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भारत-उज्बेकिस्तान के बीच नौ समझौतों पर हस्ताक्षर, आतंकवाद पर पीएम मोदी ने कही ये बात

दोनों देशों के बीच सौर ऊर्जा, डिजीटल प्रौद्योगिकी, प्रतिरक्षा एवं सुरक्षा, डॉलर ऋण, साइबर सुरक्षा, सीमा शुल्क, जनसंचार के क्षेत्रों में नौ समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए.

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भारत-उजबेकिस्तान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर
भारत-उजबेकिस्तान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दोनों देशों के बीच नौ समझौतों पर हस्ताक्षर
  • कोरोना काल के दौरान पहली समिट
  • भारत-उज्बेकिस्तान में द्विपक्षीय वार्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारत-उज्बेकिस्तान डिजिटल शिखर सम्मेलन के दौरान उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मीरजियोयेव से बातचीत की. कोरोना काल में दोनों देशों के बीच ये पहली वर्चुअल समिट थी. पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोनों देश साथ हैं. पीएम मोदी ने कहा कि भारत और उज्बेकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता से एक साथ खड़े हैं और उग्रवाद, कट्टरवाद तथा अलगाववाद के बारे में दोनों देशों की चिंताएं भी एक जैसी हैं. 

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इस मौके पर दोनों देशों के बीच सौर ऊर्जा, डिजीटल प्रौद्योगिकी, प्रतिरक्षा एवं सुरक्षा, डॉलर ऋण, साइबर सुरक्षा, सीमा शुल्क, जनसंचार के क्षेत्रों में नौ समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए. पीएम मोदी ने बैठक के दौरान कहा कि अफगानिस्तान में शांति की बहाली के लिए एक ऐसी प्रक्रिया की आवश्यकता है जो स्वयं अफगानिस्तान के नेतृत्व, स्वामित्व और नियंत्रण में हो. पिछले दो दशकों की उपलब्धियों को सुरक्षित रखना भी आवश्यक है.  

अफगानिस्तान के बारे में प्रधानमंत्री मोदी का बयान ऐसे समय आया है जब अफगान शांति प्रक्रिया गति पकड़ रही है. कुछ महीने पहले ही अफगानिस्तान के शीर्ष शांति वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक प्रतिनिधमंडल के साथ राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी और उन्हें अफगान सरकार तथा तालिबान के बीच दोहा में चल रही शांति वार्ता के बारे में अवगत कराया था. अब्दुल्ला की यह यात्रा दोहा में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता के बीच हुई थी. अब्दुल्ला का भारत दौरा एक क्षेत्रीय आम सहमति बनाने और अफगान शांति प्रक्रिया के समर्थन के प्रयासों का हिस्सा था. 

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बता दें, तालिबान और अफगान सरकार 19 साल के युद्ध को समाप्त करने के लिए पहली बार सीधी बातचीत कर रहे हैं. अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में भारत एक महत्वपूर्ण पक्षकार है. भारत ने अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण गतिविधियों में करीब दो अरब डॉलर का निवेश किया है. फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भारत उभरती राजनीतिक स्थिति पर करीबी नजर बनाये हुए हैं. 

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इस समझौते के तहत अमेरिका, अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटा लेगा. वर्ष 2001 के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिका के करीब 2400 सैनिक मारे गए हैं. बहरहाल, पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और उज्बेकिस्तान के बीच आर्थिक साझेदारी भी मजबूत हुई है और भारत दोनों देशों के बीच विकास की भागीदारी को भी और घनिष्ट बनाना चाहता है. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि भारतीय 'लाइन ऑफ क्रेडिट' के अंतर्गत कई परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है. 

उन्होंने कहा कि उज्बेकिस्तान की विकास प्राथमिकताओं के अनुसार हम भारत की विशेषज्ञता और अनुभव साझा करने के लिए तैयार हैं. अवसंरचना, सूचना और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में भारत में काफी काबिलियत है, जो उज्बेकिस्तान के काम आ सकती है. भारत और उज्बेकिस्तान के बीच कृषि संबंधी संयुक्त कार्यकारी समूह की स्थापना को प्रधानमंत्री ने एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम बताया और कहा कि इससे दोनों देश अपने कृषि व्यापार बढ़ाने के अवसर खोज सकते हैं जिससे दोनों देशों के किसानों को मदद मिलेगी. 

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