इस साल के आखिर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों का खुलासा नहीं किया है. दरअसल रणनीति के बिना कोई दल चुनाव में नहीं उतरता है. इसी रणनीति का एक हिस्सा होता है- सीएम फेस का ऐलान करना. देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों, बीजेपी और कांग्रेस को बार-बार इस दुविधा का सामना करना पड़ता है कि चुनाव से पहले सीएम फेस की घोषणा की जाए या नहीं.
इस दुविधा का एक बड़ा कारण हर पार्टी में सीएम पद की इच्छा रखने वाले कई उम्मीदवारों का होना है. अगर किसी दल ने ऐसे में उम्मीदवार की घोषणा कर दी तो पार्टी के अंदर बवाल भी हो सकता है, जिससे फूट जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है. यह जनता के बीच नकारात्मक छवि पेश कर सकता है.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस साल नवंबर-दिसंबर में पांच महत्वपूर्ण राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं. इन हिंदी पट्टी के राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है. इन तीन राज्यों में से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और मध्य प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है.
हाल ही में कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने बीजेपी को मध्य प्रदेश के लिए अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की चुनौती दी थी. उन्होंने पूछा था कि भगवा पार्टी अपने सीएम उम्मीदवार की घोषणा क्यों नहीं कर रही है?
अमित शाह ने भोपाल में कहा कि मौजूदा समय में शिवराज सिंह चौहान पार्टी के मुख्यमंत्री हैं. आगे क्या होगा यह पार्टी तय करेगी. उन्होंने पत्रकार से कहा कि आप हमारी पार्टी का काम क्यों करने लगे? यही हमारी पार्टी का काम है. यह देखा गया है कि दोनों प्रमुख दल, भाजपा और कांग्रेस, राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करने से बचते हैं.
कांग्रेस की परंपरा को देखें तो आमतौर पर वो ऐसे राज्य में सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं करती है जहां सत्ता में नहीं होती है. अब तक 2022 और 2023 में 11 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जहां कांग्रेस ने चुनाव से पहले कोई सीएम उम्मीदवार पेश नहीं किया.
चुनाव साल | राज्य | बीजेपी | कांग्रेस |
2023 | त्रिपुरा | हां | ना |
नागालैंड | हां | ना | |
मेघालय | ना | ना | |
कर्नाटक | ना | ना | |
2022 | उत्तर प्रदेश | हां | ना |
उत्तराखंड | हां | ना | |
पंजाब | ना | ना | |
गोवा | हां | ना | |
मणिपुर | ना | ना | |
हिमाचल प्रदेश | ना | ना | |
गुजरात | हां | ना |
अगर बीजेपी की बात करें तो वो चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने से बचने का बीजेपी का फैसला रणनीतिक कदम है. पार्टी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का फायदा उठाती है और जाति, राजनीतिक समीकरणों की वजह से बनने वाले किसी भी संभावित आंतरिक-पार्टी विद्रोह को दरकिनार कर देती है. अपनी विचारधारा का पालन करते हुए बीजेपी राज्य स्तरीय चेहरे की जरूरत को खत्म कर मोदी के राष्ट्रीय स्तर के नेतृत्व पर जोर देती है.
बीजेपी चुनावी राज्यों में असमंजस की स्थिति बनाए रखना चाहती है ताकि चुनाव से पहले किसी तरह की गुटबाजी न हो. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बीजेपी की यह रणनीति सफल रही है. साल 2022 के बाद से 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जहां बीजेपी ने चुनाव से पहले केवल पांच राज्यों में अपने सीएम का चेहरा पेश किया था, वो भी उन राज्यो में, जहां पार्टी सत्ता में थी.
(रिपोर्ट- सैफुल्लाह)