
मणिपुर में एक बार फिर हालात नाजुक बनते नजर आ रहे हैं. कारण, दो छात्रों के अपहरण और हत्या के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. राज्य सरकार का कहना है कि आऱोपियों को अधिकतम सजा सुनिश्चित की जाएगी. इस बीच इनकी गिरफ्तारी के विरोध में इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) समेत अन्य आदिवासी संगठनों ने चुराचांदपुर जिले में सोमवार 1 अक्टूबर सुबह 10 बजे से पूर्ण बंद का आह्वान किया है. वहीं स्थिति को देखते हुए मणिपुर सरकार ने मोबाइल इंटरनेट पर लगे बैन को 6 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है.
दरअसल, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को बताया कि दो मणिपुरी छात्रों के अपहरण और हत्या के मामले में सीबीआई ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है और सरकार उनके लिए अधिकतम सजा सुनिश्चित करेगी. मुख्य आरोपी की पत्नी समेत चारों को एक विशेष फ्लाइट उसे राज्य के बाहर ले जाया गया है.
उधर, कुकी समुदाय के संगठन इन गिरफ्तारियों को अपहरण बताकर इसके विरोध में आ गए हैं. उन्होंने रविवार रात को चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन के बाहर बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही 1 अक्टूबर से चुराचांदपुर के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग समय के लिए बंद का आह्वान किया है.
ITLF ने चुराचांदपुर में बंद की घोषणा की
मणिपुर के मान्यता प्राप्त आदिवासियों के समूह आईटीएलएफ ने गिरफ्तारियों के विरोध में सोमवार सुबह 10 बजे से चुराचांदपुर जिले में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया और सरकार को अल्टीमेटम देते हुए मांग की कि उन्हें 48 घंटों के भीतर रिहा किया जाए. वहीं चुराचांदपुर स्थित संयुक्त छात्र निकाय (जेएसबी) ने भी सोमवार सुबह 6 बजे से जिले में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है.
आईटीएलएफ द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि लमका में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा 2 नाबालिगों सहित 7 कुकी-ज़ो के अपहरण के मामले में, लमका के विभिन्न नागरिक समाज संगठनों की संयुक्त बैठक में निम्नलिखित फैसले लिए गए हैं-
1. 2 अक्टूबर 2023 को सुबह 10 बजे से लमका जिले में अपहरण के विरोध में अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा की गई है.
2. एनआईए और सीबीआई से अनुरोध है कि वे 7 अपहृतों को 48 घंटों के भीतर रिहा करें, नहीं तो मणिपुर के सभी पहाड़ी जिलों में और अधिक तीव्र आंदोलन होगा.
3. मैतेई से लगे सभी सीमा क्षेत्र 1 अक्टूबर से सील कर दिए जाएंगे. किसी को भी बफर जोन में प्रवेश करने या छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे.
4. जरूरी सेवाओं जैसे जल आपूर्ति, प्रेस या मीडिया, चिकित्सा, बिजली और आईटीएलएफ कर्मचारियों को बंद से छूट दी गई है.
इंटरनेट पर बैन 6 अक्टूबर तक बढ़ा
मणिपुर सरकार ने रविवार को राज्य में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से पांच और दिनों के लिए बढ़ा दिया है. यानी अब 6 अक्टूबर तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी. यह घोषणा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जुलाई में लापता हुए दो मैतेई छात्रों की हत्या के सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार करने के कुछ घंटों बाद की गई. हत्या से संबंधित व्यापक छात्र विरोध प्रदर्शन के बाद, प्रतिबंध शुरू में 26 सितंबर को लगाया गया था.
राज्य सरकार द्वारा रविवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, "ऐसी आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाएं भड़काने वाली तस्वीरें, नफरत भरे भाषण और नफरत भरे वीडियो संदेश प्रसारित करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसके मणिपुर राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में गंभीर परिणाम हो सकते हैं. ”
जुलाई से लापता छात्रों की तस्वीर हुई थी वायरल
बता दें कि मणिपुर में जुलाई से लापता दो छात्रों के मर्डर की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी. ये दोनों 6 जुलाई से लापता थे. तस्वीरों से लग रहा है कि इसे दोनों की हत्या के बाद क्लिक किया गया है. पहली तस्वीर में दोनों घास के एक मैदान में बैठे नजर आ रहे हैं. वहीं, दूसरी तस्वीर में उनकी हत्या का आभास हो रहा था. इस फोटो में उनके पीछे दो हथियारबंद लोग भी नजर आ रहे हैं. स्टूडेंट्स की पहचान 17 साल की लड़की हिजाम लिनथोइनगांबी और 20 साल के लड़के फिजाम हेमजीत के रूप में हुई थी.
180 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत
गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद भड़की जातीय हिंसा में अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस हिंसा में 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. हिंसा को कंट्रोल करने और राज्य में हालात ठीक करने के लिए मणिपुर पुलिस के अलावा करीब 40 हजार केंद्रीय सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है. हालांकि इसके बाद भी मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है.
(पीटीआई के इनपुट के साथ)