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हिंसा पीड़ितों की मदद के लिए मणिपुर जाएगा SC के जजों का दल, विस्थापित लोगों की दिक्कतें सुनेगा

22 मार्च को जस्टिस गवई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के कई जजों का दल मणिपुर का दौरा करेगा. जस्टिस गवई के साथ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस कोटिश्वर सिंह भी साथ होंगे. ये विशिष्ट दल कानूनी और मानवीय मदद का जायजा लेगा, साथ ही विस्थापित लोगों की जरूरतों और मुश्किलों और उनके उपायों पर चर्चा करेगा.

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मणिपुर में विस्थापित लोगों से मुलाकात करेगा SC के जजों का दल (फाइल फोटो)
मणिपुर में विस्थापित लोगों से मुलाकात करेगा SC के जजों का दल (फाइल फोटो)

मणिपुर में उपद्रव पीड़ितों की कानूनी मदद के लिए NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) एक विशेष अभियान चला रहा है. इसके तहत 22 मार्च को जस्टिस गवई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के कई जजों का दल मणिपुर का दौरा करेगा. जस्टिस गवई के साथ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस कोटिश्वर सिंह भी साथ होंगे. ये विशिष्ट दल कानूनी और मानवीय मदद का जायजा लेगा, साथ ही विस्थापित लोगों की जरूरतों और मुश्किलों और उनके उपायों पर चर्चा करेगा.

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चेन्नई से आने वाली डॉक्टर्स की टीम भी वहां का दौरा कर मेडिकल जरूरतों के मुताबिक सुविधा उपलब्ध कराएगा. मणिपुर में दंगा प्रभावित पीड़ितों और विस्थापित लोगों के नष्ट या खो गए संपत्ति या निजी दस्तावेजों के बारे में भी समुचित उपाय करेगा.

क्यों बना NALSA?

NALSA के लोकप्रिय अभियान लोक अदालतों के जरिए पिछले साल भी करोड़ों मुकदमों का निपटारा कर अरबों रुपए का राजस्व भी दिलाया गया. पिछले हफ्ते ही लोक अदालतों में ढाई करोड़ से ज्यादा मामलों का निपटारा हुआ. इनमें ट्रैफिक चलान, चेक बाउंस और संपत्ति या लेन देन विवाद बड़ी संख्या में शामिल रहे. इनसे अदालतों पर बढ़ने वाला मुकदमों का बोझ भी घटा.

आपको बता दें कि 15100 NALSA का टोल फ्री नंबर है. कोई भी इस पर कॉल कर फ्री लीगल एड या कानूनी सलाह ले सकता है. नालसा अधिकारियों के मुताबिक देशभर से रोज तीन हजार से अधिक कॉल आते हैं. जल्दी ही लोग वॉयस कॉल के जरिए भी नालसा या dalsa को अपनी दिक्कत बता सकते हैं. इसके लिए नालसा की टेक्निकल टीम मोबाइल एप भी विकसित कर रही है.

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क्या है NALSA?

NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) यानी राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण भारत में न्याय तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए गठित एक संवैधानिक संस्था है. इसका गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया था.

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