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कोरोना के खिलाफ जंग में उतरीं दो दवाएं कैसे करेंगी काम, एक्सपर्ट ने बताया

इस महामारी से लड़ने के लिए बाजार में कई दवाई भी आने जा रही हैं. दावा किया जा रहा है कि उन दवाइयों के जरिए इस महामारी के खिलाफ जीता जा सकता है

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प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना के खिलाफ कितनी कारगर 2-DG
  • 2-DG का फेज़ 3 ट्रायल क्या बताता है
  • कोरोना के खिलाफ सैनोटाइज नाम का स्प्रे

दिल्ली ही नहीं बल्कि देश में कोरोना की दूसरी लहर थमने लगी है. एक तरफ कम आंकड़े अब राहत दे रहे हैं तो वहीं इस महामारी से लड़ने के लिए बाजार में कई दवाई भी आने जा रही है. दावा किया जा रहा है कि उन दवाइयों के जरिए इस महामारी के खिलाफ जीता जा सकता है. इसी कड़ी में अब डीआरडीओ की तरफ से 2-deoxy-D-glucose (2-DG) नाम की सिंपल दवा बनाई गई है. वहीं कनाडा ने सैनोटाइज नाम का एक स्प्रे बना लिया है. हमने डॉक्टरों से बातचीत कर जानने का प्रयास किया कि ये दवाइयां कितनी कारगर साबित हो सकती हैं.

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वायरस को बढ़ने से रोकेगा ये घोल  

कोविड एक्सपर्ट डॉ. सुचिन बजाज ने बताया कि “इसे पाउडर के रूप में सिर्फ पीना भर होगा. जिन सेल में वायरस है उन पर ये पाउडर इकट्टठा हो जाता है और कुछ इस तरह से वायरस के रिप्लीकेशन को रोक दिया जाएगा. यानि ग्लूकोज पीने पर से वारयल लोड कम हो जाएगा. दूसरी खास बात ये है कि इसकी वजह से ऑक्सीजन की जरूरत भी बहुत कम पड़ती है. 2-DG का फेज़ 3 ट्रायल ये दिखाता है कि केवल तीन दिनों मे ही 42 फीसदी मरीज स्टैंडर्ड केअर के साथ ऑक्सीजन पर निर्भर नही थे.“  

स्प्रे नाक में ही वारयस को खत्म कर देगा 

डॉ. सुचिन ने बताया कि विदेशों से भी अच्छी खबर है. कनाडा में दूसरी दवा बनाई गई है  SANOTIZE. सैनोटाइज नाम की कंपनी ने फेज थ्री ट्रायल पूरा कर लिया है और इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्लाई किया है. यूके के NHS हॉस्पिटल में भी इसके ट्रायल हुए हैं. हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने इसको चमत्कारी बताया है. सिर्फ नाक में स्प्रे करने मात्र से वायरल लोड का 95 फीसदी कम हो जाएगा और 72 घंटे के अंदर ही ये 99 प्रतिशत वायरस को खत्म कर देगा.

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वहीं कोरोना की जंग में वैक्सीन को तो अभी भी सबसे बड़ा हथियार बताया जा रहा है. एम्स अस्पताल के पूर्व डायरेक्टर डॉ. एम.सी. मिश्र ने कहा कि जुलाई महीने तक वैक्सीन उत्पादन बढ़ने और अन्य कंपनियों के देश में आने की उम्मीद है ऐसे में जब ज्यादा आबादी को वैक्सीन लग जाएगी तो संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाएगा. रूस की स्पूतनिक वी वैक्सीन आने से भी टीकाकरण अभियान को रफ्तार मिलने जा रही है. 

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