महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है. बुधवार को भी शहर में संक्रमण के 8 नए केस सामने आए. पुणे नगर निगम (पीएमसी) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, इनमें 7 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं. सभी की हालत सामान्य है. जून से अब तक करीब 81 मामले सामने आए हैं. एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि अब तक 4 मरीजों की मौत हुई है, लेकिन ये सभी संक्रमण के अलावा कई और बीमारयों से ग्रसित थे.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कुल संक्रमित लोगों में 26 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं, लेकिन गनीमत ये है कि उनमें से ज्यादातर अभी स्वस्थ हैं और बेहतर महसूस कर रही हैं.इस साल शहर में जीका वायरस संक्रमण का पहला मामला 20 जून को सामने आया था जब एरंडवाने इलाके में एक 46 वर्षीय डॉक्टर का टेस्ट पॉजिटिव आया था. इसके बाद उनकी 15 वर्षीय बेटी में भी संक्रमण की पुष्टि हुई थी.
4 लोगों की हुई मौत
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक 4 लोगों की मौत हुई है. लेकिन इन मरीजों को हृदय संबंधी समस्याएं, लीवर की बीमारियां भी थीं, जिसके चलते उनकी हालत बिगड़ गई.इन चारों मरीजों की उम्र 68 से 78 साल के बीच थी. बता दें कि यह वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है.
कब आया वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार जीका वायरस सबसे पहले 1947 पूर्वी अफ्रीका के देश युगांडा में मिला था, इसका नाम करण भी युगांडा के जंगलों के नाम पर ही किया गया है. उसी समय पहली बार जंगल के बंदरों को आइसोलेट किया गया था. इसके बाद साल 1952 में जीका वायरस ने युगांडा और तंजानिया के लोगों को अपने चपेट में ले लिया था, ये इंसान की कोशिकाओं में वायरस की पहली दस्तक थी. इसके बाद इस वायरस से जुड़े मामले और भी देशों में मिलने लगे और धीरे इस बीमारी का विस्तार हो गया.
क्या है जीका वायरस
ये एडीज मच्छरों (विशेष प्रकार के मच्छर) से फैलने वाली एक बीमारी है, इसे मच्छर जनित फ्लेविवायरस भी कहा जाता है. जो की मानव शरीर की कोशिकाओं का ही इस्तेमाल कर के अपने आकार का विस्तार करता है. कुछ लोगों में इस बीमारी के लक्षण प्रभावित होने के बहुत दिनों बाद नजर आते हैं. साथ ही ज्यादा तर लोगों को संक्रमित होने के बाद भी इस बात का एहसास नहीं होता है कि वे जीका वायरस की चपेट में आ गए हैं.
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गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खतरा
ये बीमारी सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है, इस बीमारी का असर भ्रूण पर हो सकता है. इस वायरस की वजह से भ्रूण के मस्तिष्क का विकास में पूरी तरह से नहीं हो पता है. साथ ही ज़ीका वायरस में एक RNA जीनोम पाया जाता है, जिसके कारण उत्परिवर्तन जमा करने की क्षमता अधिक होती है. इसके अलावा इसके लक्षण बच्चे के जन्म के समय भी देखने को मिल सकता है. उनके दिमाग का विकास नहीं होना, आंखों की रोशनी कम होना जैसे कुछ और सिम्प्टम देखने को मिल सकते हैं.
इसके लक्षण
इस वायरस के लक्षण आमतौर पर मुखर नहीं होते हैं ज्यादा तर लोग तो इसके संकेत से ही अंजान रहते हैं. लोग इस बीमारी के शिकार तो होते हैं, लेकिन फिर भी कोई संकेत नहीं दिखने के कारण इससे अनभिज्ञ रहते हैं. वैसे इस वायरस के प्रभाव से प्रत्यक्ष लक्षण भी हैं, जैसे बुखार, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द तथा दो से सात दिनों तक रहने वाला सिरदर्द हो सकता है.