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हर घंटे 53 एक्सीडेंट, 19 मौतें, खड़ी गाड़ी से हादसे 22 फीसदी बढ़े ... भारत में सड़कों पर यात्रा कितनी खतरनाक?

सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) द्वारा कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 1,68,491 लोगों ने जान गंवाई और 4,43,366 लोग घायल हो गए. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि हर घंटे रोड एक्सीडेंट में 19 लोगों की मौत हुई.

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देश में हर घंटे सड़क हादसों में होती हैं 19 मौतें (प्रतीकात्मक तस्वीर)
देश में हर घंटे सड़क हादसों में होती हैं 19 मौतें (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 'भारत में सड़क दुर्घटनाएँ-2022' पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं जिसमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई. जबकि 4,43,366 लोग घायल हो गए थे.

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रिपोर्ट के अनुसार, हर एक घंटे में 53 सड़क हादसे हुए और हर एक घंटे में 19 लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई. इनमें सीट बेल्ट और हेलमेट का इस्तेमाल न करने वालों की संख्या सबसे अधिक रही. आंकड़ों के मुताबिक, खड़े वाहन से टक्कर के मामलों में सबसे अधिक 22 फीसदी की वृद्धि देखी गई. वहीं आमने-सामने टक्कर के मामलों में भले ही 2.1 फीसदी की वृद्धि देखी गई लेकिन यह एक्सीडेंट का दूसरा सबसे बड़ा प्रकार है.

लगातार बढ़ रही है संख्या

सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता, प्रति 100 दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों की संख्या से मापी जाती है. पिछले एक दशक में इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है. 2012 में इसकी संख्या 28.2% थी जो 2022 में बढ़कर 36.5% हो गई है,जिसमें हर साल लगातार वृद्धि हो रही है. हालांकि, 2020 और 2021 में  COVID-19 लॉकडाउन के कारण सड़क दुर्घटनाओं और उनके कारण होने वाली मौतों में पूर्ण गिरावट दर्ज की गई क्योंकि यात्रा को लेकर बहुत सारे प्रतिबंध लागू थे.लेकिन गंभीर मामलों की दर बढ़ गई थी.

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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एक्सप्रेसवे सहित देश के सड़क नेटवर्क का विस्तार हुआ है और गाड़ियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है जिस वजह से सड़क दुर्घटनाओं के कारण मृत्यु दर भी बढ़ रही है. आंकड़ों के मुताबिक, कार में बैठे हुए उन 16,715 लोगों की मौत हुई है, जिन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी थी. इनमें 8300 लोग कार ड्राइव कर रहे थे, जबकि 8331 लोग कार में सवार थे.

हर घंटे 19 मौतें

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले साल हर घंटे तकरीबन 53 एक्सीडेंट हुए और 19 मौतें हुईं. रिपोर्ट में कहा गया कि देशभर में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई. 2022 में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 11.9% की वृद्धि हुई और मौतों में 9.4% की वृद्धि हुई.

बढ़ती गंभीरता

सेव लाइफ फाउंडेशन के एक विश्लेषण के अनुसार, 38.15 की दुर्घटना गंभीरता के साथ, भारत सड़क दुर्घटनाओं के लिए 20 सबसे खराब देशों में से एक है. इंटरनेशनल रोड फेडरेशन, जिनेवा द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड रोड स्टैटिस्टिक्स, 2022 के अनुसार, जिसने कुल मौतों की संख्या के लिए 2020 के डेटा का अध्ययन किया, उसमें भारत के बाद चीन (25.22 की दुर्घटना गंभीरता के साथ) और अमेरिका (2.01 की दुर्घटना तीव्रता के साथ) का नंबर आता है.

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जानलेवा हाईवे
देश का सड़क नेटवर्क कोविड महामारी से एक साल पहले 2019 में 58.98 लाख किमी था जो 2022 में बढ़कर 63.32 लाख किमी हो गया. राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग की हिस्सेदारी कुल सड़क नेटवर्क में केवल 4.9% है.सड़क दुर्घटनाओं के कारणों में से, "तेज़ गति" सबसे आम रहा जिसमें 72.3% दुर्घटनाएँ हुई और 71.2% मौतें हुईं.

देश में सबसे अधिक हादसे तमिलनाडु में हुए थे. साल 2022 में 64,105 सड़क हादसे हुए, जोकि कुल हादसों का 13.9 फीसदी है. तमिलनाडु के बाद सबसे ज्यादा हादसे मध्य प्रदेश में 54,432 और उसके बाद यूपी में 22,595 हादसे हुए. सड़क दुर्घटना डेटा के आयु-वार विश्लेषण से पता चलता है कि मरने वालों में से अधिकांश 18-45 आयु वर्ग (66.5%) के थे. हालाँकि, 2022 में सड़क दुर्घटनाओं के कारण 9,528 बच्चे भी मारे गए, जिसका मतलब है कि वर्ष के दौरान हर दिन लगभग 26 बच्चों की मौत हुई.
 

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