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610 कश्मीरी पंडितों को उनकी खोई ज़मीनें वापस मिलीं, सरकार ने दिलाईं 3000 नौकरियां: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय

संसद के बजट सत्र में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में जानकारी दी कि 90 के दशक से जम्मू-कश्मीर में फैले आतंकवाद के बाद, अपना घर और ज़मीने खो चुके कश्मीरी पंडितों को उनकी संपत्ति वापस दिलाई गई है. 610 प्रवासियों को उनकी जमीनें वापस मिली हैं.  

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संसद में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय
संसद में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में लिखित में जानकारी दी
  • कश्मीरी प्रवासियों के लिए 3,000 सरकारी नौकरियों की व्यवस्था की गई है

संसद के बजट सत्र में बुधवार, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में जानकारी दी कि 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में, जम्मू-कश्मीर में फैले आतंकवाद के बाद, कम से कम 610 कश्मीरी पंडितों को उनकी संपत्ति वापस दिलाई गई है. 

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3,000 सरकारी नौकरियों की व्यवस्था

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में यह भी कहा कि 1,080 करोड़ रुपये खर्च करके, प्रधान मंत्री विकास पैकेज-2015 (PMDP-2015) के तहत, कश्मीरी प्रवासियों के लिए 3,000 सरकारी नौकरियों की व्यवस्था की गई है. जम्मू और कश्मीर सरकार ने PMDP-2015 के तहत, 1,739 प्रवासियों को नियुक्त किया है और इसके अलावा 1,098 प्रवासियों का चयन किया गया है.

पिछले 5 सालों में 610 प्रवासियों को मिलीं ज़मीनें

एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, पिछले 5 सालों में 610 प्रवासी आवेदकों की ज़मीनें उन्हें वापस दी गई हैं.'

मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति(Preservation, Protection and Restraint on Distress Sales) एक्ट 1997, के तहत जम्मू और कश्मीर में संबंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) प्रवासियों की अचल संपत्तियों के कानूनी संरक्षक हैं. डीएम को ऐसी संपत्तियों के संरक्षण के लिए सभी कदम उठाने का अधिकार है.

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6,000 घरों का निर्माण कराया गया

उन्होंने कहा कि सरकार ने कश्मीरी प्रवासियों को घाटी में वापस लाने के लिए कई उपाय किए हैं. इन प्रयासों में कश्मीर घाटी में कश्मीरी प्रवासियों को घर उपलब्ध कराने के लिए, 920 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 6,000 आवास का निर्माण कराना भी शामिल है.

आपको बता दें कि साल 2010 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पटल पर रखे गए आंकड़ों के मुताबिक, '90 के दशक में मारे गए कश्मीरी पंडितों की तादाद 209 थी. केपीएसएस के मुताबिक, ताजा आंकड़ा 677 है. गृह मंत्रालय का आंकड़ा कहता है कि 62,000 से ज्यादा परिवार, जिनमें ज्यादातर कश्मीरी पंडित थे, घर छोड़कर चले गए. उनमें से करीब 40,000 जम्मू में, 20,000 दिल्ली में और बाकी भारत के दूसरे हिस्सों में रह रहे हैं.

 

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