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54 पूर्व नौकरशाहों ने लिखा फेसबुक को पत्र, कहा- अल्पसंख्यकों को बदनाम करने की न हो कोशिश

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि हमने ये पत्र इस उम्मीद में लिखा है कि वह इसके बाद भारत में लागू होने वाली फेसबुक की हेट स्पीट पॉलिसी को लागू करने को गंभीरता से लेंगे और भारत में अल्पसंख्यकों को बदनाम करने और धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक आधार को कमजोर करने वाली चीजों को बढ़ावा न दें.

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मार्क जकरबर्ग
मार्क जकरबर्ग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देश में फेसबुक को लेकर बहस जारी है
  • 54 पूर्व नौकरशाहों ने लिखा FB को पत्र

देश में फेसबुक को लेकर बहस जारी है. 54 पूर्व नौकरशाहों ने फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग को पत्र लिखा है. इसमें फेसबुक की हेट स्पीच पॉलिसी को ऑडिट करने की मांग की है. पत्र में लिखा गया है कि मार्क जकरबर्ग सुनिश्चित करें कि कंपनी की भारत में पब्लिक पॉलिसी हेड अंखी दास जांच को प्रभावित करने की स्थिति में तो नहीं हैं. 

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नौकरशाहों ने अपने पत्र में लिखा, 'फेसबुक के भारत में कुछ एक्शन ने देश के लोगों के मौलिक अधिकारों को खतरे में डाल दिया है. हमारा इस पर ध्यान 14 अगस्त को वॉल स्ट्रीट जनरल में छपे एक आर्टिकल के बाद गया.' उन्होंने कहा कि हमने ये पत्र इस उम्मीद में लिखा है कि वह इसके बाद भारत में लागू होने वाली फेसबुक की हेट स्पीट पॉलिसी को लागू करने को गंभीरता से लेंगे और भारत में अल्पसंख्यकों को बदनाम करने और धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक आधार को कमजोर करने वाली चीजों को बढ़ावा न दें.

फेसबुक की सफाई

फेसबुक मामले में राजनीतिक बयानबाजी के बीच मैनेजिंग एडिटर और वाइस प्रेसिडेंट अजीत मोहन ने फेसबुक इंडिया की तरफ से अपनी सफाई दी थी. उन्होंने एक ब्लॉग लिखते हुए कहा था कि फेसबुक आज भी (और पहले भी) एक खुला, पारदर्शी और बिना पक्षपात वाला मंच है. जहां लोग स्वतंत्रतापूर्वक अपनी बात रख सकते हैं. पिछले कुछ दिनों में हम पर नीतियों को लागू करने में पक्षपात करने का आरोप लगा है. हम इन आरोपों की गंभीरता से लेते हैं और स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम नफरत और कट्टरता के हर रूप की निंदा करते हैं.

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फेसबुक इंडिया की तरफ से अपनी सफाई में कहा गया था कि सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमलोग किसी भी तरह की नफरत की निंदा करते हैं. हमारे कम्यूनिटी स्टैंडर्ड्स में स्पष्ट है कि फेसबुक पर किन चीजों की अनुमति है और किनकी नहीं. हेट स्पीच को लेकर हमारे यहां विस्तृत और स्पष्ट पॉलिसी है. जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी खास कारण से, धर्म या जाति को लेकर निशाने पर नहीं लिया जा सकता है. 

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