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भारत में कोविड के सब-वैरिएंट JN.1 के मामलों की संख्या बढकर हुई 178, इस राज्य से आए सबसे अधिक केस

Corona Cases Update: भारत में कोविड-19 के सब-वैरिएंट जेएन.1 (JN.1) की कुल मामलों की संख्या 178 हो गई है. इनमें गोवा में सबसे ज्यादा 47 मामले पाए गए हैं. नए साल के करीब आने के साथ, विशेषज्ञों ने गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों और बुजुर्गों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने और फेस मास्क पहनने की सलाह दी है.

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महाराष्ट्र के ठाणे में स्वास्थ्य अधिकारी एक व्यक्ति का कोविड-19 टेस्ट करता हुआ (फोटो: पीटीआई)
महाराष्ट्र के ठाणे में स्वास्थ्य अधिकारी एक व्यक्ति का कोविड-19 टेस्ट करता हुआ (फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बीते चौबीस घंटे के दौरान देश में कोरोना के 743 नए मामले दर्ज किए गए. जिनमें बीते दिन के 797 नए मामलों की तुलना में मामूली गिरावट दर्ज की गई है. पिछले 24 घंटों में कोविड की वजह से सात मौतें हुईं हैं. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, केरल में तीन, कर्नाटक में दो और तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में एक-एक मौत हुई है.

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एक्टिव मामलों में कमी

सुबह 8 बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में कोविड के एक्टिव मामलों में भी गिरावट देखी गई है और पिछले दिन के 4,091 एक्टिव मामलों की तुलना में यह आज घटकर 3,997 हो गए हैं. पिछले 24 घंटों में, 830 लोग कोविड-19 से ठीक हुए, जिससे ठीक हुए मामलों की कुल संख्या 4.44 करोड़ (4,44,75,076) हो गई. अब राष्ट्रीय रिकवरी दर 98.81 प्रतिशत हो गई है.

शुक्रवार को, भारत में 797 कोविड-19 मामले दर्ज किए गए थे, जो 19 मई के बाद से सबसे अधिक है, तब एक दिन में 865 मामले दर्ज किए गए थे.

नए वैरिएंट के 178 मामले

कोरोना के नए केसेस पर बारीकी से नजर रखी जा रही है, विशेष रूप से कोरोनोवायरस जेएन.1 वैरिएंट पर भी सक्रिय निगरानी रखी जा रही है. भारत में, शुक्रवार तक नौ राज्यों से जेएन.1 सब-वेरिएंट के 178 मामले सामने आए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मामले गोवा में 47 और उसके बाद केरल में 41 मामले दर्ज किए गए हैं. अन्य राज्य जहां जेएन.1 मामले पाए गए हैं वे हैं - गुजरात में 36, कर्नाटक में 34, महाराष्ट्र में नौ, राजस्थान और तमिलनाडु में चार-चार, तेलंगाना से दो और दिल्ली से एक.

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एक्सपर्ट की सलाह

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हालांकि जेएन.1 अत्यधिक संक्रामक है, यह मुख्य रूप से सामान्य सर्दी के समान हल्के लक्षणों का कारण बनता है और फिर सांस लेने में दिक्कत पैदा करता है. इससे जोखिम कम है. विशेषज्ञों ने लोगों से इससे घबराने की नहीं बल्कि सावधानी बरतने की अपील की है और इस बात पर जोर दिया है कि वायरल श्वसन संबंधी बीमारियों में आमतौर पर सर्दियों के महीनों के दौरान वृद्धि देखी जाती है.

नए साल के करीब आने के साथ, विशेषज्ञों ने गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों और बुजुर्गों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने और फेस मास्क पहनने की सलाह दी है.

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