विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक की दिल्ली में मंगलवार को चौथी बैठक हुई. इसमें सीट शेयरिंग समेत अन्य पहलुओं पर चर्चा हुई. लेकिन, चुनाव में जाने से पहले पीएम फेस को लेकर प्रस्ताव पर विवाद होने की खबरें हैं. दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी गठबंधन का चेहरा बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव का AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत 12 पार्टियों ने समर्थन भी किया और चुनाव में दलित चेहरे के साथ जाने के फायदे भी गिना डाले. मीटिंग में 28 पार्टियों के नेता शामिल होने पहुंचे थे.
हालांकि, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और जदयू नेता नीतीश कुमार के नाराज होने की चर्चाएं हैं. कहा जा रहा है कि ममता के प्रस्ताव से खफा होकर नीतीश और लालू ने बैठक छोड़ दी और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही होटल से निकल गए. इसे लेकर तमाम चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है. सूत्र यह भी बताते हैं कि जब ममता बनर्जी ने खड़गे के नाम का प्रस्ताव रखा तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत अन्य दलों के नेता चुप्पी साध गए. यानी तत्काल विरोध नहीं किया. संभावना है कि बात चली है तो आने वाले दिनों में इस पर सहमति बनाने की कोशिशें भी तेज हो सकती हैं.
'तो पहले ही स्क्रिप्ट लिख गई थी?'
वहीं, शिवसेना (उद्धव) को लेकर कहा जा रहा है कि वो पहले से ही टीएमसी और AAP नाम का समर्थन कर रही है. सोमवार को दिल्ली आए उद्धव ठाकरे ने सबसे पहले AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की. उसके बाद ममता ने भी केजरीवाल से मुलाकात की और काफी देर तक बातचीत हुई. दोनों बैठकों को शिष्टाचार भेंट बताया गया. बाद में मंगलवार को जब ममता बनर्जी ने मीटिंग में पीएम फेस के तौर पर खड़गे का नाम सुझाया तो तत्काल AAP समेत 12 मुख्य पार्टियों ने प्रस्ताव का समर्थन कर दिया.
'सीट बंटवारे के लिए खड़गे को संयोजक बनाने का भी प्रस्ताव'
इतना नहीं, ममता ने एक और प्रस्ताव रखा है. ये प्रस्ताव भी मल्लिकार्जुन खड़गे की ताकत को बढ़ाने वाला है. ममता ने सीट बंटवारे की निगरानी के लिए भी खड़गे को कमेटी का संयोजक बनाने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि, दोनों प्रस्तावों पर अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है.
'खड़गे बोले- पहले हम जीतने की कोशिश करेंगे'
फिलहाल, जब मीटिंग से बाहर निकले मल्लिकार्जुन खड़गे से सवाल किया गया तो उन्होंने बड़ी साफगोई से जीत पर टारगेट होने की बात कहकर विवाद को टाल दिया है. खड़गे ने कहा, पहले जीत के आना है, उसके बाद इस बारे में बात होगी. हम पहले जीतने की कोशिश करेंगे, उसके बाद सांसद लोकतांत्रिक ढंग से फैसला करेंगे. लोकतंत्र को बचाने के लिए हम सभी को लड़ना होगा. सभी ने यह फैसला किया कि आगे किस तरह से मिलकर काम करना है. सभी दलों ने 8-10 जनसभाएं करने का फैसला किया है. तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली या पंजाब- सीट बंटवारे संबंधी मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा.
'ममता के प्रस्ताव पर कांग्रेस के सामने धर्मसंकट की स्थिति'
इससे पहले कांग्रेस की तरफ से विपक्ष की हर मीटिंग में राहुल गांधी को आगे रखा जा रहा है. राहुल ने अब तक चारों मीटिंग्स में हिस्सा लिया है और अपनी पार्टी की रणनीति में अहम भूमिका निभाई है. यहां तक कि जब गठबंधन का नाम रखने की बात आई तो राहुल गांधी ने ही INDIA (Indian National Developmental Inclusive Alliance) नाम सुझाया. इस प्रस्ताव को सभी दलों ने भी मंजूरी दी. इस बीच, खड़गे के नाम को आगे बढ़ाने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. एक तरफ कांग्रेस को मुख्य भूमिका में रहने के संकेत दिए गए हैं तो दूसरी तरफ पीएम फेस के लिए खड़गे का नाम देकर बड़े वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी की जा रही है. हालांकि, ममता के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो राहुल के सियासी भविष्य को लेकर जरूर पार्टी की रणनीति को झटका लग सकता है.
'सभी पार्टियां मिलकर फैसला करेंगी'
गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के चेहरे पर ममता बनर्जी ने कहा, कोई भी फैसला चुनाव के बाद लिया जाएगा. उन्होंने कहा, जब इतने सारे राजनीतिक दल एक साथ हैं तो यह एक लोकतंत्र है, अलग-अलग राज्य हैं, अलग-अलग विचार हैं, अलग-अलग राय हैं, लेकिन अंततः इंडिया ब्लॉक एक ऐसा मंच है जहां हम एक साथ लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, बीजेपी के पास कोई सहयोगी नहीं है. एनडीए चला गया है. हम ऐसे नहीं हैं. बेहतर होगा कि चुनाव के बाद हमें नतीजे देखने होंगे और फिर पीएम उम्मीदवार की घोषणा करनी होगी. सभी पार्टियां इस पर फैसला करेंगी. उन्होंने कहा, आप तय कर सकते हैं कि पार्टी लोगों और मातृभूमि के लिए कैसे बेहतर कर सकती है. आपको भारत के लोगों को पहली प्राथमिकता देनी होगी. अभी जो चल रहा है वह निरंकुशता है, जिसे कोई भी नहीं चाहता है.
जानिए अलायंस की मीटिंग में और क्या-क्या हुआ...
- सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी ने कहा, खड़गे को गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का चेहरा होना चाहिए. इस प्रस्ताव का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने समर्थन किया. किसी भी सहयोगी दल के नेता ने विरोध नहीं किया. हालांकि, कांग्रेस इस प्रस्ताव पर चुप रही. खड़गे ने बात को खारिज किया और कहा, प्रधानमंत्री पद के चेहरे पर निर्णय चुनाव के बाद ही लिया जाना चाहिए.
- सूत्रों ने यह भी बताया कि कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, AAP, जेडी (यू), राजद, शिवसेना, एनसीपी, सीपीआई (एम), जेएमएम और राजद के शीर्ष नेताओं का एक ग्रुप इंडिया के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे की निगरानी करेगा.
- बैठक में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस बात पर जोर दिया कि गठबंधन में अन्य दल कांग्रेस का समर्थन करेंगे, लेकिन उसे उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में दो कदम पीछे होना चाहिए. यूपी में अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) को नेतृत्व करना चाहिए. पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और पश्चिम बंगाल में टीएमसी लीड करे.
- यह भी आगाह किया गया कि अगर जल्द ही सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी तो गठबंधन की संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा. बैठक में टीएमसी की ओर से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का मुद्दा भी उठाया गया. ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के साथ-साथ 100 प्रतिशत वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) भी होना चाहिए. टीएमसी ने कहा, विपक्षी गठबंधन को जन-समर्थक मुद्दे उठाने चाहिए. सिर्फ मोदी विरोधी नहीं होना चाहिए.
नीतीश बोले- विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ते तो नतीजे अच्छे आते
जेडीयू के सूत्र कहते हैं कि INDIA गठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि जनवरी तक सीट बंटवारा फाइनल हो जाना चाहिए, उसके बाद ही अगली बैठक बुलाई जाए. अगली बैठक में सीट बंटवारा, कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया जाए. राज्यों में प्रचार की रणनीति तय हो जानी चाहिए. पांच राज्यों में गठबंधन के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा जाता तो नतीजे अच्छे आते. आज की बैठक में बताने के लिए बहुत कुछ नहीं था, इसलिए नीतीश कुमार साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद नहीं रहे.
'नीतीश पीएम फेस के उम्मीदवार नहीं'
ममता का खड़गे को लेकर प्रस्ताव पर जदयू नेता राजीव रंजन ने कहा, यदि आप एक पार्टी के नेताओं के बयानों पर नजर डालें तो पता चलता है कि उन्होंने उनके सर्वोच्च नेता का नाम (पीएम चेहरे के लिए) लिया है. नीतीश कुमार किसी भी महत्वपूर्ण पद पर काम करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन कई मौकों पर उन्होंने इस बात से इनकार किया है. बैठक से पहले के उनके बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि वो कोई उम्मीदवार नहीं हैं.
'बंगाल में टीएमसी-कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन संभव'
ममता बनर्जी ने बैठक के बाद एक बयान में कहा कि इंडिया ब्लॉक के पीएम चेहरे का फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी-कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन संभव है और जल्द सीट बंटवारे का फॉर्मूला निकाला जाएगा. ममता ने कहा, बीजेपी के पास 'मीडिया और धनबल' है. लोग विपक्षी दलों के साथ हैं. ममता ने अलायंस की रूपरेखा में देरी के सवाल को खारिज कर दिया और कहा, कभी नहीं से देर बेहतर है. थोड़ा विश्वास रखें. हम एक साथ चर्चा करेंगे, वे चुनावों में व्यस्त थे. हम त्योहारों में व्यस्त थे. हर राज्य की अपनी समस्या है. हम हर इंच लड़ने के लिए तैयार हैं.
'मेरे राजनीतिक मतभेद किसी से नहीं'
पश्चिम बंगाल में गठबंधन की संभावना के बारे में ममता ने कहा, किसी को तो बिल्ली के गले में घंटी बांधनी ही होगी. बंगाल में उनके (कांग्रेस) पास सिर्फ दो सीटें हैं. मैं बातचीत के लिए तैयार हूं. पहले आपको मानसिक रूप से तैयार होना होगा, सैद्धांतिक रूप से सहमत होना होगा. हो सकता है, एक-दो राजनीतिक दल सहमत ना हों, लेकिन यदि अधिकांश राजनीतिक दल एक-एक करके सीट बंटवारे के लिए सहमत होते हैं तो सभी एक साथ आ जाएंगे. मैं नहीं मानती कि मेरे किसी के साथ कोई मतभेद हैं. मेरे राजनीतिक मतभेद हैं. लेकिन मेरे मन में किसी के साथ काम ना करने की कोई प्रतिशोध की भावना नहीं है. मैं किसी के भी साथ काम कर सकता हूं. लेफ्ट के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मुझे कोई समस्या नहीं है.
'अगर इंडिया ब्लॉक मजबूत होगा तो अन्य दल भी आएंगे'
ममता ने विपक्षी गठबंधन में केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति और वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों को शामिल करने की संभावना के बारे में कहा, किसी को एजेंसी की समस्या है, किसी को क्षेत्रीय समस्या है, इसलिए मैं किसी पर टिप्पणी नहीं कर सकती. अगर इंडिया गठबंधन मजबूत है तो हर कोई शामिल होगा.
'बसपा के आने की संभावना नहीं'
मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर ममता ने कहा, उनके शामिल होने की संभावना नहीं है. ममता ने कहा, हम एजेंसियों के दबाव में नहीं आएंगे. हम लड़ेंगे. एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष के खिलाफ किया जा रहा है. उन्होंने बीजेपी पर टिप्पणी की और कहा, 'हमें किसी व्यक्ति से दिक्कत नहीं है. हमें उनकी विचारधारा से दिक्कत है. खासकर हिंदी बेल्ट में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के बारे में ममता ने कहा, बीजेपी मजबूत नहीं है, हम कमजोर हैं. हमें इस पर काबू पाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है.
'अलायंस के लिए बड़ी चुनौती है बीजेपी'
उन्होंने यह भी कहा कि वो हिंदी बेल्ट और अन्य क्षेत्रों के बीच भेदभाव नहीं करतीं हैं. उन्होंने बीजेपी के उस दावे पर भी बात की है कि पीएम मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए लौटेंगे. ममता ने कहा, मैं यह स्वीकार नहीं करती कि 2024 बीजेपी के लिए तय है. हालांकि, ममता बनर्जी ने स्वीकार किया कि बीजेपी इंडिया अलायंस के लिए एक बड़ी चुनौती है. उनके पास 'धनबल' है जो विपक्ष के पास नहीं है. उनके पास बहुत पैसा है. कोई सवाल नहीं कर सकता. लेकिन कुछ राजनीतिक दल, जो भी थोड़ा पैसा (उनके पास) है, वे (सरकार) इसे छीनने के लिए एजेंसियां भेज रहे हैं. उनके पास बाहुबल, धनबल, और एजेंसी की ताकत है. विपक्ष केवल लोगों की आवाज है, वो भी पूरी तरह से तोड़ दी गई है.