कृषि कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के बीच देश के 32 पूर्व नौकरशाहों ने बयान जारी किया है. पूर्व अधिकारियों ने कृषि कानून का समर्थन किया है और सरकार के प्रयास की तारीफ की. इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए किसानों को गुमराह कर रहे हैं.
बयान में कहा गया कि किसान समुदाय के लिए सरकार के प्रयासों का हम पुरजोर समर्थन करते हैं. हमारा समूह किसानों को गुमराह करने की कोशिशों की निंदा करता है. पूर्व अधिकारियों की ओर जारी बयान में ये भी बताया गया है कि कैसे कृषि कानून किसानों को फायदा पहुंचाएगा.
एक तरफ जहां पूर्व अधिकारियों ने कानून का समर्थन किया है तो वहीं इसका विरोध भी तेज होता जा रहा है. कृषि कानून के विरोध में सोमवार को राजधानी दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ट्रैक्टर में आग लगा दी. राजपथ में इंडिया गेट के पास यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस घटना को अंजाम दिया.
दिल्ली के अलावा चंडीगढ़ में भी ऐसी ही घटना देखने को मिली. दिल्ली में पंजाब यूथ कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने सुबह-सुबह इंडिया गेट के पास ट्रैक्टर में आग लगाई. जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. पंजाब के अलावा दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में भी सोमवार को कांग्रेस ने प्रदर्शन किया. यहां कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
कृषि कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. केरल से कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने सुप्रीम कोर्ट में कृषि अधिनियम को चुनौती दी है. संसद द्वारा पिछले सप्ताह पारित किए गए किसानों से जुड़े बिल को वापस लेने के लिए रिट याचिका दायर की गई है.
कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा अधिनियम, 2020 के किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौते के खिलाफ याचिका दाखिल की है. टीएन प्रतापन ने धारा 32 की धारा 2, 3, 4, 5, 6, 7, 13, 14, 18 और 19 की संवैधानिकता को चुनौती दी है. उनका कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है.