत हो रही है क्योंकि  सड़क के पत्थरों से टकराकर नांव खराब होने पर लोगों को पानी में उतरकर उसे ठीक करना पड़ता है. शहर सहित गांव के लोग भी बाढ़ से बुरी तरह  प्रभावित हुए हैं.

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गांव में लोग अपनी जान  हथेली पर लेकर गहरे पानी को लांघते हुए अपना जरुरी सामानों को लेकर आश्रय स्थल की तरफ जा रहे हैं.

कछाड़ जिले में बाढ़ के तांडव देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित लोगों के सहयोग में सभी सरकारी और गैरसरकारी शिक्षा संस्थानों को उनके आश्रय के लिए खोल दिया है. बाढ़ प्रभावित लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचकर कर जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया.

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